ओषधिसूक्त

ओषधि सूक्त पाठ एवं हवन

सूक्त पाठ एवं हवन | Duration : 4 Hours
Price Range: 5100 to 11000

About Puja

      ओषधि सूक्त का पाठ ऋग्वेद में उपलब्ध होता है। इस सूक्त के ऋषि अथर्वण - भिषक् तथा देवता ओषध  हैं। मन्त्र के द्वारा प्रतिपाद्य को ही देवता कहा जाता है। आर्ष वाङ्मय में औषधियों को देवता के रूप में प्रतिष्ठित किया गया है। जिस प्रकार सूर्य आदि देवता हमें जीवन देते हैं उसी प्रकार ओषधियाँ भी जीवन दायिनी एवं कल्याणकारिणी होती हैं। आरोग्य लाभ एवं दीर्घायुष्य की प्राप्ति कराने वाली ओषधियाँ देववत् ही पूज्य मानी गयी हैं। जिस प्रकार माता अपने शिशु का पालन पोषण कर उसे हृष्ट-पुष्प बनाती है, उसी प्रकार ओषधियाँ भी रोग निवारण के साथ ही प्राणी को शक्ति सम्पन्न बनाती हैं। इन सूक्तों का विनियोग असाध्य रोगों के निवृत्ति के लिए किया जाता है।

       देवों की सृष्टि से पूर्व ही औषधियों का प्रादुर्भाव स्वीकार किया गया है, साथ ही औषधियों की अनन्त शक्ति सम्पन्नता का भी वर्णन किया गया है। जिस प्रकार युद्धस्थल में घोडियाँ योद्धा की सहायता कर उसे आपत्ति से मुक्त करती हैं, उसी प्रकार पुष्पित एवं फलित औषधियाँ प्राणी को रोगों  से मुक्ति दिलाकर शक्तिसम्पन्न बनाती हैं। वैदिक वाङ्‌मय मे औषधियों के प्रति चेतनवत् व्यवहार किया है। अतएव औषधियों से राक्षसी बाधा का भी विनाश करने की प्रार्थना कि गयी है। 

Benefits

ओषधिसूक्त पाठ एवं हवन का माहात्म्य :-

  • इन सूक्तों के विधिवत् पाठ या हवन करने या कराने से अवरुद्ध धन भी सहज भाव से प्राप्त हो जाता है।
  • औषधियों को निष्कृति नाम से सम्बोधित किया गया है, क्योंकि ये शरीर को दूषित करने वाले रोगों का नि:सारण (निकालने)करने वाली होती हैं।
  • इन मन्त्रों के पाठ एवं हवन से, औषध प्रभाव युक्त होकर, द्रुत गति से रोगी के रोगों का शमन करती है।
  • यमपाश के बन्धन से मुक्ति कराने वाला यह दिव्य औषधि सूक्त है।
  • औषधियों के राजा चन्द्रमा हैं। अतः इनके पाठ एवं हवन से चन्द्रदेव भी प्रसन्न होकर सर्व सुख प्रदान करते हैं।
  • इस सूक्त में पठित मन्त्रों से अभिमन्त्रित औषधि अत्यधिक लाभकारी होती हैं तथा प्राणी मात्र की उपकारिका औषधियां ही हैं।
Process

ओषधिसूक्त पाठ एवं हवन में होने वाले प्रयोग या विधि:-

  1. स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
  2. प्रतिज्ञा सङ्कल्प
  3. गणपति गौरी पूजन
  4. कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
  5. पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
  6. षोडशमातृका पूजन
  7. सप्तघृतमातृका पूजन
  8. आयुष्यमन्त्रपाठ
  9. सांकल्पिक नान्दीमुखश्राद्ध (आभ्युदयिकश्राद्ध)
  10. नवग्रह मण्डल पूजन
  11. अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
  12. पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल , वास्तु पुरुष आवाहन एवं पूजन 
  13. रक्षाविधान
  14. प्रधान देवता पूजन
  15. पंचभूसंस्कार
  16. अग्नि स्थापन
  17. ब्रह्मा वरण 
  18. कुशकण्डिका
  19. आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन
  20. घृताहुति
  21. मूलमन्त्र आहुति 
  22.  चरुहोम
  23. भूरादि नौ आहुति
  24.  स्विष्टकृत आहुति
  25. पवित्रप्रतिपत्ति
  26. संस्रवप्राशन 
  27. मार्जन
  28. पूर्णपात्र दान
  29. प्रणीता विमोक
  30. मार्जन 
  31. बर्हिहोम 
  32. पूर्णाहुति, आरती, भोग, विसर्जन  आदि
Puja Samagri

वैकुण्ठ के द्वारा दी जाने वाली पूजन सामग्री:-

  • रोली, कलावा    
  • सिन्दूर, लवङ्ग 
  • इलाइची, सुपारी 
  • हल्दी, अबीर 
  • गुलाल, अभ्रक 
  • गङ्गाजल, गुलाबजल 
  • इत्र, शहद 
  • धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई 
  • यज्ञोपवीत, पीला सरसों 
  • देशी घी, कपूर 
  • माचिस, जौ 
  • दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा 
  • सफेद चन्दन, लाल चन्दन 
  • अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला 
  • चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का 
  • सप्तमृत्तिका 
  • सप्तधान्य, सर्वोषधि 
  • पञ्चरत्न, मिश्री 
  • पीला कपड़ा सूती

हवन सामग्री एवं यज्ञपात्र :-

  • काला तिल 
  • चावल 
  • कमलगट्टा
  • हवन सामग्री, घी,गुग्गुल
  • गुड़ (बूरा या शक्कर)
  • बलिदान हेतु पापड़
  • काला उडद 
  • पूर्णपात्र -कटोरी या भगोनी
  • प्रोक्षणी, प्रणीता, स्रुवा, शुचि, स्फय - एक सेट
  • हवन कुण्ड ताम्र का 10/10  इंच या 12/12 इंच 
  • पिसा हुआ चन्दन 
  • नवग्रह समिधा
  • हवन समिधा 
  • घृत पात्र
  • कुशा
  • पंच पात्र

यजमान के द्वारा की जाने वाली व्यवस्था:-

  • वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का - 1
  • गाय का दूध - 100ML
  • दही - 50ML
  • मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार 
  • फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार )
  • दूर्वादल (घास ) - 1मुठ 
  • पान का पत्ता - 07
  • पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg
  • पुष्पमाला - 7 ( विभिन्न प्रकार का)
  • आम का पल्लव - 2
  • विल्वपत्र - 21
  • तुलसी पत्र -7
  • शमी पत्र एवं पुष्प 
  • पानी वाला नारियल
  • तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित
  • थाली - 2 , कटोरी - 5 ,लोटा - 2 , चम्मच - 2 आदि 
  • अखण्ड दीपक -1
  • देवताओं के लिए वस्त्र -  गमछा , धोती  आदि 
  • बैठने हेतु दरी,चादर,आसन 
  • गोदुग्ध,गोदधि 

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