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पवमानसूक्त पाठ एवं हवन

सूक्त पाठ एवं हवन | Duration : 4 Hours
Price : 11000
About Puja

      अथर्ववेद की पैप्लादशाखा में पठित 21 मन्त्रों को पवमान सूक्त के नाम से जाना जाता है। ऋग्वेद में पवमान शब्द का प्रयोग उस सोमरस के लिए किया गया है,जो छलनी से शुद्ध होता है, इसके अतिरिक्त वायु तथा अग्नि अर्थ में भी पवमान शब्द प्रयुक्त हुआ है। पूञ्-पवने धातु से शानच् प्रत्यय के योग से पवमान शब्द निष्पन्न होता है, जिसका अर्थ है- शुद्ध होने वाला अथवा शुद्ध करने वाला इन मन्त्रों का प्रयोग पवित्रीकरण के लिए ही होता है। वायु एवं अग्नि भी दोष निराकरण पूर्वक वस्तु या व्यक्ति को पवित्र करने वाले होते हैं। अतएव इनकी भी पवमान संज्ञा होती है।

Benefits

पवमानसूक्त   पाठ एवं हवन का माहात्म्य  :-

  •  वैदिक यागों में सोमरस का महत्वपूर्ण योगदान है।
  •  सहस्रधार सोम के द्वारा द्युलोक, पृथिवी, जल तथा स्वर्ग भी पवित्र किये जाते हैं।
  •  अन्तरिक्ष को भी पवित्र करने की शक्ति  पवमान सूक्तों में निहित है।
  •  दिवस रात्रि तथा दिशाएँ भी सोम से ही पवित्र होते हैं।
  •  इन सूक्तों के द्वारा मानव मात्र के अन्त:करण एवं वाह्यकरण की शुद्धि होती है।
  •  निर्मल हृदय में ही परमात्मा का निवास होता है। 
  •  इन मन्त्रों में प्रार्थना कि गयी है कि, जिसके द्वारा ऋग्वेद, यजुर्वेद, और सामवेद पवित्र भावापन्न होते हैं , वही सहस्रधार सोम मुझको भी पवित्र करें। 
  • दिक् (दिशा) देश (स्थान) काल समय को भी पवित्र करने वाला यह सूक्त है।
  •  इस सूक्त के आराधन, पाठ, हवन आदि से मनुष्य के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं तथा सत्कर्मों के प्रति मन उत्साहित हो जाता है।
  •  सहस्रधार सोम पितामह ब्रह्मा को भी पवित्र करने वाला है।
  • मनुष्य से यदि कोई पाप ,ज्ञात अथवा अज्ञात में हो गया हो और जीवन में उस पाप के कारण भाग्य अवरुद्ध हो रहा हो , तो इस पवमान सूक्त के पाठ, अभिषेक और हवन करने से पाप समाप्त हो जाते।
Process

पवमानसूक्त   पाठ एवं हवन में होने वाले प्रयोग या विधि:-

  1. स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
  2. प्रतिज्ञा सङ्कल्प
  3. गणपति गौरी पूजन
  4. कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
  5. पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
  6. षोडशमातृका पूजन
  7. सप्तघृतमातृका पूजन
  8. आयुष्यमन्त्रपाठ
  9. सांकल्पिक नान्दीमुखश्राद्ध (आभ्युदयिकश्राद्ध)
  10. नवग्रह मण्डल पूजन
  11. अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
  12. पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल , वास्तु पुरुष आवाहन एवं , पूजन 
  13. रक्षाविधान 
  14. पंचभूसंस्कार
  15. अग्नि स्थापन
  16. ब्रह्मा वरण 
  17. कुशकण्डिका
  18. आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन
  19. घृताहुति
  20. मूलमन्त्र आहुति 
  21.  चरुहोम
  22. भूरादि नौ आहुति
  23.  स्विष्टकृत आहुति
  24. पवित्रप्रतिपत्ति
  25. संस्रवप्राशन 
  26. मार्जन
  27. पूर्णपात्र दान
  28. प्रणीता विमोक
  29. मार्जन 
  30. बर्हिहोम 
  31. पूर्णाहुति, आरती, भोग, विसर्जन  आदि
Puja Samagri

 वैकुण्ठ के द्वारा दी जाने वाली पूजन  सामग्री

  • रोली, कलावा    
  • सिन्दूर, लवङ्ग 
  • इलाइची, सुपारी 
  • हल्दी, अबीर 
  • गुलाल, अभ्रक 
  • गङ्गाजल, गुलाबजल 
  • इत्र, शहद 
  • धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई 
  • यज्ञोपवीत, पीला सरसों 
  • देशी घी, कपूर 
  • माचिस, जौ 
  • दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा 
  • सफेद चन्दन, लाल चन्दन 
  • अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला 
  • चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का 
  • पानी वाला नारियल, सप्तमृत्तिका 
  • सप्तधान्य, सर्वोषधि 
  • पञ्चरत्न, मिश्री 
  • पीला कपड़ा सूती, तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित  
  • पंचगव्य गोघृत, गोमूत्र

हवन सामग्री एवं यज्ञपात्र :-

  • काला तिल 
  • जौ,चावल 
  •  कमलगट्टा, पंचमेवा 
  •  हवन सामग्री, घी,गुग्गुल
  • गुड़ (बूरा या शक्कर) ,गड़ी गोला 
  •  पान पत्ता, बलिदान हेतु पापड़
  • काला उडद 
  • पूर्णपात्र -कटोरी या भगोनी
  • प्रोक्षणी, प्रणीता, स्रुवा, शुचि, स्फय - एक सेट
  • हवन कुण्ड ताम्र का 10/10  इंच या 12/12 इंच 
  • कलश रखने के लिए मिट्टी का पात्र
  •  पिसा हुआ चन्दन 
  • नवग्रह समिधा
  •  हवन समिधा 
  •  घृत पात्र
  • कुशा
  • पंच पात्र

यजमान के द्वारा की जाने वाली व्यवस्था:-

  • वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का - 1
  • गाय का दूध - 100ML
  • दही - 50ML
  • मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार 
  • फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार )
  • दूर्वादल (घास ) - 1मुठ 
  • पान का पत्ता - 11
  • पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg
  • पुष्पमाला - 7 ( विभिन्न प्रकार का)
  • आम का पल्लव - 2
  • विल्वपत्र - 21
  • तुलसी पत्र -7
  • शमी पत्र एवं पुष्प 
  •  थाली - 2 , कटोरी - 5 ,लोटा - 2 , चम्मच - 2 आदि 
  • अखण्ड दीपक -1
  • देवताओं के लिए वस्त्र -  गमछा , धोती  आदि 
  • बैठने हेतु दरी,चादर,आसन 
  • गोदुग्ध,गोदधि,गोबर

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