पितृसूक्त

पितृ सूक्त पाठ एवं हवन

सूक्त पाठ एवं हवन | Duration : 4 Hours
Price Range: 5100 to 11000

About Puja

         यह सूक्त ऋग्वेद दशम् मण्डल में प्राप्त होता है। इस सूक्त में 14 ऋचाएं हैं। इस सूक्त के ऋषि  शंख-यामायन तथा देवता पितर हैं। उस सूक्त में प्रयुक्त छन्द त्रिष्टुप् एवं जगती है। पितरों के सौमनस्य के लिए यह सूक्त अत्यन्त ही उपयोगी है। हमारे वैदिक सनातन धर्म में पितरों का अद्वितीय स्थान हैं। प्रायश: सभी शुभ या अशुभ कर्मों में साङ्कल्पिक नान्दीश्राद्ध आदि के द्वारा पितृश्वरों कीअभ्यर्चना का विधान है। पितृसूक्त के पारायण का भी बहुत महत्व है। हमारे सनातन धर्म में पिता-पुत्र का सम्बन्ध जन्म जन्मान्तरीय माना गया है। पितरों की प्रसन्नता हेतु इस सूक्त का पाठ नितान्त आवश्यक है। महाभारत के अनुसार देवलोक से ठीक नीचे पितृलोक विद्यमान है। जिस प्रकार देवताओं को सोमपान कराया जाता है उसी प्रकार पितृश्वर भी सोमपान के अधिकारी हैं।

Benefits

पितृ सूक्त पाठ एवं हवन का माहात्म्य:-

  • विविध प्रकार की बाधाओं से मुक्ति प्राप्त कराने वाला यह पितृ सूक्त है।
  • पितृदोष की शान्ति  के लिए यह सूक्त पाठ अत्यन्त उपादेय है।
  • समस्त पितृगण कुशासन पर विराजमान होकर  प्रसन्नता पूर्वक अर्पित कव्य को ग्रहण करते हैं।
  • ये पितर आराधना से सन्तुष्ट होकर सन्तति का विस्तार एवं कल्याण करते हैं ।
  • जन्म जन्मान्तर में किये गये पितरों के अपराध का प्रायश्चित भी इस सूक्त पाठ से हो जाता है।
  • धन, सम्पदा प्राप्ति एवं रुष्ट हुए पितरों को मनाने के लिए भी पितृसूक्त के पाठ का विधान है।
  • पितसूक्त द्वारा पितृश्वरों की आराधना से प्रिय वस्तु या व्यक्ति का वियोग नहीं होता।
  • वैदिक वाङ्मय में पितरों को उत्तमपथ प्रदर्शक कहा गया है।
  • सन्तति को सुखी एवं समृद्ध बनाने के लिए पितृसूक्त का, वैदिक विद्वानों के द्वारा पाठ पारायण अत्यन्त महत्वपूर्ण है।
  • यह सूक्त ऋग्वेद के दशम् मण्डल में प्राप्त होता है।
  • पितृ सूक्त द्वारा पितृश्वरों की आराधना की जाती है।
Process

पितृ सूक्त पाठ एवं हवन में होने वाले प्रयोग या विधि:-

  1. स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
  2. प्रतिज्ञा सङ्कल्प
  3. गणपति गौरी पूजन
  4. कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
  5. पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
  6. षोडशमातृका पूजन
  7. सप्तघृतमातृका पूजन
  8. आयुष्यमन्त्रपाठ
  9. सांकल्पिक नान्दीमुखश्राद्ध (आभ्युदयिकश्राद्ध)
  10. नवग्रह मण्डल पूजन
  11. अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
  12. पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं  पूजन 
  13. रक्षाविधान 
  14. पंचभूसंस्कार
  15. अग्नि स्थापन
  16. ब्रह्मा वरण 
  17. कुशकण्डिका
  18. आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन
  19. घृताहुति
  20. मूलमन्त्र आहुति 
  21. चरुहोम
  22. भूरादि नौ आहुति
  23. स्विष्टकृत आहुति
  24. पवित्रप्रतिपत्ति
  25. संस्रवप्राशन 
  26. मार्जन
  27. पूर्णपात्र दान
  28. प्रणीता विमोक
  29. मार्जन 
  30. बर्हिहोम 
  31. पूर्णाहुति, आरती, भोग, विसर्जन  आदि
Puja Samagri

 वैकुण्ठ के द्वारा दी जाने वाली पूजन सामग्री:-

  • रोली, कलावा    
  • सिन्दूर, लवङ्ग 
  • इलाइची, सुपारी 
  • हल्दी, अबीर 
  • गुलाल, अभ्रक 
  • गङ्गाजल, गुलाबजल 
  • इत्र, शहद 
  • धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई 
  • यज्ञोपवीत, पीला सरसों 
  • देशी घी, कपूर 
  • माचिस, जौ 
  • दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा 
  • सफेद चन्दन, लाल चन्दन 
  • अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला 
  • चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का 
  • सप्तमृत्तिका 
  • सप्तधान्य, सर्वोषधि 
  • पञ्चरत्न, मिश्री 
  • पीला कपड़ा सूती

हवन सामग्री एवं यज्ञपात्र :-

  • काला तिल 
  • चावल 
  • कमलगट्टा
  • हवन सामग्री, घी,गुग्गुल
  • गुड़ (बूरा या शक्कर)
  • बलिदान हेतु पापड़
  • काला उडद 
  • पूर्णपात्र -कटोरी या भगोनी
  • प्रोक्षणी, प्रणीता, स्रुवा, शुचि, स्फय - एक सेट
  • हवन कुण्ड ताम्र का 10/10  इंच या 12/12 इंच 
  • पिसा हुआ चन्दन 
  • नवग्रह समिधा
  • हवन समिधा 
  • घृत पात्र
  • कुशा
  • पंच पात्र

यजमान के द्वारा की जाने वाली व्यवस्था:-

  • वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का - 1
  • गाय का दूध - 100ML
  • दही - 50ML
  • मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार 
  • फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार )
  • दूर्वादल (घास ) - 1मुठ 
  • पान का पत्ता - 07
  • पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg
  • पुष्पमाला - 7 ( विभिन्न प्रकार का)
  • आम का पल्लव - 2
  • विल्वपत्र - 21
  • तुलसी पत्र -7
  • शमी पत्र एवं पुष्प 
  • पानी वाला नारियल
  • थाली - 2 , कटोरी - 5 ,लोटा - 2 , चम्मच - 2 आदि 
  • अखण्ड दीपक -1
  • देवताओं के लिए वस्त्र -  गमछा , धोती  आदि 
  • बैठने हेतु दरी,चादर,आसन 
  • तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित
  • गोदुग्ध,गोदधि

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