पृथ्वीसूक्त

पृथ्वी सूक्त पाठ एवं हवन

सूक्त पाठ एवं हवन | Duration : 4 Hours
Price Range: 5100 to 11000

About Puja

          पृथ्वी सूक्त का पाठ 'अथर्ववेद के 12 वें काण्ड' में उद्धृत हैं, इन मन्त्रों के द्रष्टा अथर्वा ऋषि हैं। इस सूक्त में मातृभूमि के प्रति अपार श्रद्धा एवं भक्ति दृष्टिगोचर होती है। सनातन धर्मानुसार पृथ्वी का यह जड़ स्वरूप चेतन अधिष्ठाता से अधिष्ठित है। पृथ्वी सूक्त में पृथ्वी के आधिदैविक एवं आदिभौतिक रूपों की स्तुति की है। पृथ्वी की महत्ता , सूक्त में पठित कामदुधा, पयस्वती, सुरभी एवं धेनू आदि पदों द्वारा प्रकट की गयी है। मन्त्रद्रष्टा ऋषि अथर्वा माता के रूप में भूमि देवी की स्तुति करते हैं। इसमे पृथ्वी माता से श्रेष्ठ वरों की प्राप्ति के लिए प्रार्थना की गयी है। इन सूक्तों का पारायण एवं विनियोग अनेक लौकिक तथा पारलौकिक लाभों के लिए किया जाता है।

        सत्य स्वरूप परमेश्वर तप एवं अग्निष्टोम आदि यज्ञों के द्वारा पृथ्वी को धारण करते हैं। समग्र शक्ति अन्न , जल एवं विभिन्न औषधियों को धारण करने वाली पृथ्वी ही हैं मानव जाति के साथ ही स्थावर जंगमात्मक समस्त विश्व का आधार भूमि ही है । पृथ्वी सूक्त के 12 वें मंत्र में पृथ्वी को माता कह कर पृथ्वी के पूज्य भाव को द्योतित किया तथा मनुष्य मात्र को पृथ्वी के पुत्र के रूप में कहा गया है। वैदिक सूक्तों में पृथ्वी को वेग एवं गतियुक्त कहा गया है पृथ्वी के कम्पन का वर्णन भी प्राप्त होता है। अतः आज का उन्नत विज्ञान भी उक्त सभी तथ्यों का समर्थन करता हुआ दिखाई देता है।

Benefits

पृथ्वी सूक्त पाठ एवं हवन का माहात्म्य:-

  • पृथ्वी सूक्त के अनुष्ठान से भूमि की प्राप्ति के साथ ही प्रचुर सम्पदा प्राप्त होती है।
  • षड्विध ऐश्वर्य प्राप्ति का उपाय पृथ्वी सूक्त का विधिपूर्वक अनुष्ठान एवं पारायण है।
  • पृथ्वी सूक्त की उपासना से प्रचुर हव्य कव्य प्राप्त होते हैं ।
  • पृथ्वी का हृदय सत्य से आवृत्त है तथा परब्रह्म इसके अधिष्ठाता हैं। अतः इस सूक्त की साधना से तेज एवं बल प्राप्त होता है।
  • इन्द्र के द्वारा पृथ्वी को शत्रु रहित किया गया है , अतः शत्रु पराभव के लिए इन मंत्रों का विनियोग होता है ।
  • भूमि से प्रार्थना की गई हे देवी ! हमारा अहित करने वाले शत्रुओं का आप संहार करो। इस सूक्त के पारायण से शत्रुगण पराभूत होते हैं।
  • पृथ्वी की उपासना से प्रखर बुद्धि की प्राप्ति होती है।
  • उत्तम कान्ति(वर्ण) की प्राप्ति के लिए यह सूक्त उपासनीय है।
  • गुप्त शत्रु भी इस सूक्त पाठ से स्वत: नष्ट हो जाते हैं।
  • आसुरी शक्तियों का विनाश करने वाला यह दिव्य सूक्त है।
  • सर्पभय एवं अन्य जन्तुओं से होने वाली पीड़ा इस सूक्त के पारायण से नहीं होती।
  • राक्षसी एवं पैशाची बाधा भी पृथ्वी सूक्त के पाठ से नष्ट हो जाती है ।
  • भूमि प्राप्ति,भूमि विवाद एवं भूमि क्रय में यदि कोई बाधा उपस्थित हो रही है, तो पृथ्वी सूक्त पाठ से वह बाधा भी नष्ट हो जाती है।
  • गुप्त धन की प्राप्ति कराने वाला यह सूक्त है तथा आयु वृद्धि के लिए यह सूक्त अत्यन्त उपादेय है।
  • इस सूक्त पाठ में मातृभूमि से विभिन्न कामनाओं की प्राप्ति के लिए प्रार्थना किया गया है और वह सभी कामना विधिपूर्वक पाठ से पूर्ण होता है।
Process

पृथ्वी सूक्त पाठ एवं हवन में होने वाले प्रयोग या विधि:-

  1. स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
  2. प्रतिज्ञा सङ्कल्प
  3. गणपति गौरी पूजन
  4. कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
  5. पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
  6. षोडशमातृका पूजन
  7. सप्तघृतमातृका पूजन
  8. आयुष्यमन्त्रपाठ
  9. सांकल्पिक नान्दीमुखश्राद्ध (आभ्युदयिकश्राद्ध)
  10. नवग्रह मण्डल पूजन
  11. अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
  12. पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं  पूजन 
  13. रक्षाविधान आदि
  14. प्रधान देवता पूजन
  15. पंचभूसंस्कार
  16. अग्नि स्थापन
  17. ब्रह्मा वरण 
  18. कुशकण्डिका
  19. आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन
  20. घृताहुति
  21. मूलमन्त्र आहुति 
  22. चरुहोम
  23. भूरादि नौ आहुति
  24. स्विष्टकृत आहुति
  25. पवित्रप्रतिपत्ति
  26. संस्रवप्राशन 
  27. मार्जन
  28. पूर्णपात्र दान
  29. प्रणीता विमोक
  30. मार्जन 
  31. बर्हिहोम 
  32. पूर्णाहुति, आरती, भोग, विसर्जन  आदि
Puja Samagri

 वैकुण्ठ के द्वारा दी जाने वाली पूजन सामग्री:-

  • रोली, कलावा    
  • सिन्दूर, लवङ्ग 
  • इलाइची, सुपारी 
  • हल्दी, अबीर 
  • गुलाल, अभ्रक 
  • गङ्गाजल, गुलाबजल 
  • इत्र, शहद 
  • धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई 
  • यज्ञोपवीत, पीला सरसों 
  • देशी घी, कपूर 
  • माचिस, जौ 
  • दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा 
  • सफेद चन्दन, लाल चन्दन 
  • अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला 
  • चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का 
  • सप्तमृत्तिका 
  • सप्तधान्य, सर्वोषधि 
  • पञ्चरत्न, मिश्री 
  • पीला कपड़ा सूती

हवन सामग्री एवं यज्ञपात्र :-

  • काला तिल 
  • चावल 
  • कमलगट्टा
  • हवन सामग्री, घी,गुग्गुल
  • गुड़ (बूरा या शक्कर)
  • बलिदान हेतु पापड़
  • काला उडद 
  • पूर्णपात्र -कटोरी या भगोनी
  • प्रोक्षणी, प्रणीता, स्रुवा, शुचि, स्फय - एक सेट
  • हवन कुण्ड ताम्र का 10/10  इंच या 12/12 इंच 
  • पिसा हुआ चन्दन 
  • नवग्रह समिधा
  • हवन समिधा 
  • घृत पात्र
  • कुशा
  • पंच पात्र

यजमान के द्वारा की जाने वाली व्यवस्था:-

  • वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का - 1
  • गाय का दूध - 100ML
  • दही - 50ML
  • मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार 
  • फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार )
  • दूर्वादल (घास ) - 1मुठ 
  • पान का पत्ता - 07
  • पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg
  • पुष्पमाला - 7 ( विभिन्न प्रकार का)
  • आम का पल्लव - 2
  • विल्वपत्र - 21
  • तुलसी पत्र -7
  • शमी पत्र एवं पुष्प 
  • थाली - 2 , कटोरी - 5 ,लोटा - 2 , चम्मच - 2 आदि 
  • अखण्ड दीपक -1
  • तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित 
  • देवताओं के लिए वस्त्र -  गमछा , धोती  आदि 
  • बैठने हेतु दरी,चादर,आसन 
  • पानी वाला नारियल
  • गोदुग्ध,गोदधि

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