sharatpoornima vratopaasana

शरत्पूर्णिमा व्रतोपासना

व्रतोत्सव त्यौहार | Duration : 1 Hour
Price Range: 5100 to 7100

About Puja

 भारतीय सनातन परम्परागत् हिन्दू धर्म में व्रतों का एक अपना विशिष्ट महत्व व प्रयोजन है । सनातन धर्मावलम्बी विभिन्न व्रतों एवं उत्सवों को श्रद्धा,भक्ति, नियम एवं संयम पूर्वक हर्षोल्लास से मनाते हैं। इन्हीं व्रतों में एक उत्तम व्रत  है,  जो कि आश्विनमास शुक्लपक्ष पूर्णिमा रास पूर्णिमा अथवा शरद् पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है 

यह व्रत निशीथव्यापिनी  रात्रि को मनाया जाता है। नारायण (भगवान् श्रीकृष्ण) और माता लक्ष्मी की उपासना के लिये  सर्वोत्तम माना जाता है। इस   दिन चन्द्रमा अपनी 16 कलाओं से  पूर्ण होता है। इस दिन चन्द्रमा की किरणें जगत् में अमृत की वर्षा करती हैं। अत: साधक एवं भक्तगण रात्रि में चन्द्रमा के समक्ष खीर के प्रसाद  का भोग लगाते हैं। रात्रि कालीन वेला में ही भगवान् नारायण, माता लक्ष्मी के पूजन के साथ ही भगवान् श्रीकृष्ण,उनकी आह्लादिनी शक्ति श्रीराधा रानी तथा चन्द्रमा की भी पूजा की जाती है । श्रीमद्भागवत् महापुराण के दशम स्कन्ध स्थित रासपञ्चाध्यायी का पाठ अनन्त फल प्रदायक कहा गया है। यह  समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला है।
पूजन विधि - यह दिन भगवान् कृष्ण के रासोत्सव का दिन है।अत: भगवान् कृष्ण एवं उनकी रासेश्वरी श्रीराधा रानी की विशेष कृपा के लिए यह उत्सव विधिवत् सम्पादित किया जाता है। इस दिन विशेष सेवा -पूजा के अतिरिक्त रात्रिकाल में भगवान् को नैवेद्य में खीर का भोग लगाते हैं।
प्रात: नित्य नैमित्तिक क्रिया करके पूजन सम्बन्धित क्रियाओं का भलीभांति क्रियान्वयन करके जब पूर्ण चन्द्र हो (मध्य रात्रि) के आसपास पूजन - अर्चन श्रद्धा भक्ति से करना चाहिये । शरत्पूर्णिमा की पूजा में दूध, तथा दूध से निर्मित खीर का विशिष्ट महत्व है ।प्रसाद में खीर का भोग अवश्य लगायें तथा परिवार के सभी सदस्य  एकाग्रचित्त मन से  भगवान का पूजन-अर्चन करें ।

Benefits

शरद्पूर्णिमा में रासपञ्चाध्यायी पाठ का माहात्म्य :-

  • शरद् पूर्णिमा के दिन चन्द्रदेव तथा माता लक्ष्मी की विशेष पूजा होती है जिसके फलस्वरूप कुटुम्ब में सुख, शान्ति, ऐश्वर्य, समृद्धि आदि का प्रादुर्भाव होता है।
  • रासपञ्चाध्यायी के पाठ से समस्त कामनाओं की सिद्धि होती है तथा हृदय रोगी को निश्चित ही रासपञ्चाध्यायी का पाठ करना या कराना चाहिए।
  • इस व्रत को करने से चन्द्रमा तथा माता लक्ष्मी प्रसन्न होकर समस्त कामनाओं को सिद्ध करने का आशीर्वाद प्रदान करते हैं ।
  • स्त्रियां अपने पुत्र तथा पति के दीर्घायु के लिए प्रार्थना करती हैं।
  • शरद् पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करने से सम्पूर्ण वर्ष के तीर्थ स्नान का फल प्राप्त होता है।
  • यश,कीर्ति में उत्तरोत्तर वृद्धि का श्रेष्ठतम उपाय रासपञ्चाध्यायी का पाठ है।
  • लक्ष्मी प्राप्ति के इच्छुक भक्तगण निश्चित ही इस व्रतोपासना से लाभान्वित होंगे,और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त करेंगे ।।
Process

शरद्पूर्णिमा में होने वाले प्रयोग या विधि:-

  1. स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
  2. प्रतिज्ञा-सङ्कल्प
  3. गणपति गौरी पूजन
  4. कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
  5. पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
  6. षोडशमातृका पूजन
  7. सप्तघृतमातृका पूजन
  8. आयुष्यमन्त्रपाठ
  9. सांकल्पिक नान्दीमुखश्राद्ध (आभ्युदयिकश्राद्ध)
  10. नवग्रह मण्डल पूजन
  11. अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
  12. पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं पूजन 
  13. रक्षाविधान
Puja Samagri

वैकुण्ठ के द्वारा दी जाने वाली पूजन  सामग्री

  • रोली, कलावा    
  • सिन्दूर, लवङ्ग 
  • इलाइची, सुपारी 
  • हल्दी, अबीर 
  • गुलाल, अभ्रक 
  • गङ्गाजल, गुलाबजल 
  • इत्र, शहद 
  • धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई 
  • यज्ञोपवीत, पीला सरसों 
  • देशी घी, कपूर 
  • माचिस, जौ 
  • दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा 
  • सफेद चन्दन, लाल चन्दन 
  • अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला 
  • चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का 
  • सप्तमृत्तिका 
  • सप्तधान्य, सर्वोषधि 
  • पञ्चरत्न, मिश्री 
  • पीला कपड़ा सूती,

यजमान के द्वारा की जाने वाली व्यवस्था:-

  • वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का - 1
  • गाय का दूध - 100ML
  • दही - 50ML
  • मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार 
  • फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार )
  • दूर्वादल (घास ) - 1मुठ 
  • पान का पत्ता - 07
  • पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg
  • पुष्पमाला - 7 ( विभिन्न प्रकार का)
  • आम का पल्लव - 2
  • विल्वपत्र - 21
  • तुलसी पत्र -7
  • शमी पत्र एवं पुष्प 
  • थाली - 2, कटोरी - 5, लोटा - 2, चम्मच - 2 आदि 
  • अखण्ड दीपक -1
  • देवताओं के लिए वस्त्र -  गमछा, धोती  आदि 
  • बैठने हेतु दरी,चादर,आसन 
  • गोदुग्ध,गोदधि
  • पानी वाला नारियल
  • तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित 

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