वरुणसूक्त

वरुण सूक्त पाठ एवं हवन

सूक्त पाठ एवं हवन | Duration : 4 Hours
Price Range: 5100 to 11000

About Puja

        ऋग्वेद के प्रथम मण्डल के 25 वें सूक्त को वरुणसूक्त कहते हैं। इक्ष्वाकु वंशीय राजा हरिश्चन्द्र ने पुत्र प्राप्ति हेतु गुरु वशिष्ठ के कथनानुसार वरुण देव की उपासन की। वरुणदेव की कृपा से पुत्र प्राप्त हुआ। वरुणदेव ने पूर्व निर्धारित शर्त के अनुसार राजा हरिश्चन्द्र से पुत्र को माँगा लेकिन पुत्र व्यामोह के कारण राजा ने अपने पुत्र रोहित को वरुणदेव के लिए नही दिया। जब रोहित को यह ज्ञात हुआ तो, वह भयभीत होकर वन में चला गया। तब कुपित वरुणदेव ने राजा को जलोदर रोग से ग्रस्त होने का शाप दे दिया। रोग से मुक्ति हेतु गुरु वशिष्ट के निर्देशानुसार राजा ने अजीगर्त नामक ब्राह्मण के मध्यम पुत्रः शुनःशेप को धन देकर खरीद लिए। धन के लोलुप पिता ने अपने पुत्र शुनःशेष को यज्ञमण्डप में यूप से बाँध दिया। भयभीत शुन:शेप के करुण क्रन्दन से विश्वामित्र जी को दया आ गई और उन्होंने शुन:शेप से कहा तुम वरुण देव की स्तुति करो वही बन्धन मुक्त करेंगे। स्तुति से प्रसन्न हुए वरुण ने शुन:शेप को बन्धन मुक्त कर दिया तथा राजा का जलोदर रोग भी ठीक हो गया । 
       इस वरुणसूक्त के ऋषि शुन:शेप, गायत्री छंद तथा वरुण देवता हैं। सर्वविध कल्याण कामी को वरुण उपासना श्रेयस्कर सिद्ध होता है।

Benefits

वरुण सूक्त पाठ एवं हवन का माहात्म्य:-

  • दशदिक्पालों में वरुण देव पश्चिम दिशा के अधिपति हैं , ये जल के अधिष्ठातृ अधिदैवत हैं। इनकी आराधना से मानसिक शान्ति प्राप्त होती है तथा अनुचित कर्म से साधक निवृत्त हो जाता है। 
  • वरुणदेव उपासक को आत्मसुख एवं बल प्रदान करते हैं।
  • अकाल मृत्यु के भय से रक्षा करने वाला यह वरुण सूक्त है जो विधि निषेध पूर्वक प्रयोग किया जाता है।
  • वरुण सूक्त की उपासना से मनुष्य को स्थाई शान्ति प्राप्त होती है।
  • आयु की वृद्धि एवं सन्मार्ग पर चलने की प्रवृत्ति इस सूक्त पाठ आराधन एवं हवन से होता है।
  • वरुण देव अन्य देवताओं के भी उपकारक हैं।
  • वरुण सूक्त पारायण एवं अनुष्ठान से क्रूर जन्तु भी भयभीत हो जाते हैं। तथा अकारण द्वेष करने वाले मनुष्य भी द्रोह का परित्याग कर देते हैं।
  • वरुण देव को वैदिक वाङ्गमय में सर्वेश्वर के रूप में प्रदर्शित किया गया है।
  • प्रचुर धन धान्य की प्राप्ति कराने वाला यह अनुपम सूक्त है।
  • पुत्र प्राप्ति की कामना से भी इस सूक्त के द्वारा विधिपूर्वक वरुण देव के उपासना का विधान है। 
  • वरुण शीघ्र प्रसन्न होने वाले देवता हैं - इस सूक्त के पारायण या अनुष्ठान से बुद्धि प्रखर एवं निर्मल होती है।
Process

वरुण सूक्त पाठ एवं हवन में होने वाले प्रयोग या विधि:-

  1. स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
  2. प्रतिज्ञा सङ्कल्प
  3. गणपति गौरी पूजन
  4. कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
  5. पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
  6. षोडशमातृका पूजन
  7. सप्तघृतमातृका पूजन
  8. आयुष्यमन्त्रपाठ
  9. सांकल्पिक नान्दीमुखश्राद्ध (आभ्युदयिकश्राद्ध)
  10. नवग्रह मण्डल पूजन
  11. अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
  12. पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं  पूजन 
  13. रक्षाविधान 
  14. प्रधान देवता पूजन
  15. पंचभूसंस्कार
  16. अग्नि स्थापन
  17. ब्रह्मा वरण 
  18. कुशकण्डिका
  19. आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन
  20. घृताहुति
  21. मूलमन्त्र आहुति 
  22. चरुहोम
  23. भूरादि नौ आहुति
  24. स्विष्टकृत आहुति
  25. पवित्रप्रतिपत्ति
  26. संस्रवप्राशन 
  27. मार्जन
  28. पूर्णपात्र दान
  29. प्रणीता विमोक
  30. मार्जन 
  31. बर्हिहोम 
  32. पूर्णाहुति, आरती, भोग, विसर्जन  आदि
Puja Samagri

 वैकुण्ठ के द्वारा दी जाने वाली पूजन सामग्री:-

  • रोली, कलावा    
  • सिन्दूर, लवङ्ग 
  • इलाइची, सुपारी 
  • हल्दी, अबीर 
  • गुलाल, अभ्रक 
  • गङ्गाजल, गुलाबजल 
  • इत्र, शहद 
  • धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई 
  • यज्ञोपवीत, पीला सरसों 
  • देशी घी, कपूर 
  • माचिस, जौ 
  • दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा 
  • सफेद चन्दन, लाल चन्दन 
  • अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला 
  • चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का 
  • सप्तमृत्तिका 
  • सप्तधान्य, सर्वोषधि 
  • पञ्चरत्न, मिश्री 

हवन सामग्री एवं यज्ञपात्र :-

  • काला तिल 
  • चावल 
  • कमलगट्टा
  • हवन सामग्री, घी,गुग्गुल
  • गुड़ (बूरा या शक्कर)
  • बलिदान हेतु पापड़
  • काला उडद 
  • पूर्णपात्र -कटोरी या भगोनी
  • प्रोक्षणी, प्रणीता, स्रुवा, शुचि, स्फय - एक सेट
  • हवन कुण्ड ताम्र का 10/10  इंच या 12/12 इंच 
  • पिसा हुआ चन्दन 
  • नवग्रह समिधा
  • हवन समिधा 
  • घृत पात्र
  • कुशा
  • पंच पात्र

यजमान के द्वारा की जाने वाली व्यवस्था:-

  • वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का - 1
  • गाय का दूध - 100ML
  • दही - 50ML
  • मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार 
  • फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार )
  • दूर्वादल (घास ) - 1मुठ 
  • पान का पत्ता - 07
  • पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg
  • पुष्पमाला - 7 ( विभिन्न प्रकार का)
  • आम का पल्लव - 2
  • विल्वपत्र - 21
  • तुलसी पत्र -7
  • पानी वाला नारियल
  • शमी पत्र एवं पुष्प 
  • थाली - 2 , कटोरी - 5 ,लोटा - 2 , चम्मच - 2 आदि 
  • अखण्ड दीपक -1
  • तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित
  • देवताओं के लिए वस्त्र -  गमछा , धोती  आदि 
  • बैठने हेतु दरी,चादर,आसन 
  • गोदुग्ध,गोदधि

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