विष्णुसूक्त

विष्णु सूक्त पाठ एवं हवन

सूक्त पाठ एवं हवन | Duration : 4 Hours
Price Range: 5100 to 11000

About Puja

सर्वव्यापक होने के कारण परमेश्वर का एक नाम विष्णु भी है। भगवान् सूर्य को भी विष्णु का ही एक रूप माना गया है। भगवान् विष्णु इस जगत् के स्रष्टा हैं। वे पुरातन होते हुए भी नित्य नूतन स्वरूप में विद्यमान रहते हैं। समग्र सौन्दर्य का सार रूप भगवती श्री जी तथा परम समृद्धि स्वरुपा भगवती लक्ष्मी दोनों ही भगवान विष्णु की पत्नियाँ हैं। अतः भगवान् विष्णु की आराधना से परम ऐश्वर्य के साथ ही परम सौन्दर्य की भी प्राप्ति होती है। भगवान् विष्णु के अन्तर्गत ही समस्त विश्व व्याप्त है। तीनों लोकों को व्याप्तकर भगवान विष्णु विद्यमान हैं। आराधक की समस्त कामनाओं को पूर्ण करने वाले हैं। वामनावतार में भगवान् विष्णु ने ही भूमि, अन्तरिक्ष एवं द्युलोक को तीन पगों में माप लिया था। समस्त लोक लोकान्तर को धारण करने वाले भगवान् विष्णु ही है।अपरिमित वात्सल्यमय,भीतजनों को अभय प्राप्त कराने वाले,आर्त जनों के दुःख विनाशक,उदार- चेता, अगणित पापनाशक,गुणगण निलय, कल्याण दाता भगवान् विष्णु ही है। यद्यपि भगवान् विष्णु की कृपा निरन्तर जीव मात्र को प्राप्त होती है, कृपा करुणा के प्रत्यक्ष साक्षी प्रह्लाद , विभीषण  गजराज, द्रोपदी, ध्रुव आदि प्रत्यक्ष हैं।

Benefits

विष्णु सूक्त पाठ एवं हवन का माहात्म्य :-

  • इस सूक्तपाठ के द्वारा भगवान् विष्णु की उपासना से समस्त मनोभिलषित कार्यों की सिद्धि होती है।
  • विष्णुसूक्त के द्वारा किया गया हवन एवं अर्चन शीघ्र ही धन प्राप्ति कराने वाला होता है।
  • भगवान् विष्णु की उपासना से आयु की वृद्धि होती है।
  • विष्णु सूक्त का पाठ एवं हवन बुद्धि को निर्मल करता है।
  • परम समृद्धि की प्राप्ति कराने वाले विष्णुसूक्त के ये मन्त्र हैं।
  • धनहानि तथा, कुत्सित (गलत) प्रथ पर जाते हुए पुत्र पुत्री आदि को सन्मार्ग पर लाने के लिए विष्णु सूक्त का पाठ श्रद्धा से करानी चाहिए।
  • आसुरी बाधाओं का नाश करने में भी यह सूक्त बहुत उपयोगी है।
  • इस सूक्त का अनुष्ठानात्मक पाठ कराने से परिवारीजनों का अधःपतन नहीं होता है।
Process

विष्णु सूक्त पाठ एवं हवन में होने वाले प्रयोग या विधि:-

  1. स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
  2. प्रतिज्ञा सङ्कल्प
  3. गणपति गौरी पूजन
  4. कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
  5. पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
  6. षोडशमातृका पूजन
  7. सप्तघृतमातृका पूजन
  8. आयुष्यमन्त्रपाठ
  9. सांकल्पिक नान्दीमुखश्राद्ध (आभ्युदयिकश्राद्ध)
  10. नवग्रह मण्डल पूजन
  11. अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
  12. पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल , वास्तु पुरुष आवाहन एवं , पूजन 
  13. रक्षाविधान आदि
  14. प्रधान देवता पूजन
  15. पंचभूसंस्कार
  16. अग्नि स्थापन
  17. ब्रह्मा वरण 
  18. कुशकण्डिका
  19. आधार-आज्यभाग संज्ञक हवन
  20. घृताहुति
  21. मूलमन्त्र आहुति 
  22.  चरुहोम
  23. भूरादि नौ आहुति
  24.  स्विष्टकृत आहुति
  25. पवित्रप्रतिपत्ति
  26. संस्रवप्राशन 
  27. मार्जन
  28. पूर्णपात्र दान
  29. प्रणीता विमोक
  30. मार्जन 
  31. बर्हिहोम 
  32. पूर्णाहुति , आरती , भोग , विसर्जन  आदि
Puja Samagri

वैकुण्ठ के द्वारा दी जाने वाली पूजन सामग्री:-

  • रोली , कलावा    
  • सिन्दूर  लवङ्ग 
  • इलाइची, सुपारी 
  • हल्दी  अबीर 
  • गुलाल, अभ्रक 
  • गङ्गाजल, गुलाबजल 
  • इत्र, शहद 
  • धूपबत्ती, रुईबत्ती, रुई 
  • यज्ञोपवीत, पीला सरसों 
  • देशी घी, कपूर 
  • माचिस, जौ 
  • दोना बड़ा साइज , पञ्चमेवा 
  • सफेद चन्दन, लाल चन्दन 
  • अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला 
  • चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का 
  • सप्तमृत्तिका 
  • सप्तधान्य , सर्वोषधि 
  • पञ्चरत्न , मिश्री 
  • पीला कपड़ा सूती 

हवन सामग्री एवं यज्ञपात्र :-

  • काला तिल 
  • चावल 
  • कमलगट्टा,
  • हवन सामग्री, घी , गुग्गुल
  • गुड़ (बूरा या शक्कर)
  • बलिदान हेतु पापड़
  • काला उडद 
  • पूर्णपात्र -कटोरी या भगोनी
  • प्रोक्षणी, प्रणीता, सुवा, शुचि, स्फय - एक सेट
  • हवन कुण्ड ताम्र का 10/10  इंच या 12/12 इंच 
  • पिसा हुआ चन्दन 
  • नवग्रह समिधा
  • हवन समिधा 
  • घृत पात्र
  • कुशा
  • पंच पात्र

यजमान के द्वारा की जाने वाली व्यवस्था:-

  • वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का - 1
  • गाय का दूध - 100ML
  • दही - 50ML
  • मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार 
  • फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार )
  • दूर्वादल (घास ) - 1मुठ 
  • पान का पत्ता - 07
  • पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg
  • पुष्पमाला - 7 ( विभिन्न प्रकार का)
  • आम का पल्लव - 2
  • विल्वपत्र - 21
  • तुलसी पत्र -7
  • शमी पत्र एवं पुष्प 
  • थाली - 2 , कटोरी - 5 ,लोटा - 2 , चम्मच - 2 आदि 
  • अखण्ड दीपक -1
  • पानी वाला नारियल
  • देवताओं के लिए वस्त्र -  गमछा , धोती  आदि 
  • बैठने हेतु दरी,चादर,आसन 
  • तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित 
  • गोदुग्ध,गोदधि

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