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विवाह सूक्त (सोमसूर्य सूक्त) पाठ एवं हवन

सूक्त पाठ एवं हवन | Duration : 4 Hours 45 minute
Price : 12000
About Puja


      वैदिक सनातन परम्परा में षोडश संस्कारों के अन्तर्गत् विवाह संस्कार एक प्रमुख संस्कार है। इस सूक्त का वर्णन ऋग्वेद के दशम मण्डल में उपलब्ध होता है। इस सूक्त को सोमसूर्या सूक्त भी कहा जाता है। इस मन्त्र की  द्रष्टा ऋषिका सावित्री सूर्या हैं। वर एवं  वधू के अखण्ड सौभाग्य की कामना एवं प्रार्थना की गयी है। विवाह संस्कार में वधू को सौभाग्यशालिनी परमकल्याणकारिणी तथा मङ्गल प्रदान करने वाली कहा गया है। सोम, सूर्य आदि देवों की स्तुति भी इन सूक्तों के द्वारा की गयी है। सोमरस का निष्पादन, सोमलता नामक कल्याणकारिणी औषध को पीसकर किया जाता है। सोमरस के पान से इन्द्रादि देव बलवान्  होते है तथा  ब्रह्मवेत्ता ज्ञानी जन उसका उपयोग करने में समर्थ होते हैं।

         ऋग्वेद में सूर्यानामक कन्या के वर अश्विनी कुमार हैं, ऐसा कहा गया है।अश्विनी कुमारों को देवताओं का वैद्य माना जाता है, जो सभी प्रकार के रोगों का शमन करने में सर्वथा सक्षम होते हैं। सूर्या के वर्णन को ऋग्वेद में आलङ्कारिक रूप से प्रस्तुत किया गया है। यहाँ सूर्य एवं चन्द्र को सूर्या के रथचक्र के रूप में वर्णन किया गया है। सूर्य तो सकल भुवनों का दर्शन करता है और चन्द्रमा, मास,  ऋतु एवं  सम्वत् सर आदि का निर्माण करता है। सूर्य और चन्द्रमा की स्तुति के द्वारा दीर्घायुष्य की कामना की गयी।

Benefits

विवाह सूक्त (सोमसूर्या सूक्त) पाठ एवं हवन का माहात्म्य-

  • इन मन्त्रों के पाठ से दाम्पत्य जीवन मे निरन्तर रस की अभिवृद्धि होती रहती है, उनके मार्ग में आने वाली बाधाएँ समाप्त हो जाती हैं।
  • सत्कर्मों की ओर प्रवृत्त करने वाले ये विवाह सूक्त हैं।
  •  वर एवं वधू के समग्र अमङ्गल का विनाशक यह सूक्त पाठ है।
  • उत्तम सन्तति (पुत्रादि)को प्राप्त कराने की मङ्गलमयी भावना से इस सूक्त का पाठ अत्यन्त उपयोगी है।
  • यहाँ बताया गया है कि यदि पति अपनी पत्नी के वस्त्रों का उपयोग करता है तो पति का शरीर कान्ति रहित होकर रोग आदि से दूषित हो जाता है।
  •  यह सूक्त शत्रुनाशक भी  कहा गया है।
  • विवाह के समय वर वधू से कहता है कि सौभाग्य अभिवृद्धि के लिए मैं तुम्हारा पाणिग्रहण करता हूँ, देवताओं ने गृहस्थ धर्म का पालन करने के लिए तुम्हे, मुझे प्रदान किया है, तुम वृद्धावस्था पर्यन्त मेरे साथ सुख पूर्वक रहो ।
  • पति पत्नी के दीर्घायु की कामना इन विवाह सूक्त द्वारा की गयी है।
  •  वर और वधू का परस्पर वियोग कभी न हो गृहस्थ जीवन में पुत्र पौत्रादि सन्तति के साथ आनन्द -पूर्वक जीवन व्यतीत करें।
  • समग्र परिवार के लिए यह सूक्त सुखकारिणी तथा पत्नी का सुन्दर आचरण होवे,यह प्रार्थना की गयी है।
  • वधू, श्वसुर, सास, ननद एवं देवरों को प्रसन्न तथा सन्तुष्ट करने वाली हो।
  • गृह में साम्राज्ञी के पद पर प्रतिष्ठित होने की कामना की गई है।
  • इस सूक्त पाठ से पति-पत्नी का हृदय परस्पर प्रीत्यात्मक तथा मन एक दूसरे के अनुकूल होता है। 
  • इस प्रकार यह सूक्त वैवाहिक जीवन को मंगलमय बनाने के लिए परम उपयोगी है।
  • विधिपूर्वक पाठ तथा अनुष्ठान कराने से पति पत्नी का क्लेश(कलह) शान्त हो जाता है।
Process

विवाह सूक्त (सोमसूर्य सूक्त) पाठ एवं हवन  में होने वाले प्रयोग या विधि:-

  1. स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
  2. प्रतिज्ञा सङ्कल्प
  3. गणपति गौरी पूजन
  4. कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
  5. पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
  6. षोडशमातृका पूजन
  7. सप्तघृतमातृका पूजन
  8. आयुष्यमन्त्रपाठ
  9. सांकल्पिक नान्दीमुखश्राद्ध (आभ्युदयिकश्राद्ध)
  10. नवग्रह मण्डल पूजन
  11. अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
  12. पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं  पूजन 
  13. रक्षाविधान आदि
  14. प्रधान देवता पूजन
  15. पंचभूसंस्कार
  16. अग्नि स्थापन
  17. ब्रह्मा वरण 
  18. कुशकण्डिका
  19. आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन
  20. घृताहुति
  21. मूलमन्त्र आहुति 
  22.  चरुहोम
  23. भूरादि नौ आहुति
  24.  स्विष्टकृत आहुति
  25. पवित्रप्रतिपत्ति
  26. संस्रवप्राशन 
  27. मार्जन
  28. पूर्णपात्र दान
  29. प्रणीता विमोक
  30. मार्जन 
  31. बर्हिहोम 
  32. पूर्णाहुति, आरती, भोग, विसर्जन  आदि
Puja Samagri

 वैकुण्ठ के द्वारा दी जाने वाली पूजन  सामग्री

  • रोली, कलावा    
  • सिन्दूर, लवङ्ग 
  • इलाइची, सुपारी 
  • हल्दी, अबीर 
  • गुलाल, अभ्रक 
  • गङ्गाजल, गुलाबजल 
  • इत्र, शहद 
  • धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई 
  • यज्ञोपवीत, पीला सरसों 
  • देशी घी, कपूर 
  • माचिस, जौ 
  • दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा 
  • सफेद चन्दन, लाल चन्दन 
  • अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला 
  • चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का 
  • पानी वाला नारियल, सप्तमृत्तिका 
  • सप्तधान्य, सर्वोषधि 
  • पञ्चरत्न, मिश्री 
  • पीला कपड़ा सूती, तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित  
  • पंचगव्य गोघृत, गोमूत्र

हवन सामग्री एवं यज्ञपात्र :-

  • काला तिल 
  • जौ,चावल 
  •  कमलगट्टा, पंचमेवा 
  •  हवन सामग्री, घी,गुग्गुल
  • गुड़ (बूरा या शक्कर) ,गड़ी गोला 
  •  पान पत्ता, बलिदान हेतु पापड़
  • काला उडद 
  • पूर्णपात्र -कटोरी या भगोनी
  • प्रोक्षणी, प्रणीता, स्रुवा, शुचि, स्फय - एक सेट
  • हवन कुण्ड ताम्र का 10/10  इंच या 12/12 इंच 
  • कलश रखने के लिए मिट्टी का पात्र
  •  पिसा हुआ चन्दन 
  • नवग्रह समिधा
  •  हवन समिधा 
  •  घृत पात्र
  • कुशा
  • पंच पात्र

यजमान के द्वारा की जाने वाली व्यवस्था:-

  • वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का - 1
  • गाय का दूध - 100ML
  • दही - 50ML
  • मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार 
  • फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार )
  • दूर्वादल (घास ) - 1मुठ 
  • पान का पत्ता - 11
  • पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg
  • पुष्पमाला - 7 ( विभिन्न प्रकार का)
  • आम का पल्लव - 2
  • विल्वपत्र - 21
  • तुलसी पत्र -7
  • शमी पत्र एवं पुष्प 
  •  थाली - 2 , कटोरी - 5 ,लोटा - 2 , चम्मच - 2 आदि 
  • अखण्ड दीपक -1
  • देवताओं के लिए वस्त्र -  गमछा , धोती  आदि 
  • बैठने हेतु दरी,चादर,आसन 
  • गोदुग्ध,गोदधि,गोबर

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