जन्मदिन पूजा का महत्व एवं लाभ

जन्मदिन पूजा का महत्व एवं लाभ

जन्मदिवस हर एक व्यक्ति के जीवन का विशेष दिन होता है। आखिर हो भी क्यों ना, क्योंकि इसी दिन करोड़ों योनियों के बाद आत्मा को मनुष्य रूप में धरती पर जन्म लेने का सौभाग्य प्राप्त होता है। अपने मानव जीवन को पाकर व्यक्ति पन्चतत्व, ईष्ट देव, कुल देवता और अपने माता-पिता का आभारी होता है। पौराणिक काल से ही मनुष्य इस आभार को प्रकट करने के लिए जन्म दिवस के अवसर पर विशेष पूजा एवं हवन का आयोजन करते आ रहा है। कई लोग अपनी संतान के पहले जन्मदिवस पर विशेष पाठ रखते हैं, सफल भविष्य के लिए जन्मदिवस पर अष्टचिरंजिवी पूजा, ग्रह पूजन, षष्ठी देवी पूजन, कुल देवी देवता पूजन, मार्घण्डेय पूजन और मेघा सुक्त पाठ करवाना शुभ माना जाता है, जिससे जीवन में कठिनाई, दुख और पीड़ा दूर होते हैं और शांतिपूर्ण जीवन की प्राप्ति होती है लेकिन पश्चिमी संस्कृति का प्रभाव अब जन्मदिवस संस्कार पर भी दिखाई पड़ रहा है। आधुनिक युग में लोग जन्मदिन के अवसर पर पाठ-पूजा का महत्व भूलते जा रहे हैं। सांस्कृतिक सभ्यता के साथ व्यक्ति को धार्मिक कार्यक्रमों को भी संजोकर रखना चाहिए। जन्मदिवस के शुभ अवसर पर पाठ-पूजा के माध्यम से व्यक्ति स्वस्थ्य, रोग मुक्त, खुशहाल और सफल बन जाता है।  

जन्मदिन पर पूजा का महत्व   

आत्मा अमर है, हर जन्म में केवल शरीर बदलती है। मनुष्य का शरीर पन्च तत्वों (अग्नि, वायु, जल, आकाश और पृथ्वी) से मिलकर बना है और हमें मनुष्य होने के नाते पन्चतत्वों का विशेष आभार प्रकट करना चाहिए। जिसके लिए यज्ञ सबसे सर्वश्रेष्ठ विकल्प है और इसका उल्लेख यजुर्वेद में भी किया गया है। पन्चतत्व के साथ हमें भगवान का भी आभार प्रकट करना चाहिए, क्योंकि पन्चतत्व भगवान द्वारा ही बने हैं। जीवन में पन्चतत्वों के असंतुलित होने से बड़ी आपदा जैसै स्वास्थ्य, शिक्षा, धन आदि की हानि हो सकती है। भगवान की कृपा और पंचतत्वों को संतुलन में रखने के लिए जन्मदिवस पर यज्ञ और पाठ- पूजा तथा जन्मोत्सव पूजा विधि पूर्वक अवश्य ही करनी चाहिए।  

मनुष्य जीवन प्राप्त करने का अवसर अनेक योनियों के बाद मिलता है। इसलिए यह मानवीय जीवन का एक महत्वपूर्ण पर्व बन जाता है। इन योनियों में आत्मा को बहुत से कष्ट, असुविधा और अज्ञान के साथ जीवन यापन करना पड़ता है। मनुष्य जन्म पाना बड़े ही सौभाग्य की बात है, क्योंकि यह जीवन बाकी जीवों की तुलना में बेहद सरल है, वह जो चाहे उसे प्राप्त कर सकता है। लेकिन इसके विपरीत बाकी जीवों का जीवन अत्यंत कष्टकारी होता है। इसलिए मनुष्य जीवन में स्वयं से प्रेम करना अत्यंत आवश्यक है। स्वयं प्रेम से बढ़कर कुछ नहीं होता है, लेकिन तभी तक जब तक वह स्वार्थ की रेखा के नीचे है। क्योंकि यदि हम स्वयं से प्रेम नहीं कर सकते हैं तो अन्य लोगों से प्रेम की उम्मीद भी नहीं रख सकते हैं। इसलिए हमें प्रति वर्ष मनुष्य जीवन पाने की खुशी अवश्य ही मनानी चाहिए और भगवान का आभार प्रकट करना चाहिए।   

जन्मदिवस पर कौन सी पूजा की जाती हैं? 

नवग्रह शांति पूजन- मनुष्य जीवन में ग्रहों की भूमिका अहम होती है। शांतिपूर्ण जीवन के लिए ग्रहों की शांति भी आवश्यक है। ग्रहों के असंतुलित होने से शारीरिक तथा मानसिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, लेकिन जन्मदिवस पर नवग्रह शांति पूजन से ग्रहों को संतुलन में रखा जा सकता है।  

पहले जन्मदिन पर करें सत्यनारायण पाठ   

घर में सुख शांति और संमृद्धि हेतु सत्यनारायण कथा का पाठ किया जाता है। संतान के पहले जन्मदिवस पर सत्यनारायण कथा का पाठ और भी अधिक शुभ माना जाता है। क्योंकि इस पाठ के माध्यम से संतान के आगामी जीवन में सफलता की कामना की जाती है, सारे कष्ट और दुखों का निवारण होता है। सत्यनारायण पाठ से भगवान नारायण की असीम कृपा संतान पर बनीं रहती है, जिससे वह भविष्य में आने वाली कठिनाइयों का सामना बड़ी ही सरलता के साथ करता है।  

अष्टचिरंजीवी पूजा का महत्व 

जन्मदिवस पर दीर्घायु हेतु अष्टचिरंजीवी पूजन का विशेष विधान है। भगवान ने पृथ्वी पर जिस भी जीव और वस्तु को बनाया है वह एक दिन समाप्त हो जाती है, लेकिन हनुमान, भगवान परशुराम, अश्वथामा, व्यास, बलि, कृपाचार्य, विभिषण और ऋषि मार्कण्डेय चिरंजीव हैं। इसी प्रकार स्वंय और अपनी संतान को चिरंजीवी बनाने के लिए जन्मदिन के शुभ अवसर पर अष्टचिरंजीवी पूजा करवाते हैं। पूजा के समय इस श्लोक का पाठ अवश्य ही करना चाहिए।  

अश्वत्थामा बर्लिव्यासो हनूमांश्च विभीषण:।  

कृप: परशुरामश्च सप्तैते चिरजीविन:।। 

सप्तैतान् संस्मरेन्नित्यं मार्कण्डेयतथाष्टमम्। 

जीवेद्वर्षशतं सोपि सर्वव्याधिविवर्जित।। 

जन्मदिन पूजा के लाभ   

जिस प्रकार छात्र एक कक्षा पास होने के बाद दूसरी कक्षा में प्रवेश करने का हर्ष मनाता है, ठीक उसी प्रकार हमें अपने जीवन का हर वर्ष पूरा करने के बाद नए वर्ष में जाने की खुशी मनानी चाहिए। इसलिए जन्मदिवस हो या कोई और पर्व व्यक्ति को जीवन जीने की नई सीख देता है। जन्मदिवस के शुभ अवसर पर पूजा पाठ करवाना और भी अधिक शुभ होता है क्योंकि इससे आरोग्य एवं आयु में वृद्धि होती है। इस दिन व्यक्ति को अपने अतीत के लेखा जोखा का विश्लेषण कर भविष्य का निर्धारण करना चाहिए, ताकि वह भूतकाल की गलतियों को सीख बनाकर एक अच्छे भविष्य की तैयारी करने लगे। जन्मदिवस पर पूजा करवाने से मनुष्य अग्नि, वायु, जल, आकाश और पृथ्वी का आभार प्रकट करता है और भविष्य में होने वाली किसी भी प्रकार की हानि से बच सकता है।  

जन्मदिन पूजन के विशेष पन्चतत्व मन्त्र   

जन्मदिन पूजा को गायत्री यज्ञ और देव पूजन से जोड़कर रखा गया है। यदि परिस्थियां थोड़ी विपरीत हैं तो केवल दीपयज्ञ द्वारा भी जन्मदिन मनाया जा सकता है। जन्मदिन के शुभ अवसर पर यज्ञ द्वारा पन्चत्तवों को अपना आभार अवश्य ही प्रकट करना चाहिए। जन्मदिवस को लेकर यजुर्वेद में पन्चतत्व के लिए निम्न मन्त्र उल्लेखित हैं-  

पृथ्वी  

ॐ मही द्यौ: पृथिवी च न इमं यज्ञं मिमिक्षताम्। पिपृतां नो भरीमभि:।। ॐ पृथ्विव्यै नम:। आवाहयामि, स्थापयामि, पूजयामि।  

वरुण (जल)  

ॐ तत्त्वायामि ब्रह्मणा वन्दमानस्तदा शास्ते यजमानो हविर्भि:। अहेडमानो वरुणेह बोध्युरुश स मा न आयु: प्र मोषी:।। ॐ वरुणाय नम: आवाहयामि, स्थापयामि, पूजयामि।  

अग्नि  

ॐ अग्निमीडे पुरोहितं यज्ञस्य देवमृत्विजम्। होतारं रत्नधातमम्। ॐ अग्नये नम:। आवाहयामि, स्थापयामि, पूजयामि।  

वायु  

ॐ आ नो नियुद्भि: शतिनीभिरध्वरं सहस्त्रिणीभिरु प याहि यज्ञम्। वायो अस्मिन्त्सवने मादयस्व यूयं पात स्वस्तिभि: सदा न:।। ॐ वायवे नम: आवाहयामि, स्थापयामि, पूजयामि।  

आकाश   

ॐ घृतं घृतपावान: पिबत वसां वसापावान: पिबतन्तरिक्षस्य हविरसि स्वाहा। दिश: प्रदिश आदिशो विदिश उद्दिशो दिभग्य: स्वाहा।। ॐ आकाशय नम: आवाहयमि, स्थापयामि, पूजयामि।   

निष्कर्ष  

जन्मदिवस पर इन विशेष मन्त्रो द्वारा हवन करवाने से मनुष्य भगवान के साथ पन्चत्तवों का आभार प्रकट करता है। जिससे भविष्य में आने वाली विपदा रूक जाती है या फिर अपनी दिशा बदल लेती है। साथ ही जन्मदिन पूजन से दीर्घायु की प्राप्ति होती है और शारीरिक तथा मानसिक चिंताएं दूर होती हैं। भविष्य में सफलता और सुखी जीवन यापन के लिए अवश्य ही आपको जन्मदिन के शुभ अवसर पर विधिवत हवन पूजन करवाना चाहिए। हवन के पश्चात पन्चतत्व, माता-पिता, ईष्ट देव, कुल देवता आदि के समक्ष अपने सफल जीवन की कामना करनी चाहिए।  

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