अज्ञानवश हुए पाप एवं अन्तःकरण की शुद्धि हेतु करें गोविन्दाष्टकम् स्तोत्र का पाठ

अज्ञानवश हुए पाप एवं अन्तःकरण की शुद्धि हेतु करें गोविन्दाष्टकम् स्तोत्र का  पाठ

श्री आदिशंकराचार्य जी द्वारा विरचित यह स्तोत्र है | इस स्तोत्र में नौ श्लोक हैं जिसमें से प्रथम आठ श्लोकों में भगवान् श्री कृष्ण का चरित्र चित्रण किया गया है एवं अन्तिम के एक श्लोक में इस स्तोत्र पाठ का महात्म्य बताया गया है | जो साधक इस स्तोत्र का नित्यप्रति शुद्ध अन्तःकरण से पाठ करता है उसके सभी कृतपाप नष्ट हो जाते हैं और कृष्ण की शरणागति प्राप्त होती है |  

सत्यं ज्ञानमनन्तं नित्यमनाकाशं परमाकाशं
                     गोष्ठप्राङ्गणरिङ्गणलोलमनायासं परमायासम्।  
मायाकल्पितनानाकारमनाकारं  भुवनाकारं
                     क्ष्माया नाथमनाथं प्रणमत गोविन्दं परमानन्दम्।।१।।

जो सत्य, ज्ञानस्वरूप, अनन्त एवं नित्य हैं, आकाश से भिन्न होने पर भी परम आकाश स्वरूप हैं, जो व्रज के प्रांगण में चलते हुए चपल हो रहे हैं, परिश्रम से रहित होकर भी बहुत थके-से हो जाते हैं, आकारहीन होने पर भी माया निर्मित नाना स्वरूप धारण किये विश्वरूप से प्रकट हैं और पृथ्वीनाथ होकर भी अनाथ (बिना स्वामी के) हैं, उन परमानन्दमय गोविन्द की वन्दना करो।

मृत्स्नामत्सीहेति यशोदाताडनशैशवसंत्रासं
                     व्यादितवक्त्रालोकितलोकालोकचतुर्दशलोकालिम्।
लोकत्रयपुरमूलस्तम्भं लोकालोकमनालोकं
                      लोकेशं परमेशं प्रणमत गोविन्दं परमानन्दम्।।२।।

'क्या तू यहाँ मिट्टी खा रहा है?' यह पूछती हुई यशोदा द्वारा मारे जाने का जिन्हें शैशव कालोचित भय हो रहा है, मिट्टी न खाने का प्रमाण देने के लिये जो मुँह फैलाकर उसमें लोकालोक पर्वत सहित चौदह भुवन दिखला देते हैं, त्रिभुवनरूपी नगर के जो आधारस्तम्भ हैं, आलोक से परे (अर्थात् दर्शनातीत) होने पर भी जो विश्व के आलोक (प्रकाश) हैं, उन परमानन्दस्वरूप, लोकनाथ, परमेश्वर गोविन्द को नमस्कार करो।

त्रैविष्टपरिपुवीरघ्नं क्षितिभारघ्नं भवरोगघ्नं
                        कैवल्यं नवनीताहारमनाहारं भुवनाहारम्।
वैमल्यस्फुटचेतोवृत्तिविशेषाभासमनाभासं
                        शैवं केवलशान्तं प्रणमत गोविन्दं परमानन्दम्।।३।।

जो दैत्यवीरों के नाशक, पृथ्वी का भार हरने वाले और संसार रोग को मिटा देने वाले कैवल्य (मोक्ष) पद हैं, आहार रहित होकर भी नवनीत भोजी एवं विश्वभक्षी हैं, आभास से पृथक् होने पर भी मलरहित होने के कारण स्वच्छ चित्त की वृत्ति में जिनका विशेषरूप से आभास मिलता है, जो अद्वितीय, शान्त एवं कल्याणस्वरूप हैं, उन परमानन्दमय गोविन्दको प्रणाम करो।

गोपालं भूलीलाविग्रहगोपालं कुलगोपालं
                     गोपीखेलनगोवर्धनधृतिलीलालालितगोपालम्।
गोभिर्निगदितगोविन्दस्फुटनामानं बहुनामानं
                     गोपीगोचरदूरं प्रणमत गोविन्दं परमानन्दम्।।४।।

जो गौओं के पालक हैं, जिन्होंने पृथ्वी पर लीला करनेके निमित्त गोपाल-शरीर धारण किया है, जो वंश द्वारा भी गोपाल (ग्वाला) हो चुके हैं, गोपियों के साथ खेल करते हुए गोवर्धन धारण की लीला से जिन्होंने गोपजनों का पालन किया था, गौओं ने स्पष्टरूप से जिनका गोविन्द नाम बतलाया था, जिनके अनेकों नाम हैं, उन गोप तथा गोचर (इन्द्रियों के विषय) से पृथक् रहनेवाले परमानन्द रूप गोविन्द को प्रणाम करो।

गोपीमण्डलगोष्ठीभेदं भेदावस्थमभेदाभं
                    शश्वद्‌गोखुरनिर्धूतोद्धतधूलीधूसरसौभाग्यम्।
श्रद्धाभक्तिगृहीतानन्दमचिन्त्यं  चिन्तितसद्भावं
                    चिन्तामणिमहिमानं प्रणमत गोविन्दं परमानन्दम्।।५।।

जो गोपी जनों की गोष्ठी के भीतर प्रवेश करने वाले हैं, भेदावस्था में रहकर भी अभिन्न भासित होते हैं, जिन्हें सदा गायों के खुर से ऊपर उड़ी हुई धूलि द्वारा धूसरित होने का सौभाग्य प्राप्त है, जो श्रद्धा और भक्ति रखने से आनन्दित होते हैं, अचिन्त्य होने पर भी जिनके सद्भाव का चिन्तन किया गया है, उन चिन्तामणि के सदृश  महिमा वाले परमानन्दमय गोविन्द की वन्दना करो ।

स्नानव्याकुलयोषिद्वस्त्रमुपादायागमुपारूढं
                 व्यादित्सन्तीरथ दिग्वस्त्रा ह्युपदातुमुपाकर्षन्तम्।
निर्धूतद्वयशोकविमोहं बुद्धं बुद्धेरन्तःस्थं
                 सत्तामात्रशरीरं प्रणमत गोविन्दं परमानन्दम्।।६।।

स्नान में व्यग्र हुई गोपांगनाओं के वस्त्र लेकर जो वृक्ष पर चढ़ गये थे और जब उन्होंने वस्त्र लेना चाहा तब देने के लिये उन्हें पास बुलाने लगे, [ऐसा होने पर भी] जो शोक-मोह दोनों को ही मिटाने वाले ज्ञानस्वरूप एवं बुद्धि के भी परवर्ती हैं, सत्ता मात्र ही जिनका शरीर है ऐसे परमानन्दस्वरूप गोविन्द को नमस्कार करो।

कान्तं कारणकारणमादिमनादिं कालमनाभासं
                   कालिन्दीगतकालियशिरसि मुहुर्नृत्यन्तं नृत्यन्तम्।
कालं कालकलातीतं कलिताशेषं कलिदोषघ्नं
                   कालत्रयगतिहेतुं प्रणमत गोविन्दं परमानन्दम्।।७।।    

जो कमनीय, कारणों के भी आदिकारण, अनादि और आभास रहित कालस्वरूप होकर भी यमुनाजल में रहने वाले कालियनाग के मस्तक पर बारंबार नृत्य कर रहे थे, जो कालरूप होने पर भी काल की कलाओं से अतीत और सर्वज्ञ हैं, जो त्रिकालगति के कारण और कलियुगीय दोषों को नष्ट करने वाले हैं, उन परमानन्दस्वरूप गोविन्द को प्रणाम करो।

वृन्दावनभुवि वृन्दारकगणवृन्दाराध्यं वन्देऽहं
                  कुन्दाभामलमन्दस्मेरसुधानन्दं सुहृदानन्दम्।
वन्द्याशेषमहामुनिमानसवन्द्यानन्दपदद्वन्द्वं
                  वन्द्याशेषगुणाब्धिं प्रणमत गोविन्दं परमानन्दम्।।८।।

जो वृन्दावन की भूमि पर देववृन्द तथा वृन्दानाम की वनदेवता के आराध्य देव हैं, जिनकी कुन्द के समान निर्मल मन्द मुसकान में सुधा का आनन्द भरा है, जो मित्रों के आनन्ददायी हैं उन भगवान्‌ की मैं वन्दना करता हूँ। जिनका आमोदमय  चरणयुगल समस्त वन्दनीय महामुनियों के भी हृदय का वन्दनीय है, उन सम्पूर्ण शुभ गुणों के सागर परमानन्दमय गोविन्द को नमस्कार करो।

गोविन्दाष्टकमेतदधीते गोविन्दार्पितचेता यो
                    गोविन्दाच्युत माधवविष्णो गोकुलनायक कृष्णेति।
गोविन्दा‌ङ्घ्रिसरोजध्यानसुधाजलधौतसमस्ताघो
                     गोविन्दं परमानन्दामृतमन्तःस्थं स समभ्येति।।९।।

जो भगवान् गोविन्द में अपना चित्त लगा 'गोविन्द ! अच्युत ! माधव !विष्णो ! गोकुल नायक ! कृष्ण!' इत्यादि उच्चारण पूर्वक उनके चरणकमलों के ध्यान रूपी सुधासलिल से अपना समस्त पाप धोकर इस गोविन्दाष्टक का पाठ करता है, वह अपने अन्तःकरण में विद्यमान परमानन्दामृत रूप गोविन्द को प्राप्त कर लेता है।

“इस प्रकार श्रीमत् शंकराचार्यजी द्वारा विरचित गोविन्दाष्टकम् सम्पूर्ण हुआ” |  

वैदिक पद्धति से विशिष्ट पूजा-पाठ, यज्ञानुष्ठान, षोडश संस्कार, वैदिकसूक्ति पाठ, नवग्रह जप आदि के लिए हमारी साइट vaikunth.co पर जाएं तथा अभी बुक करें | 

Vaikunth Blogs

माघ स्नान का पौराणिक महत्व तथा गंगा स्नान के लिए पवित्र तीर्थ
माघ स्नान का पौराणिक महत्व तथा गंगा स्नान के लिए पवित्र तीर्थ

माघ मास को हमारे शास्त्रों में पुण्य प्राप्त करने वाला सर्वश्रेष्ठ मास माना गया है। क्योंकि इस मास म...

Makar Sankranti 2024: जानें शुभ मुहूर्त और मकर संक्रांति का महत्व
Makar Sankranti 2024: जानें शुभ मुहूर्त और मकर संक्रांति का महत्व

मकर संक्रांति प्रत्येक वर्ष 14 जनवरी या 15 जनवरी को पूरे भारत में हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है। यह...

The Legend Behind Holi and Its Rituals  
The Legend Behind Holi and Its Rituals  

As soon as you read the word "Holi', it induces joy, delight, and an image of colors flying in t...

Kartik Snan: कार्तिक मास में सूर्योदय से पूर्व स्नान का विशेष महत्व
Kartik Snan: कार्तिक मास में सूर्योदय से पूर्व स्नान का विशेष महत्व

कार्तिक मास भगवान विष्णु का प्रिय मास है। इस मास में किए गए कार्यों का फल मनुष्य को जीवनभर मिलता है।...

Bhai Dooj 2023: तिलक का शुभ मुहूर्त और यमुना स्नान का विशेष महत्व
Bhai Dooj 2023: तिलक का शुभ मुहूर्त और यमुना स्नान का विशेष महत्व

भाईदूज एक दूसरे के प्रति भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को दर्शाता है। हर वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष क...

Hanuman Jayanti 2024:  Date, Auspicious Time and Spiritual Significance
Hanuman Jayanti 2024: Date, Auspicious Time and Spiritual Significance

Hanuman Jayanti is marked by the birth anniversary of Lord Hanuman and is celebrated by Hindus all o...

 +91 |

By clicking on Login, I accept the Terms & Conditions and Privacy Policy

Recovery Account