Kartik Snan: कार्तिक मास में सूर्योदय से पूर्व स्नान का विशेष महत्व

Kartik Snan: कार्तिक मास में सूर्योदय से पूर्व स्नान का विशेष महत्व

कार्तिक मास भगवान विष्णु का प्रिय मास है। इस मास में किए गए कार्यों का फल मनुष्य को जीवनभर मिलता है। फिर चाहे वो पुण्य हो या फिर पाप। भागवत महापुराण के अनुसार कार्तिक मास में स्नान का विशेष महत्व होता है। क्योंकि कार्तिक महीने में भगवान विष्णु जल में वास करते हैं। यही कारण है कि लोग इस माह में गंगा स्नान कर भगवान विष्णु को अर्घ्य देते हैं। इस माह में विशेषकर सूर्योदय से पूर्व स्नान करने से मनचाहे फल की प्राप्ति होती है। 

कार्तिक मास के विशेष स्नान 

स्कन्दपुराण के अनुसार स्नान को कुल 4 भागों में बांटा गया है, जिसमें वायव्य, वारुण, ब्राह्म और दिव्य शामिल हैं। गोधूलि (गौशाला) में किए गए स्नान को वायव्य कहते हैं, समुद्र के जल से किए गए स्नान को वारुण, वेद मन्त्रों के उच्चारण के साथ जल से किए गए मार्जन को मंत्र स्नान अथवा ब्रह्म स्नान और सूर्य की किरणों के साथ वर्षा द्वारा किए गए स्नान को दिव्य स्नान कहा गया है। कार्तिक मास में इनमें से किया गया हर एक स्नान विशेष माना जाता है। 

कार्तिक मास में स्नान का महत्व  

स्कन्दपुराण के अनुसार, एक बार ऋषियों ने सूत जी से कार्तिक मास के महत्व के बारे में पूछा, तब सूत जी ने कहा, यही प्रश्न एक बार नारद जी ने ब्रह्मा जी से पूछा था कि मासों में मास, देवताओं में देवता और तीर्थ में सबसे सर्वश्रेष्ठ तीर्थ कौन सा है। तब ब्रह्मा जी ने उत्तर देते हुए कहा, मासों में कार्तिक मास, देवताओं में विष्णु भगवान और तीर्थों में बद्रीनाथ सबसे श्रेष्ठ है। इस महीने में किए गए पुण्यों का फल जीवन भर मिलता है और स्नान, दान, व्रत आदि से विष्णु भगवान बहुत प्रसन्न होते है। कहा जाता है कि जो व्यक्ति कार्तिक मास में सूर्योदय से पूर्व स्नान करता है उसे जीवन भर शुभ फल और पुण्य की प्राप्ति होती है।   

  • स्कन्दपुराण के अनुसार, एक बार ब्रह्मा जी ने एक तरफ व्रत, दान और नियम तो दूसरी तरफ कार्तिक स्नान को तौला, तब कार्तिक स्नान का पलड़ा अधिक भारी हुआ।  
  • इस महीने सुबह सूर्योदय से पहले स्नान करने से पापों का नाश होता है।   
  • कार्तिक मास में स्नान, शालग्रामशिला का दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।  
  • स्नान किसी भी नदी या तीर्थ में करें, लेकिन व्यक्ति को गंगा मैय्या और भगवान विष्णु का स्मरण अवश्य ही करना चाहिए।   

कार्तिक स्नान से सत्यभामा को मिले भगवान विष्णु 

सत्यभामा भगवान विष्णु की परम भक्त थीं और उन्होंने भगवान के दर्शन के लिए कठोर तप किया। पूर्व जन्म में सत्यभामा ने अपने पिता और पति की मृत्यु के बाद घर की वस्तुओं को बेचकर उनका पारलौकिक कर्म किया, दुखी और शोक में डुबे होने पर भी उन्होंने भगवान विष्णु की आराधना में कोई कमी नहीं होने दी। सत्यभामा ने भगवान विष्णु को पाने के लिए गंगा स्नान और व्रत का पालन किया। निर्धन होने पर भी वह रोजाना स्नान और दान करती रहीं। भगवान उनकी भक्ति से बहुत प्रसन्न हुए। द्नापर युग में सत्यभामा ने सत्राजित के घर जन्म लिया। सत्राजित ने भगवान कृष्ण को मणि चोर ठहराया, लेकिन जब भगवान कृष्ण मणि लेकर उनके समक्ष पहुंचे तो सत्राजित लज्जित हो गए और फिर उन्होंने माफी मांगने के बाद अपनी पुत्री सत्यभामा का विवाह भगवान कृष्ण से करवाया। सत्यभामा की पूर्व जन्म की तपस्या के फलस्वरूप ही उन्हें भगवान कृष्ण पति के रूप में मिले। 

कार्तिक पूर्णिमा गंगा स्नान का महत्व (Kartik Purnima Snan) 

संपूर्ण कार्तिक मास में गंगा स्नान का विशेष महत्व माना जाता है, क्योंकि इस माह में भगवान विष्णु स्वंय गंगा में वास करते हैं। इसके अलावा कार्तिक पूर्णिमा के दिन सूर्योदय के पूर्व गंगा स्नान करने से विष्णु भगवान की असीम कृपा भक्तों पर रहती है। 

  • यदि कोई व्यक्ति किसी कारणवश पूरे कार्तिक मास में सूर्योदय से पूर्व स्नान करने में समर्थ नहीं है, तो वह केवल कार्तिक पूर्णिमा के दिन स्नान कर लें तो भी उसे पुण्य की प्राप्ति होगी।   
  • पुराणों के अनुसार इस दिन स्वयं देवगण भी गंगा नदी में स्नान के लिए आते हैं।   
  • कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु का ध्यान, व्रत, पाठ- पूजा आदि करनी चाहिए।  
  • अच्छे फल की प्राप्ति के लिए कार्तिक पूर्णिमा के दिन स्नान के बाद दीप दान करना चाहिए।   
  • इस दिन कनकधारा स्तोत्र का पाठ एवं लक्ष्मी नारायण का पूजन- हवन करने से धन का अभाव कम होता है।  
  • इस दिन व्रत करने से एवं ब्राह्मण भोज करने से कल्याण की प्राप्ति होती है।  
  • कार्तिक पूर्णिमा में 5 बत्ती घी का दीपक पूर्णिमा प्रारंभ होते ही जला देना चाहिए. 
  • आपत्ति में पड़ा हुआ अथवा रोगी व्यक्ति यदि जल के अभाव के कारण कार्तिक स्नान करने में असमर्थ है, तो वह भगवान के नाम का मार्जन कर सकता है, जो कि गंगा स्नान के बराबर होता है। 

Vaikunth Blogs

महामृत्युञ्जय मन्त्र  : जानें इसका महत्व, लाभ और उत्तम विधि ।
महामृत्युञ्जय मन्त्र : जानें इसका महत्व, लाभ और उत्तम विधि ।

शिवपुराण और लिंगपुराण में महामृत्युंजय मंत्र का विशेष महत्व प्रतिपादित किया गया है । इस महामंत्र के...

उत्तम वर की प्राप्ति तथा समस्त संकटों के शमन हेतु करें “भुवनेश्वरी कात्यायनी स्तोत्र” का पाठ
उत्तम वर की प्राप्ति तथा समस्त संकटों के शमन हेतु करें “भुवनेश्वरी कात्यायनी स्तोत्र” का पाठ

श्री मार्कण्डेय महापुराण के अन्तर्गत् “भुवनेश्वरी कात्यायनी” की स्तुति हमें प्राप्त होती है | भगवती...

महामृत्युञ्जय मन्त्र के जप से मिलती है, हर बाधा से मुक्ति
महामृत्युञ्जय मन्त्र के जप से मिलती है, हर बाधा से मुक्ति

भगवान शिव के अनेक स्वरूप हैं, उनमें से भगवान शिव का एक रूप है महामृत्युंजय स्वरूप। जिसमें भगवान शिव...

अज्ञानवश हुए पाप एवं अन्तःकरण की शुद्धि हेतु करें गोविन्दाष्टकम् स्तोत्र का  पाठ
अज्ञानवश हुए पाप एवं अन्तःकरण की शुद्धि हेतु करें गोविन्दाष्टकम् स्तोत्र का पाठ

श्री आदिशंकराचार्य जी द्वारा विरचित यह स्तोत्र है | इस स्तोत्र में नौ श्लोक हैं जिसमें से प्रथम आठ श...

करियर में उन्नति प्राप्त करने के लिए करें ये उपाय  ।
करियर में उन्नति प्राप्त करने के लिए करें ये उपाय ।

प्रत्येक मनुष्य अपने करियर (भविष्य), और व्यापार,में निरन्तर उन्नति चाहता है । अपने करियर और व्यापार...

विवाह संस्कार से पूर्व क्यों होती है मेहंदी और हल्दी लगाने की परंपरा
विवाह संस्कार से पूर्व क्यों होती है मेहंदी और हल्दी लगाने की परंपरा

विवाह दो आत्माओं का एक ऐसा मेल है जो उनके अस्तित्व को एक में सम्मिलित कर नई ईकाई का निर्माण करता है।...

 +91 |

By clicking on Login, I accept the Terms & Conditions and Privacy Policy

Recovery Account