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वर्धापन (वर्षगाँठ-जन्मोत्सव, आनन्दोत्सव) का स्वरूप

संस्कार | Duration : 2 Hours 30 minute
Price : 11000
About Puja

          मानव जीवन- स्वास्थ्य रक्षण पूर्वक दीर्घायु एवं समृद्धि वैभव युक्त रहे, इसके लिए सनातन वैदिक संस्कृति एवं सभ्यता में प्रत्येक वर्ष जन्मतिथि या जन्म दिनाङ्क को वर्धापन (जन्मोत्सव, जन्मदिन) शास्त्रीय विधि से करने का विधान है।  प्रतिवर्ष जन्मतिथि के दिन  जन्मोत्सव करने का विधान है। प्रथम वर्ष पूर्ण होने के पश्चात् बालक, बालिका या परिवार के किसी भी सदस्य का जन्मोत्सव देव पूजन एवं पितृ पूजन के साथ करना चाहिए। बालक या बालिका जब छोटे हो तो उनका जन्मोत्सव पिता या परिवार के ज्येष्ठ जन, प्रतिनिधि के रूप में करें तथा बड़े होने पर स्वयं करें। इसके साथ ही  माता पिता आदि का जन्मोत्सव पुत्र को करना चाहिए, यह भी एक सद्पुत्र का विशेष कर्तव्य है। विशेष रूप से जन्मोत्सव के दिन अपने दुर्गुणों को दूर करनी चाहिए इसके साथ ही पञ्चतत्वों का पूजन तथा पञ्चतत्वों से निर्मित शरीर का शोधन करना चाहिए।

Benefits

जन्मोत्सव (वर्षगांठ)का शास्त्रीय माहात्म्य :-

  •  जन्मोत्सव बालक, बालिका या उस व्यक्ति विशेष की मङ्गल कामना के लिए एवं उत्तरोत्तर विकाश के लिए शास्त्रीयविधि से सम्पन्न कराना चाहिए।
  • जन्मोत्सव में समस्त देवी देवताओं का आवाहन, स्थापन एवं पूजन के साथ ही समस्त ज्येष्ठजनों के आशीर्वाद एवं दैवीय कृपा की प्राप्ति होती है, जो बालक, बालिका या उस व्यक्ति के उत्थान में सहायक होता है।
  • दोष (दुर्गुण) रहित बुद्धि, मेधा, प्रज्ञा के लिए जन्मोत्सव मनाने की शास्त्रीय परम्परा है।
  • जन्मोत्सव के दिन गोपूजन, देवपूजन एवं दान आदि सत्कर्मों से विघ्नों का हरण एवं मङ्गल की प्रतिष्ठा जीवन में होती है।
  • जन्मोत्सव मानव जीवन का महत्वपूर्ण कर्तव्य है। भगवत् कृपा से सुकृति करते हुए जन्मतिथी या जन्म दिनाङ्क को, हर्षित होकर जन्मदिन निश्चित ही मनानी चाहिए। जिसमें प्रखर विद्वान् द्वारा देव पूजन अवश्य करणीय है।
  • विघ्न रहित वर्ष की समाप्ति  भगवद् स्मरण एवं पूजन के साथ तथा जन्म  दिवस का प्रारम्भ भी देवपूजन स्मरण आदि से होता है।
Process

वर्धापन (वर्षगाँठ-जन्मोत्सव, आनन्दोत्सव)  में होने वाले प्रयोग या विधि:-

  1. स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
  2. प्रतिज्ञा सङ्कल्प
  3. गणपति गौरी पूजन
  4. कलश स्थापन एवं वरुणादि  देवताओं का पूजन
  5. कुलदेवता का आवाहन एवं  पूजन 
  6. पञ्चतत्व पूजन
  7.  जन्म नक्षत्र देवता साथ 45  देवताओं का आवाहन एव पूजन
  8. मारकण्डेय आदि सप्त चिरजीवियों का पूजन
  9. षष्ठी देवी एवं गौमाता का पूजन
  10. नवग्रह पूजन एवं प्रार्थना
  11. तिलगुड‌मिश्रित दुग्धपान
  •  हवन यजमान स्वयं निश्चित करें।
  • अंग्रेजी महीने के अनुसार भी किया जा सकता है।

 नोट - सनातन धर्म में सभी संस्कार तिथि के अनुसार ही निश्चित किया जाता है।

Puja Samagri

 वैकुण्ठ के द्वारा दी जाने वाली पूजन  सामग्री:-

  • रोली, कलावा    
  • सिन्दूर, लवङ्ग 
  • इलाइची, सुपारी 
  • हल्दी, अबीर 
  • गुलाल, अभ्रक 
  • गङ्गाजल, गुलाबजल 
  • इत्र, शहद 
  • धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई 
  • यज्ञोपवीत, पीला सरसों 
  • देशी घी, कपूर 
  • माचिस, जौ 
  • दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा 
  • सफेद चन्दन, लाल चन्दन 
  • अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला 
  • चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का 
  • पानी वाला नारियल, सप्तमृत्तिका 
  • सप्तधान्य, सर्वोषधि 
  • पञ्चरत्न, मिश्री 
  • पीला कपड़ा सूती, तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित  
  • पंचगव्य गोघृत, गोमूत्र

यजमान के द्वारा की जाने वाली व्यवस्था:-

  • वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का - 1
  • गाय का दूध - 100ML
  • दही - 50ML
  • मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार 
  • फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार )
  • दूर्वादल (घास ) - 1मुठ 
  • पान का पत्ता - 11
  • पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg
  • पुष्पमाला - 7 ( विभिन्न प्रकार का)
  • आम का पल्लव - 2
  • विल्वपत्र - 21
  • तुलसी पत्र -7
  • शमी पत्र एवं पुष्प 
  •  थाली - 2 , कटोरी - 5 ,लोटा - 2 , चम्मच - 2 आदि 
  • अखण्ड दीपक -1
  • देवताओं के लिए वस्त्र -  गमछा , धोती  आदि 
  • बैठने हेतु दरी,चादर,आसन 
  • गोदुग्ध,गोदधि,गोबर

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