कुंडली में मांगलिक दोष निवारण हेतु उपाय

कुंडली में मांगलिक दोष निवारण हेतु उपाय

हमारे जीवन की डोर हमारी कुंडली में होती है अर्थात् व्यक्ति की सफलता असफलता इस बात पर निर्भर करती है कि उसकी कुंडली के किस घर पर कौन सा ग्रह विराजमान है। इसी प्रकार से कुंडली में मंगल ग्रह की उपस्थिति अशुभ मानी जाती है, परंतु यह इस बात पर निर्भर करता है कि वह किस भाव में है। यदि कुंडली के पहले, चौथे, सातवें, आठवें एवं बारहवें भाव में मंगल ग्रह विराजमान होता है उसे मांगलिक या मंगल दोष कहा जाता है। इन भावों में मंगल का होना वैवाहिक जीवन के लिए अशुभ एवं गृह में क्लेश के संकेत देता है। यदि समय रहते इसके निवारण के लिए समाधान नहीं किया गया तो भविष्य में कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।  

मंगल ग्रह की स्थिति 

कुंडली में मंगल दोष होना इस बात का संकेत देता है कि उसके वैवाहिक जीवन, गृह क्लेश, व्यापार में नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। यद्यपि यह इस पर निर्भर करता है कि मंगल ग्रह किस भाव में विराजमान हैं। कुंडली के 1, 4, 7, 8 एवं 12वें भाव में मंगल की उपस्थिति व्यक्ति को मांगलिक दोष माना जाता है। यदि कुंडली के पहले भाव में मंगल है उसे स्वास्थ्य संबंधित विकारों का सामना करना पड़ सकता है। चौथे भाव में माता के लिए, सातवें भाव में जीवन साथी के लिए, आठवें में मृत्यु तुल्य कष्ट और बारहवें भाव में कारागार एवं अस्पताल संबंधि खर्चे हो सकते हैं।  

मंगल दोष के लक्षण 

व्यक्ति की कुंडली उसके जन्म के समय ग्रह नक्षत्र, गोचर एवं मुहूर्त को देखकर बनाई जाती है। तथा उसी समय पंडित द्वारा कुंडली में मांगलिक होने की जानकारी उनके माता पिता को बता दी जाती है, यद्यपि बहुत से लोग ऐसे भी होते हैं, जिन्हें ज्ञात नहीं होता कि उनकी कुंडली में मंगल दोष है या नहीं। इस बात में कोई संदेह नहीं है कि मंगल को कभी कुंडली से हटाया नहीं जा सकता है, लेकिन मंगल ग्रह के कारण आ रही जीवन में कठिनाई को दूर करने के लिए मंगल दोष का निवारण किया जा जाता है। कुंडली में मांगलिक दोष होने पर उसका प्रभाव इन लक्षणों में दिखता है-  

विवाह में विलंब मांगलिक दोष का एक सामान्य लक्षण है। 

पारिवारिक समस्याएं भी मांगलिक दोष का एक कारण हो सकती है।  

अत्यधिक क्रोध भी मांगलिक होने का संकेत देता है।  

उच्च रक्त चाप भी मांगलिक दोष को दर्शाता है।  

मंगल दोष निवारण के लिए क्या करें 

अनिष्टे भौमे शान्तिस्न्नानमाह- 

स्याच्चन्दन श्रीफलहिंगुलीक- 

श्यामाबलामांस्यरूणप्रसूनै: । 

हीबेरचाम्पेयजपांकुराढ्यैः 

स्नानं कुदायादकृताशिवघ्रम् ।। 

अर्थात्, मंगल दोष निवारण हेतु मंगल की शांति के लिए चन्दन, बिल्व, बैंगनमूल, प्रियंगू, बरियारा के बीज, जटामासी, लाल पुष्प, सुगन्ध बाला, नागकेशर एवं जपापुष्प से स्नान अवश्य करना चाहिए।  

मंगल दोष निवारण के लिए मंगलवार के दिन व्रत धारण करना चाहिए। जिसके लिए 45 या 21 मंगलवार के दिन व्रत कर सकते हैं। व्रत के दिन लाल वस्त्र धारण करें एवं “ॐ क्रां क्रीं क्रौं स: भौमाय नम:” मंत्र को 3, 5 या फिर 7 बार माला जप करें। इस व्रत को खोलने के लिए गुड़ से बने व्यंजनों का सेवन करें एवं नमक का सेवन बिलकुल भी ना करें।   

मंगल शान्ति के लिए शिव उपासना, हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए और मंगल ग्रह के मंत्र का 10 हजार जप ब्रह्मनिष्ठ ब्राह्मणों के द्वारा शास्त्रोक्त विधि से शुभ मुहूर्त में संपन्न करवाना चाहिए। 

मंगल ग्रह की शांति के लिए मंगल शांति जप एवं हवन करना चाहिए।  

मंगल ग्रह को शांत करने के लिए दाल, भूमि, तांबे के बर्तन एवं चांदी का दान अवश्य ही करें।  

मंगल ग्रह दोष निवारण के लाभ 

  • मंगल ग्रह की उपासना एवं मंगल शांति अनुष्ठान से मांगलिक दोष शांत होता है तथा विवाह में आ रही समस्त बाधाएं दूर होती है।  
  • ऋण से मुक्ति पाने के लिए ऋणमोचनमंगल स्तोत्र का पाठ विधिपूर्वक अवश्य ही करवाना चाहिए। 
  • यदि भूमि से संबंधित कोई अड़चने उत्पन्न हो रहीं हैं तो मंगल पूजन से अवश्य ही विजय की प्राप्ति होगी।  
  • किसी भी प्रकार के त्वचा संबंधित विकारों में मंगल पूजा लाभदायक सिद्ध होती है। 
  • मंगल ग्रह की पूजा से व्यक्ति को साहस एवं आत्मबल में बढ़ोतरी होती है एवं क्रोध शांत होता है।  
  • मंगल ग्रह शांति पूजा से गृह कलेश, घर से दारिद्रता एवं दु:ख का नाश होता है।  
  • उपरोक्त उपायों को अपनाकर आप निश्चित ही कुंडली से मंगल दोष का निवारण कर सकते हैं। 

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