जानें बसंत पंचमी में क्यों की जाती है मां सरस्वती की पूजा

जानें बसंत पंचमी में क्यों की जाती है मां सरस्वती की पूजा

बसंत पंचमी प्रत्येक वर्ष माघ मास की शुक्ल पक्ष के पंचमी तिथि को मनाई जाती है, जिसमें विद्या की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती माता की पूजा अर्चना की जाती है। पुराणों के अनुसार बसंत पंचमी के दिन ही ज्ञान की अधिष्ठात्री देवी माता सरस्वती का प्रादुर्भाव हुआ था। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार वर्ष को छह ऋतुओं में विभाजित किया गया है। जिसमें बसंत ऋतु को ऋतुओं का राजा कहा जाता है और इसी दिन से बसंत ऋतु की भी शुरूआत होती है। बसंत पंचमी के दिन विद्यालय एवं शैक्षणिक स्थलों में माता सरस्वती की पूजा-अर्चना की जाती है और माता से ज्ञान एवं विद्या का आशीर्वाद मांगा जाता है।   

सरस्वती पूजा का मुहूर्त  

किसी भी शुभ कार्य को करने के लिए ज्योतिष शास्त्रों में शुभ मुहूर्त निर्धारित की गया है। जिसमें पूजा एवं मांगलिक कार्य करने से व्यक्ति का कार्य शुभ होता है। इसी प्रकार से इस बार बसंत पंचमी 14 फरवरी, बुधवार को पड़ रही है। जिसमें पूजा का शुभ मुहूर्त प्रात: 8:39 से 11: 47 तक है। इस मुहूर्त में माता सरस्वती की पूजा  एवं अर्चना निश्चित ही करनी चाहिए। पूजन के पश्चात् विद्या की अभिलाषा करने वाले विद्यार्थियों को “ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः” मंत्र का जप अवश्य ही करना चाहिए।  

सरस्वती माता की पूजा का महत्व   

बसंत पंचमी के दिन विद्या प्राप्ति के लिए सरस्वती माता की पूजा एवं आराधना की जाती है। क्योंकि सरस्वती माता ज्ञान की देवी हैं। इनके पूजन से ज्ञान, बुद्धि, मेधा, प्रज्ञा एवं तर्क-शक्ति में वृद्धि होती है। सरस्वती माता समस्त साधकों को कार्यक्षेत्र एवं शैक्षणिक कार्यों में सफलता पाने का आशीर्वाद प्रदान करती हैं। बसंत पंचमी के दिन सरस्वती माता की कृपा पाने के लिए सरस्वस्ती सूक्त का पाठ तथा सरस्वती होम किया जाता है। माता की उपासना से विद्यार्थियों को आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिसके प्रभाव से विद्यार्थियों के जीवन से अंधकार रूपी अज्ञान का विनाश हो जाता है तथा ज्ञान रूपी प्रकाश का उदय होता है, यद्यपि माता सरस्वती की उपासना प्रतिदिन ही करनी चाहिए, लेकिन जिस दिन माता का प्रादुर्भाव हुआ है, अर्थात् बसंत पंचमी के दिन उनकी पूजा करने से भक्तजनों को विशिष्ट फलों की प्राप्ति होती है। माता सरस्वती भक्तों की भक्ति से प्रसन्न होकर उनकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं। साथ ही सरस्वती माता के आशीर्वाद से व्यवसाय संबंधित विघ्न भी दूर हो जाते हैं।   

सरस्वती माता की पूजन विधि  

  • सरस्वती माता के पूजन के लिए बसंत पंचमी के दिन प्रात: ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करना चाहिए और फिर श्वेत या पीले वस्त्र धारण करें, क्योंकि माता को श्वेत एवं पीला रंग अति प्रिय है।   
  • सरस्वती माता की प्रतिमा ईशान कोण में स्थापित करें।  
  • माता को श्वेत अथवा पीले वस्त्र एवं पुष्प अर्पित करें।   
  • संभव हो तो पूजा के स्थान पर वाद्य यंत्र या वीणा को रखकर उसकी पूजा करें।   
  • इस दिन विशेष रूप से ग्रंथालयों में ग्रथों की पूजा अनिवार्य रूप से करें।  
  • इस दिन स्मरण शक्ति को बढ़ाने के लिए मेधा सूक्त का पाठ करें अथवा करवाएं। 
  • सरस्वती सूक्त का भी पाठ करवाना चाहिए।   

इस श्लोक के द्वारा मां सरस्वती का स्मरण करें- 

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला, या शुभ्रवस्त्रावृता।   
या वीणा वर दण्डमण्डित करा, या श्वेत पद्मासना।।   
या ब्रह्माऽच्युत शंकर: प्रभृतिर्भि: देवै: सदा वन्दिता।   
सा मां पातु सरस्वती भगवती, नि:शेषजाड्यापहा।।  

अर्थात्, जो कुन्द के पुष्प, चन्द्रमा, बर्क तथा हार के सदृश श्वेत हैं, जो श्वेत वस्त्र धारण करती हैं, जिनके हाथ में वीणा सुशोभित हो रही है, जो श्वेत कमल के आसन पर बैठती हैं, ब्रह्मा, विष्णु, महेश आदि त्रिदेव जिनकी निरंतर स्तुति करते हैं और जो सर्वविध से अज्ञान का हरण करती हैं, वो भगवती सरस्वती मेरी रक्षा करें।  

माता सरस्वती के वीणा की ध्वनि का महत्व  

माता सरस्वती का वाद्य यंत्र वीणा है, जिसकी ध्वनि इतनी प्रभावित है कि उससे निकलने वाला स्वर मानव मात्र के अज्ञान रूपी अंधकार का सर्वथा नाश कर देता है, तथा सत चित आनंद स्वरूप ज्ञान का प्रकाश करता है। इसलिए उसे ज्ञान वीणा कहा जाता है। वीणा एक परमंगलमय एवं पौराणिक यंत्र है, जिसके सप्त स्वरों में स्वरों के अधिष्ठात्री देवताओं का वास होता है।  ऐसा भी माना जाता है कि वीणा की ध्वनि से रोगी के रोग नष्ट हो जाते हैं। सीमन्तोन्नयन संस्कार के समय गृभिणी माताओं को वीणा की ध्वनि सुनने का शास्त्रीय विधान है। वीणा ध्वनि सुनने मात्र से उस गृभस्थ शिशु के मस्तिष्क पर विशेष प्रभाव पड़ता है।  

माता सरस्वती के पूजन का लाभ   

  • माता सरस्वती की पूजा एवं मंत्र जप से विद्यार्थियों की सोई हुई मेधा जागृत होती है।   
  • शैक्षणिक परीक्षा में सफलता पाने के लिए विद्यार्थियों को माता सरस्वती का पूजन तथा मंत्र का जप अवश्य ही करना चाहिए।  
  • माता सरस्वती की उपासना से साधक को अष्टविध ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।  
  • विद्यार्थियों की उपासना से प्रसन्न होकर सरस्वती माता उनकी जीह्वा पर विराजमान हो जाती हैं।   

बसंत पंचमी के दिन इन बातों का रखें विशेष ध्यान  

बसंत पंचमी के दिन माता की पूजा अराधना तो करनी चाहिए, लेकिन इसके विपरीत कुछ भी ऐसा कार्य ना करें जिससे माता रूष्ट हो जाए।   

  • बसंत पंचमी के दिन किसी को अपशब्द ना कहें, क्योंकि इस दिन माना जाता है कि माता सरस्वती कुछ क्षणों के लिए जातकों के जीह्वा पर विराजमान होती हैं। तो इस दिन कहे गए वचन सत्य हो जाते हैं।   
  • देर तक ना सोएं, प्रात: जल्दी उठकर माता का पूजन करें।  
  • इस दिन साधक मास मदिरा का सेवन बिलकुल ना करें।   
  • साधक इस दिन ब्रह्मचार्य का पालन अवश्य करें।   
  • बसंत पंचमी के दिन तामसिक आहार बिलकुल ना खाएं, केवल सात्विक आहार ही ग्रहण करें। 
  • इस दिन ग्रंथों एवं पुस्तकों को अवश्य ही पढ़ें।    

तो, इस प्रकार से आप उपरोक्त विधि से सरस्वती माता का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। लेकिन यदि आप वैदिक विधि द्वारा माता सरस्वती की पूजन विधि संपन्न करवाना चाहते हैं, तो वैकुण्ठ आपकी सहायता कर सकता है। जिसके माध्यम से सनातन संस्कृति की प्रत्येक पूजा, अनुष्ठान, यज्ञ एवं हवन संपन्न करवाए जाते हैं।

Vaikunth Blogs

कुंडली में मांगलिक दोष निवारण हेतु उपाय
कुंडली में मांगलिक दोष निवारण हेतु उपाय

हमारे जीवन की डोर हमारी कुंडली में होती है अर्थात् व्यक्ति की सफलता असफलता इस बात पर निर्भर करती है...

महामृत्युञ्जय मन्त्र के जप से मिलती है, हर बाधा से मुक्ति
महामृत्युञ्जय मन्त्र के जप से मिलती है, हर बाधा से मुक्ति

भगवान शिव के अनेक स्वरूप हैं, उनमें से भगवान शिव का एक रूप है महामृत्युंजय स्वरूप। जिसमें भगवान शिव...

कुण्डली के समस्त भावों पर सूर्य ग्रह का प्रभाव तथा फल
कुण्डली के समस्त भावों पर सूर्य ग्रह का प्रभाव तथा फल

ज्योतिष शास्त्र में सूर्य का विशेष महत्व है। भगवान सूर्य समस्त जगत की आत्मा के रूप में प्रतिष्ठित है...

जानें स्कन्दषष्ठी का पूजन-अर्चन तथा माहात्म्य
जानें स्कन्दषष्ठी का पूजन-अर्चन तथा माहात्म्य

।। स्कन्द षष्ठी व्रत ।। कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की षष्ठी तिथि को स्कन्द षष्ठी का व्रत किया जाता...

What is Akshaya Tritya and Why is it Celebrated?
What is Akshaya Tritya and Why is it Celebrated?

Akshaya Tritya also known as Akha Teej or Akti is a significant day of the Sanatan Dharm that celebr...

महामृत्युंजय मंत्र के जप का वैदिक एवं पौराणिक महत्व
महामृत्युंजय मंत्र के जप का वैदिक एवं पौराणिक महत्व

पुराणों में महामृत्युंजय मन्त्र जप एवं अनुष्ठान को विशेष प्रभावी बताया गया है, इसका उल्लेख ऋग्वेद, य...

 +91 |

By clicking on Login, I accept the Terms & Conditions and Privacy Policy

Recovery Account