श्रावण माह में भगवान् शिव का अभिषेक करने से होते हैं ये लाभ

श्रावण माह में भगवान् शिव का अभिषेक करने से होते हैं ये लाभ

हिन्दू पंचाग के अनुसार श्रावण मास,वर्ष के एक माह का नाम है, जो धार्मिक दृष्टिकोण से विशेष महत्व रखता है। श्रावण माह भगवान् शिव को समर्पित है और यह माह शिवजी को अत्यन्त प्रिय भी है, इसलिए भक्त भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए इस माह में  धूम-धाम से पूजा-अर्चना करते हैं । श्रावण माह के प्रत्येक सोमवार को 'श्रावण सोमवार' के रूप में जाना जाता है और भक्त इस मास में आने वाले प्रत्येक सोमवार को व्रत भी करते  हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस माह  में भोलेनाथ का जलाभिषेक करने से भगवान् शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं और भक्तों की समस्त मनोकामनाओं को अवश्य पूर्ण करते हैं।

आशुतोष भगवान् सदाशिव की उपासना में रुद्राष्टाध्यायी का विशेष माहात्म्य है। शिवपुराणमें सनकादि ऋषियों के प्रश्न करने पर स्वयं शिवजी ने रुद्राष्टाध्यायी के मन्त्रों द्वारा अभिषेक का माहात्म्य बतलाते हुए कहा है कि मन, कर्म तथा वाणीसे परम पवित्र तथा सभी प्रकारकी आसक्तियोंसे रहित होकर भगवान् शूलपाणिकी प्रसन्नताके लिये रुद्राभिषेक करना चाहिये। इससे वह भगवान् शिव की कृपा से सभी कामनाओंको प्राप्त करता है और अन्तमें परम गतिको प्राप्त होता है। रुद्राष्टाध्यायीद्वारा रुद्राभिषेक से मनुष्यों की कुलपरम्परा को भी आनन्द की प्राप्ति होती है-

मनसा कर्मणा वाचा शुचिः संगविवर्जितः । कुर्याद् रुद्राभिषेकं च प्रीतये शूलपाणिनः ॥ 
सर्वान् कामानवाप्नोति लभते परमां गतिम् । नन्दते च कुलं पुंसां श्रीमच्छम्भुप्रसादतः ॥       

शिवपुराण और लिंगपुराण के अनुसार भगवान् शिव की उपासना करने से व्यक्ति को कई जन्मों के पुण्यों का लाभ प्राप्त होता है। वहीँ ज्योतिषशास्त्र के अनुसार श्रावण माह में भोलेनाथ को शीघ्र प्रसन्न करने के लिए रुद्राभिषेक को सबसे महत्वपूर्ण उपाय माना गया है । ऐसा करने से भगवान् शिव की कृपा अवश्य प्राप्त होती है और उनके आशीर्वाद से मनुष्य के जीवन में सुख-समृद्धि व्याप्त होती  है। यही कारण है कि श्रावण माह में भगवान् शिव का अभिषेक करना या कराना अत्यन्त शुभ माना गया है। 

आपको बता दें-  कि भगवान् शिव का अभिषेक करने से भिन्न लाभ प्राप्त होते हैं । 
        
तो आइए जानते हैं विभिन्न सामग्रियों से अभिषेक करने के लाभ :- 

•    वृष्टि (वर्षा ) हेतु करें इस द्रव्य से अभिषेक :
 
“जलेन वृष्टि माप्नोति” यदि वातावरण के अधिक शुष्क होने के कारण अधिक उष्मता बढ़ जाती है या कहीं सूखा पड़ जाता है तो इसके निमित्त वृष्टि (वर्षा) हेतु हमें भगवान् शिव का जल से अभिषेक करते हुए प्रार्थना करनी चाहिए ।

•    व्याधि (विशेष रोग) की शान्ति हेतु :-

“व्याधि शान्त्यै कुशोदकै:” अर्थात् यदि किसी मनुष्य के शरीर में किसी भी प्रकार का कोई रोग विशेष हो गया है तो उसकी शांति हेतु कुश मिश्रित जल से अभिषेक करना चाहिए । इससे अवश्य ही शीघ्र भगवान् आशुतोष की कृपा से उसे उस रोग विशेष से मुक्ति प्राप्त होगी ।

•    पशु प्राप्ति के निमित्त :- 

“दध्ना च पशुकामाय” अर्थात् पशु प्राप्ति हेतु दधि से भगवान् शिव का अभिषेक करना चाहिए ।

•    लक्ष्मी प्राप्ति हेतु :- 

“श्रिया इक्षुरसेन च” अर्थात् प्रत्येक मनुष्य धन की इच्छा रखता है क्योंकि धन से ही मनुष्य समस्त भौतिक सामग्रियों का भोग कर पाता है अतः लक्ष्मी की प्राप्ति हेतु गन्ने के रस से भगवान् शिव का अभिषेक हमें करना चाहिए तथा “मध्वाज्येन धनार्थी”  धन प्राप्ति हेतु मधु और घी से विशेष अभिषेक करना चाहिए । 

•    मोक्ष प्राप्ति हेतु :-

  मुमुक्षुस्तीर्थ वारिणा” अर्थात् मोक्ष प्राप्ति हेतु तीर्थ के जल से अभिषेक करना चाहिए । 

•    संतान  प्राप्ति हेतु :- 

“संतान माप्नोति पयसा” अर्थात् संतान-सुख प्रत्येक माता-पिता की कामना होती है परन्तु कुछ ऐसे भी दम्पति होते हैं जिनके जीवन में विभिन्न समस्याओं के रहते संतान प्राप्ति में बाधा उत्पन्न हो जाती है अतः इस समस्या से निवृत्ति हेतु दूध द्वारा भगवान् शिव का अभिषेक करना चाहिए ।

•    मृत संतान उत्पत्ति से मुक्ति हेतु करें इस द्रव्य विशेष से अभिषेक :

“वन्ध्या वा काकवन्ध्या मृतवत्सा च यांगना” अर्थात् वन्ध्या, काकवन्ध्या (मात्र एक संतान उत्पन्न करने वाली ) अथवा मृतवत्सा स्त्री (जिनकी संतान उत्पन्न होते ही मृत हो जाती है ) तो उसकी निवृत्ति हेतु गाय के दूध से अभिषेक करना चाहिए ।

•    अज्ञान से निवृत्ति हेतु :-

“शर्करा मिश्रिता तत्र यदा बुद्धि: जड़ा भवेत्” अर्थात् मेधा वृद्धि और अज्ञान निवृत्ति हेतु शक्कर मिश्रित दूध से अभिषेक करना चाहिए ।

•    शत्रुनाश के निमित्त :- 

“सार्षपेणैव तैलेन शत्रुनाशो भवेदिह” अर्थात् शत्रु नाश हेतु सरसों के तेल से अभिषेक करना चाहिए ।

इस प्रकार विभिन्न द्रव्यों से अभिषेक का यह फल है इसलिए मनुष्य को जिस वस्तु प्राप्ति की अभिलाषा हो उसके निमित्त द्रव्य से ही अभिषेक करना चाहिए । इस प्रकार विभिन्न समस्याओं से मुक्ति प्राप्ति हेतु अभिषेक का माहात्मय शास्त्रवर्णित है । 

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