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तिलकोत्सव

संस्कार | Duration : 2 Hours
Price : 15000
About Puja

       षोडश संस्कारों में विवाह नामक प्रमुख संस्कार जब वर और वधू दोनों पक्षों में सर्वप्रकार से सुनिश्चित हो जाता है, तब आचार्य (पण्डित जी) के द्वारा विवाह के शुभ मुहूर्त का निश्चय किया जाता है, उसी समय तिलकोत्सव के लिए भी शुभ दिन का निर्धारण कर लिया जाता है। तिलकोत्सव वर पक्ष के यहाँ कन्या पक्ष के द्वारा सम्पादित किया जाता है। इस उत्सव में कन्या पक्ष के लोग वर पक्ष के घर जाते है तथा वर पक्ष के लोगों के साथ ही वर के लिए उपहार, मिष्ठान्न, फल, नारियल, रजतकलश, पान इत्यादि विभिन्न प्रकार की सामग्री लेकर जाते हैं। वरपक्ष में भी सभी सम्बधीजन  उपस्थित रहते है। दोनों पक्ष के विशिष्ट जनों की उपस्थिति में कन्या के भाई या पिता के द्वारा वरका तिलक करण किया जाता है, तिलक से पूर्व वैदिक तथा पौराणिक स्वस्तिवाचन, मङ्ग‌लश्लोकपाठ, गणपतिगौरी पूजन, वरुणादि देवताओं का पूजन, नवग्रहस्मरण आदि के पश्चात् कन्या के भाई के द्वारा वर का पादप्रक्षालन तिलककरण तथा तम्बूलदान के साथ ही माल्यार्पण किया जाता है। तिलक होने के पश्चात् दोनों पक्षों में वैवाहिक उत्सव की दृढता सुनिश्चित हो जाती है। परस्पर एक दूसरे से मिलना तथा वस्तुओं का आदान प्रदान होता है। इस प्रकार तिलकोत्सव को सम्पन्न करते हैं।

Benefits

तिलकोत्सव का माहात्म्य:-

  • माङ्गलिक तथा पारम्परिक गीतों के द्वारा प्रारम्भ यह उत्सव जो पूरे समारोह के सगुन (शुभ) बना देता है।
  • वैवाहिक कार्य की निर्विघ्नता सिद्धि के लिए देवताओं का पूजन, अर्चन एवं वन्दन होता है, जिससे विघ्न बाधा रहित समारोह सम्पन्न होता है।
  • तिलकोत्सव में परिवार, रिस्तेदार, सम्बन्धिजन परस्पर एक दूसरे से मिलने पर भाईचारा एवं बन्धुत्व का विकाश होता है।
  •  मङ्गल तिलक के विषय में कथन है-आदित्या वसवो रुद्रा विश्वेदेवाः मरुद्गणाः।
     तिलकं ते प्रयच्छन्तु धर्मकामार्थसिद्धये ।।

  • तिलकोत्सव के समय द्वादश आदित्य, अष्टवसु, विश्वेदेव, समस्त मरुद्गण, आप सभी तिलक के माध्यम से धर्म,अर्थ तथा कामनाओं की प्राप्ति कराएं।

Process

विवाह संस्कार के अन्तर्गत् तिलक (सगाई ) में होने वाले प्रयोग या विधि:-

  1.  मङ्गल मन्त्रपाठ
  2. स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
  3.  वरवृत्तिग्रहण सङ्कल्प
  4. गणेशाम्बिका पूजन
  5. कलश स्थापन, षोडशमातृका
  6. सप्तघृत मातृका,नवग्रह आदि 
  7. देवताओं का आवाहन एवं पूजन 
  8. वरपूजन (पाद प्रक्षालन, तिलककरण, माल्यार्पण)
  9. वरवरण सङ्कल्प
  10. दक्षिणदान, ब्राह्मण भोजन
  11. विसर्जन, भगवत् स्मरण
Puja Samagri

तिलकोत्सव

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