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अक्षरारम्भ (अक्षरज्ञान)

संस्कार | Duration : 4 Hours
Price : 11000
About Puja

              इस संस्कार को लोक व्यवहार में विद्यारम्भ संस्कार अथवा पाटी पूजन के नाम से भी जाना जाता है। प्रत्येक शुभ कर्म के पूर्व आदिपूज्य श्री गणपति पूजन का विधान है। अक्षरारम्भ संस्कार में भी श्री गणेश जी की ध्यान एवं विशेष पूजन का नियम है। मानव जीवन के लिए यह संस्कार अत्यंत महत्वपूर्ण है। बालक या बालिका को पांचवे वर्ष में अक्षरारम्भ संस्कार किया जाना चाहिए, या जब वह अक्षरों को पढ़ने में समर्थ हो जाए, बोलने लगे तभी शुभ मुहूर्त में यह संस्कार करना चाहिए। इस संस्कार के अवसर पर सर्वविघ्नहरण मङ्गलकरण भगवान् गणपति, वीणावादिनि ज्ञानदायिनी माता सरस्वती, गोत्र शाखा और प्रवर के अनुसार कुलदेवता,पूज्य गुरु और लक्ष्मी- नारायण का विधि विधान से पूजन किया जाता है। अक्षर पद परमात्मा का वाचक है, अतः उनका  अपर संज्ञा ब्रह्म है अक्षरारम्भ संस्कार में अक्षर के द्वारा ब्रह्मज्ञान के संस्कार का बीजारोपण किया जाता है। अनेक आचार्यों के मत में यह संस्कार अत्यन्त ही आवश्यक है। माता पिता निश्चित ही अपने बालक एवं बालिका का अक्षरारम्भ संस्कार वेदज्ञ ब्राह्मणों के द्वारा सम्पन्न करावें।

Benefits

अक्षरारम्भ संस्कार का माहात्म्य:-

  • यह संस्कार शिशु की बुद्धि का सम्वर्धक एवं समर्थक होता है।
  • यह संस्कार विधिपूर्वक शास्त्रानुसार संपन्न कराने से शिशु में अध्ययन के प्रति रुचि उत्पन्न करता है।
  • अक्षरारम्भ संस्कार से बालक या बालिका में उत्तम संस्कारों को स्थापित किया जाता है।
  • कर्तव्य के प्रति सचेष्ट होने के लिए इस संस्कार से बीजारोपण होता है।
  • शिक्षा एवं ज्ञान के प्रति बालक या बालिका में जिज्ञासा एवं पिपासा का अंकुरण उत्पन्न होता है।
  • अक्षरारम्भ संस्कार से किसी भी बालक या बालिका को उसके माता-पिता के द्वारा वंचित नहीं करना चाहिए।
Process

अक्षरारम्भ (अक्षरज्ञान) में होने वाले प्रयोग या विधि-

  1. स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
  2. प्रतिज्ञा सङ्कल्प
  3. गणपति गौरी पूजन
  4. कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
  5. पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
  6. षोडशमातृका पूजन
  7. सप्तघृतमातृका पूजन
  8. आयुष्यमन्त्रपाठ
  9. सांकल्पिक नान्दीमुखश्राद्ध  (आभ्युदयिकश्राद्ध)
  10. नवग्रह मण्डल पूजन
  11. अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
  12. पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं, पूजन 
  13. रक्षाविधान 
  14. विशेष देवों की स्थापना 
  15. गणेश, सरस्वती, कुल देवता,  गुरु तथा लक्ष्मीनारायण का आवाहन स्थापन एवं पूजन
  16. ज्ञानदाता विभिन्न आचार्यों यथा- पतञ्जलि, कपिल, कात्यायन, पारस्कर, यास्क, कपिंजल, गोभिल, जैमिनि, विश्वकर्मा, देवगुरु बृहस्पति तथा व्यास आदि आचार्यों का आवाहन एवं पूजन
  17. आर्ष ग्रन्थों की स्थापना एवं पूजन
  18. पंच भूसंस्कारकुशकण्डिका
  19.  हवनआधार आहुतिआज्य आहुति
  20. आवाहित गणेश आदि देवताओं की आठआठआहुति
  21.  ऋषियों तथा विद्याआचार्यों के नाम से आठ आठ आहुति
  22. भूरादि नव आहुति
  23.  स्विष्कृत आहुति
  24. गुरु नमस्कार, सरस्वती प्रणाम 
  25. गुरु द्वारा लेखन तथा वाचन
  26. बालक द्वारा लेखन तथा वाचन
  27. सुवासिनियों द्वारा कुमार की  आरती
  28. भूयसी दक्षिणा सङ्कल्प
  29. विसर्जन
  30. भगवत्स्मरण
  31. निवेदन
Puja Samagri

वैकुण्ठ के द्वारा दी जाने वाली पूजन  सामग्री

  • रोली ,कलावा    
  • सिन्दूर  , लवङ्ग 
  • इलाइची , सुपारी 
  • हल्दी , अबीर 
  • गुलाल , अभ्रक 
  • गङ्गाजल , गुलाबजल 
  • इत्र , शहद 
  • धूपबत्ती  ,रुईबत्ती  , रुई 
  • यज्ञोपवीत , पीला सरसों 
  • देशी घी , कपूर 
  • माचिस , जौ 
  • दोना बड़ा साइज ,पञ्चमेवा 
  • सफेद चन्दन , लाल चन्दन 
  • अष्टगन्ध चन्दन , गरी गोला 
  • चावल(छोटा वाला) , दीपक मिट्टी का 
  • पानी वाला नारियल  , सप्तमृत्तिका 
  • सप्तधान्य , सर्वोषधि 
  • पञ्चरत्न , मिश्री 
  • पीला कपड़ा सूती ,तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित  
  • पंचगव्य गोघृत , गोमूत्र

हवन सामग्री एवं यज्ञपात्र :-

  • काला तिल 
  • जौ ,चावल 
  •  कमलगट्टा , पंचमेवा 
  •  हवन सामग्री  , घी ,गुग्गुल
  • गुड़ (बूरा या शक्कर)  ,गड़ी गोला 
  •  पान पत्ता ,बलिदान हेतु पापड़
  • काला उडद 
  • पूर्णपात्र -कटोरी या भगोनी
  • प्रोक्षणी , प्रणीता , सुवा, शुचि , स्फय - एक सेट
  • हवन कुण्ड ताम्र का 10/10  इंच या 12/12 इंच 
  • कलश रखने के लिए मिट्टी का पात्र
  •  पिसा हुआ चन्दन 
  • नवग्रह समिधा
  •  हवन समिधा 
  •  घृत पात्र
  • कुशा
  • पंच पात्र

यजमान के द्वारा की जाने वाली व्यवस्था:-

  • वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का - 1
  • गाय का दूध - 100ML
  • दही - 50ML
  • मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार 
  • फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार )
  • दूर्वादल (घास ) - 1मुठ 
  • पान का पत्ता - 11
  • पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg
  • पुष्पमाला - 7 ( विभिन्न प्रकार का)
  • आम का पल्लव - 2
  • विल्वपत्र - 21
  • तुलसी पत्र -7
  • शमी पत्र एवं पुष्प 
  •  थाली - 2 , कटोरी - 5 ,लोटा - 2 , चम्मच - 2 आदि 
  • अखण्ड दीपक -1
  • देवताओं के लिए वस्त्र -  गमछा , धोती  आदि 
  • बैठने हेतु दरी,चादर,आसन 
  • गोदुग्ध,गोदधि,गोबर

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