सम्पूर्ण इहलौकिक पारलौकिक कामनाओं को पूर्ण करता है कामदा एकादशी

सम्पूर्ण इहलौकिक पारलौकिक कामनाओं को पूर्ण करता है कामदा एकादशी

।। कामदा एकादशी व्रत ।। 

शास्त्रों में वर्णित कथा‌ के अनुसार कामदा एकादशी का व्रत चैत्र मास के शुक्लपक्ष की एकादशी तिथि को किया जाता है । यह व्रत समस्त प्रकार की इहलौकिक और पारलौकिक कामनाओं को पूर्ण करने वाला है । कामदा एकादशी का अपर नाम फलदा एकादशी है अर्थात् जो समस्त प्रकार के फल को प्रदान करने वाली है उस एकादशी का नाम फलदा एकादशी है ।  

कामदा एकादशी 2024 में व्रत और पारण का शुभ मुहूर्त :

  • व्रत का शुभ मुहूर्त :-  19 अप्रैल को ।
  • व्रत का पारण द्वादशी तिथि में 20 अप्रैल को करें ।

एकादशी का यह व्रत किस निमित्त किया जाता है ?

यह व्रत भगवान् विष्णु को समर्पित है, इस दिन भगवान् विष्णु की पूजा करने से साधक की समस्त मनोकामनाएं परिपूर्ण होती हैं। 

एकादशी व्रत के दिन क्या करें ?

  • प्रातः शीघ्र उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर देवालय में दीप प्रज्वलित करें ।
  • भगवान् विष्णु का गंगाजल अथवा पंचामृत से अभिषेक करें । 
  • “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का अधिक से अधिक जप करें ।
  • व्रत के दिन फलाहार में शुद्ध और सात्विक वस्तुओं का ग्रहण करें ।
  • व्रतकाल में अधिक शयन न करें ।  
  • एकादशी के दिन चावल खाने का निषेध है, इसलिए घर में चावल का प्रयोग न करें ।

श्रीवाराह पुराण में वर्णित कामदा एकादशी व्रत की कथा :

महाभारतकालीन समय में धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान् श्रीकृष्ण से विनम्रता पूर्वक चैत्र शुक्ल एकादशी व्रत का माहात्म्य पूछा - भगवान् श्री कृष्ण कहते हैं-हे धर्मराज ! यह प्रश्न एक समय राजा दिलीप ने गुरु वशिष्ठजी से पूछा था, और जो समाधान गुरु वशिष्ठ ने दिया वो मैं आपसे कहता हूँ । 

प्राचीन काल में भोगीपुर नगर में पुण्डरीक नामक एक राजा राज्य करता थे । भोगीपुर नगर में अनेक अप्सरा, किन्नर, गंधर्व आदि निवास करते थे । जो कि गायन,वादन में निपुण थे । उसी नगर में ललिता नामक रूपसी अप्सरा और उसका पति ललित नामक श्रेष्ठ गंधर्व निवास करते थे । दोनों के मध्य अटूट प्रेम और आकर्षण था, जो कि सदा एक दूसरे का स्मरण किया करते थे। 

एक दिन गंधर्व ललित राजा के दरबार में गायन कर रहा था, अचानक उसकी पत्नी कि उसको याद आ गई, जिसके कारण वह अपने स्वर,लय,ताल आदि गायन कला को भूल गया जिसे देखकर राजा को उस गंधर्व पर क्रोध आ गया । क्रोध के वशीभूत होकर राजा पुण्डरीक ने गन्धर्व को श्राप दे दिया कि तुम्हें राक्षस योनि प्राप्त हो ।

राजा  के श्राप के कारण ललित(गन्धर्व) सहस्त्र वर्षों तक राक्षस योनि में भ्रमण करता रहा । अपने पति की इस स्थिति को देखकर उसकी पत्नी बहुत दुःखी रहती थी । कुछ समय पश्चात् भ्रमण करते हुए गंधर्व की पत्नी ललिताविन्ध्य पर्वत पर निवास करने वाले ऋष्यमूक मुनि  के पास गई, और अपने श्रापित पति के उद्धार हेतु करबद्ध होकर उपाय पूछने लगी । ऋषि को उस पर दया आ गई, और उन्होंने बताया की चैत्र शुक्लपक्ष की कामदा एकादशी का व्रत करने का  उपदेश दिया । उनका आशीर्वाद स्वरुप उपदेश प्राप्तकर उसने एकादशी का व्रत किया । एकादशी व्रत के प्रभाव से उस गंधर्व का श्राप नष्ट हो गया और वह पुनः राक्षस योनि से गंधर्व योनि को प्राप्त हुआ ।

श्रीवाराह पुराण में वर्णित कामदा एकादशी व्रत का माहात्म्य :

लोकानां च हितार्थाय तवाग्रे कथिता मया ।
ब्रह्महत्यादिपापघ्नी पिशाचत्वविनाशिनी ।।

  • कामदा एकादशी का व्रत ब्रह्महत्या आदि पापों तथा पिशाचत्व  आदि दोषों का शमन करता है।
  • समस्त मनोवांछित कामनाएं परिपूर्ण होती हैं।
  • घर में सुख,समृद्धि का आगमन और शांति की स्थापना होती है।
  • जीवन में यश, कीर्ति एवं ऐश्वर्य में वृद्धि होती है। 

वैदिक पद्धति से विशिष्ट पूजा-पाठ, यज्ञानुष्ठान, षोडश संस्कार, वैदिकसूक्ति पाठ, नवग्रह जप आदि के लिए हमारी साइट vaikunth.co पर जाएं तथा अभी बुक करें ।

Vaikunth Blogs

सभी पापों से मुक्ति तथा मोक्ष की प्राप्ति हेतु करें रमा एकादशी व्रत
सभी पापों से मुक्ति तथा मोक्ष की प्राप्ति हेतु करें रमा एकादशी व्रत

।। रमा एकादशी व्रत ।। श्रीब्रह्मवैवर्तपुराण के अनुसार कार्तिकमाह के कृष्णपक्ष की एकादशी को “रमा ए...

समस्त व्रतों की सफलता तथा नारायण में प्रीति प्राप्ति हेतु करें सफला एकादशी व्रत
समस्त व्रतों की सफलता तथा नारायण में प्रीति प्राप्ति हेतु करें सफला एकादशी व्रत

।। सफला एकादशी व्रत ।।  सनातन संस्कृति के परम्परा अद्भुद है जिसमें प्रत्येक दिन, तिथि तथा मास में...

सर्व कामना सिद्धि हेतु करें "वरूथिनी एकादशी" का व्रत
सर्व कामना सिद्धि हेतु करें "वरूथिनी एकादशी" का व्रत

वैशाख माह के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को “वरूथिनी एकादशी” कहते हैं। इस एकादशी को सबसे शुभ और...

वर्ष की सम्पूर्ण एकादशी का फल प्राप्त करने के लिए करें निर्जला एकादशी
वर्ष की सम्पूर्ण एकादशी का फल प्राप्त करने के लिए करें निर्जला एकादशी

।। निर्जला एकादशी ।। निर्जला एकादशी का व्रत ज्येष्ठमास के शुक्लपक्ष की एकादशी तिथि को किया जाता ह...

पापों की शान्ति, पुण्य प्राप्ति एवं पितृदोष की शान्ति हेतु करें अपरा एकादशी व्रत
पापों की शान्ति, पुण्य प्राप्ति एवं पितृदोष की शान्ति हेतु करें अपरा एकादशी व्रत

।। अपरा एकादशी ।। सनातन धर्म में एकादशी तिथि का महत्व प्राचीन काल से ही प्रचलित है । धार्मिक मान्...

चतु:पुरुषार्थ की प्राप्ति हेतु करें अजा एकादशी व्रत
चतु:पुरुषार्थ की प्राप्ति हेतु करें अजा एकादशी व्रत

।। अजा एकादशी ।।  भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष में आने वाली एकादशी को अजा एकादशी के नाम से जाना जाता...

 +91 |

By clicking on Login, I accept the Terms & Conditions and Privacy Policy

Recovery Account