पापों की शान्ति, पुण्य प्राप्ति एवं पितृदोष की शान्ति हेतु करें अपरा एकादशी व्रत

पापों की शान्ति, पुण्य प्राप्ति एवं पितृदोष की शान्ति हेतु करें अपरा एकादशी व्रत

।। अपरा एकादशी ।।

सनातन धर्म में एकादशी तिथि का महत्व प्राचीन काल से ही प्रचलित है । धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यह एकादशी तिथि भगवान् विष्णु को प्रिय है । इसलिए इस दिन विधि-विधान से भगवान् विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है ।

ज्येष्ठमास में आने वाली कृष्णपक्ष की एकादशी को अपरा एकादशी के नाम से जाना जाता है । इस एकादशी के विषय में श्री ब्रह्माण्डपुराण में विस्तृत जानकारी प्राप्त होती है । इस‌ एकादशी को किया गया उपवास अनेकों पुण्यों को प्रदान करने वाला तथा महापातक आदि दोषों का नाश करने वाला होता है । अपरा एकादशी के दिन भगवान् त्रिविक्रम (भगवान् विष्णु ) की पूजा की जाती है । यह एकादशी व्रत अक्षय फल प्रदान करने वाला है ।

जो मनुष्य “अपरा एकादशी” का व्रत करता है वह लोक में प्रसिद्धि प्राप्त करता है । ब्रह्महत्या करने वाला,गोत्र का नाश करने वाला,भ्रूणहत्या का पाप करने वाला, दूसरों की निन्दा करने वाला तथा व्यभिचारी भी इस व्रत के प्रभाव से हे राजन् ! पाप मुक्त हो जाता है । मिथ्या साक्षी देने वाला, मिथ्याभिमानी, वेदनिन्दा, मिथ्याशास्त्र का अभ्यास, ज्योतिष से छलने वाला, मिथ्या चिकित्सा करने वाला, मनुष्य नरक गामी होता है, लेकिन इस अपरा एकादशी के व्रत से वे भी हे राजन् ! पापहीन हो जाते हैं । जो क्षत्रिय क्षात्रधर्म को छोडकर युद्ध से भागता है वह अपने धर्म से गिरकर घोर नरक में जाता है लेकिन वह भी इस अपरा के व्रत से पापमुक्त होकर स्वर्ग में चला जाता है । जो शिष्यविद्या पढकर गुरुनिन्दा करता है वह महापापी होकर घोर नरक में जाता है, लेकिन वह भी इसके प्रभाव से सद्‌गति‌ को प्राप्त होता है । कार्तिक की पूर्णिमा पर तीनों पुष्कर में स्नान करने से, मकर की संक्रान्ति पर माघ मास में प्रयाग में स्नान करने से तथा काशी में शिवरात्रि के उपवास से एवं गया में पिण्डदान देने से जो पुण्यफल प्राप्त होता है वही पुण्यफल इस एकादशी का व्रत करने से भी प्राप्त होता है ।

सिंह राशि पर बृहस्पति के स्थित होते हुए गौतमी नदी के स्नान से कुंभ में केदार के दर्शन से,  बदरिकाश्रम की तीर्थयात्रा से, कुरुक्षेत्र में सूर्यग्रहण के समय हाथी घोड़े और सुवर्ण के दान देने से, यज्ञ में सुवर्ण का दान करने से,  अर्धप्रसूता गौके तथा वर्ण और पृथ्वी के दान देने से जो पुण्यफल प्राप्त होता है वह सब इस अपरा एकादशी के व्रत के करने से प्राप्त हो जाता है । 

अपरा एकादशी का उपवास करके और भगवान् की पूजा करके मनुष्य समस्त पापों से मुक्त होकर विष्णु लोक में चला जाता है ।

अपरा एकादशी व्रत का महात्म्य :

सर्वपापविनिर्मुक्तो विष्णुलोकं व्रजेन्नरः ।
लोकानां च हितार्थाय तवाग्रे कथितं मया ।। 
पठनाच्छ्रवणाद्राजन् सर्वपापैः प्रमुच्यते ॥ (ब्र.पु.)

अपरा एकादशी का उपवास तथा भगवान् की पूजा करके मनुष्य सभी पापों से मुक्त होकर  विष्णु लोक को चला जाता है तथा इसके पढ़ने और सुनने से भी मनुष्य सभी पापों से मुक्त हो जाता है ।  

अपरा एकादशी 2024 में व्रत का दिन, समय तथा व्रत पारण का शुभ मुहूर्त :- 

हृषीकेश पञ्चांग के अनुसार -

  • एकादशी तिथि प्रारंभ: २ जून रविवार प्रात: 03:24 बजे से
  • एकादशी तिथि समाप्त: २ जून, रविवार रात्रि 12:59 बजे तक
  • व्रत पारण ३ जून सोमवार को द्वादशी तिथि पूर्वाह्न में होगा ।

अपरा एकादशी 2024 व्रत विधि (Rituals of Varuthani  Ekadashi Vrat 2024)

  • दशमी के दिन यानी एकादशी से एक दिन पूर्व सूर्यास्त के पश्चात् भोजन ग्रहण ना करें ।
  • अपरा एकादशी के दिन प्रातः शीघ्र उठकर स्नान कर ले एवं स्वच्छ वस्त्र धारण करें ।
  • इसके पश्चात् भगवान् विष्णु की प्रतिमा को स्नान कराएँ एवं उन्हें साफ- स्वच्छ वस्त्र धारण करायें ।
  • प्रतिमा को रखने वाली चौकी को गंगाजल छिड़कर शुद्ध कर लें।
  • इसके बाद भगवान् विष्णु की पूजा करें ।
  • भगवान् विष्णु को गंध, पुष्प और तिल अर्पित करें ।
  • व्रत के दिन भगवान् विष्णु का भोग लगाएं ।
  • रात्रि के समय भगवान् विष्णु एवं देवी लक्ष्मी की पूजा करें ।
  • अगले दिन सुबह स्नान करके पूजा करें और यदि संभव हो तो किसी ब्राह्मण को भोजन कराएं ।
  • अपरा एकादशी के दिन भगवान् विष्णु को पीला फल, पीले रंग की मिठाई का भोग लगाना अत्यंत शुभ माना जाता है ।
  • एकादशी के दिन भगवान् विष्णु के साथ-साथ मां लक्ष्मी की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि एवं धन का आगमन होता है ।
  • अपरा एकादशी के दिन शंख में जल भरकर छिड़काव करें, इससे आपके घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है साथ ही घर में सात्विक ऊर्जा का सन्निवेश होता है ।

श्री ब्रह्माण्ड पुराण में वर्णित अपरा एकादशी व्रत कथा :

प्राचीन काल में महीध्वज नामक एक धर्मात्मा राजा था । उसका छोटा भाई वज्रध्वज बड़े भाई के प्रति द्वेष की भावना रखता था । अवसरवादी वज्रध्वज ने एक दिन राजा की हत्या कर दी और उसके शव को जंगल में पीपल के वृक्ष के नीचे गड्डा करके दबा दिया । अकाल मृत्यु होने के कारण राजा की आत्मा प्रेत बनकर पीपल पर निवास करने लगी । उस मार्ग से गुजरने वाले प्रत्येक व्यक्ति को आत्मा परेशान करती थी ।

एक ऋषि इस रास्ते से गुजर रहे थे । तब उन्होंने प्रेत को देखा और अपने तपोबल से उसके प्रेत बनने का कारण जाना । ऋषि ने पीपल के वृक्ष से राजा की प्रेतात्मा को नीचे उतारा और आत्मविद्या  का उपदेश दिया । राजा को प्रेत योनि से मुक्ति दिलाने के लिए ऋषि ने स्वयं अपरा एकादशी का व्रत किया । द्वादशी के दिन व्रत पूरा होने पर इसका पुण्य प्रेत को दे दिया । व्रत के प्रभाव से राजा की आत्मा प्रेतयोनि से मुक्त हो गई और वह स्वर्ग चला गया ।

अपरा एकादशी के दिन क्या खाना चाहिए ?

  • अपरा एकादशी के दिन सात्विक व्रत से सम्बंधित्त ही प्रसाद ग्रहण करें । 
  • फल, दूध, मेवा इत्यादि का सेवन किया जा सकता है ।
  • “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमो नमः” भगवान् विष्णु के इस मंत्र का जप जितना हो सके‌ उतना करते रहें ।

अपरा एकादशी व्रत का पारण कैसे करें ?

अपरा एकादशी का व्रतपारण द्वादशी तिथि में प्रातः स्नान के बाद किया जा सकता है । आप  ब्राह्मण को भोजन करा कर या गाय को हरा चारा खिलाकर व्रत का पारण सकते हैं ।

शास्त्रों में वर्णित अपरा एकादशी से जुड़ी मान्यताएं क्या हैं ?

कुछ मान्यताओं के अनुसार, अपरा एकादशी के दिन तुलसी का पौधा लगाने से घर में सुख-शांति का वास होता है । तथा इस दिन गाय की सेवा करने से भी पुण्य फल प्राप्त होता है ।

अपरा एकादशी व्रत के लाभ :

बहुपुण्यप्रदा ह्येषा महापातक नाशिनी ।
ब्रह्महत्याभिपूतोऽपि गोत्रहा भ्रूणहा तथा ।। (ब्र.पु.)

इस दिन किये गये व्रत के प्रभाव से अनेकों पुण्यों की प्राप्ति महापातकों का नाश, ब्रह्म हत्या सदृश आदि दोषों का शमन होता है ।

 1. पापों का नाश :

माना जाता है कि “अपरा एकादशी” का व्रत करने से अज्ञातवश किए गए पापों का नाश होता है तथा मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

 2. भगवान् विष्णु की कृपा :

इस व्रत को करने से भगवान् विष्णु की कृपा प्राप्त होती है, जिससे जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है।

 3. मानसिक शांति :

अपरा एकादशी का व्रत करने से मन को शांति मिलती है और व्यक्ति तनाव तथा चिंता से मुक्त होता है ।

 4. उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति :
इस व्रत को करने से शरीर की शुद्धि होती है और मनुष्य को अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त होता है ।

 5. पुण्य फल की प्राप्ति :

अपरा एकादशी का व्रत करने से पुण्य फल मिलता है और सद्गति को प्राप्त करता है ।

इस प्रकार से “अपरा एकादशी” व्रत की कथा तथा माहात्म्य सम्पूर्ण हुआ । अवश्य ही यह व्रत मनुष्य का कल्याण करने वाला और उसके समस्त अरिष्टों का शमन करने वाला है । 

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