मुंडन मुहूर्त 2024 : जानें, मुंडन संस्कार के शुभ मुहूर्त तथा महत्त्व

मुंडन मुहूर्त 2024 : जानें, मुंडन संस्कार के शुभ मुहूर्त तथा महत्त्व

भारतीय संस्कृति को आज भी अपने श्रेष्ठतम आदर्शों के लिए जाना जाता है। धर्म शास्त्रों में हमारे आचार्यों और ऋषियों के द्वारा सोलह संस्कारों का वर्णन प्रतिपादित किया है। उन्हीं सोलह संस्कारों में एक संस्कार चूड़ाकर्म संस्कार है जिसे हम मुंडन संस्कार भी कहते हैं इस संस्कार के अंतर्गत हम शिशु के मस्तिष्क के विकास और सुरक्षा पर विशेष ध्यान देते हैं। जिससे शिशु का बृद्धि का विकास व्यवस्थित रूप से हो सके।

मुंडन संस्कार महत्त्व:- 

चूड़ा क्रियते अस्मिन् । अर्थात् चूड़ाकरण संस्कार का अभिप्राय एक ऐसे संस्कार से है जिसमें बालक को चूड़ा अथवा शिखा धारण कराई जाती है। यह संस्कार वैदिककाल से ही प्रचलित है। इस संस्कार में मुख्य कार्य शिशु (बालक) का केश मुंडन होता है। इस संस्कार को करके बालक को अन्य संस्कारों के योग्य बनाया जाता है, क्योंकि मुंडन संस्कार के समय ईश्वर से यह प्रार्थना की जाती है कि इस बालक का मस्तिष्क पवित्र हो, एवं यह दीर्घजीवी हो और इसके मस्तिष्क में सकारात्मक ऊर्जा का सन्निवेश हो।  इस संस्कार के प्रभाव से शिशु में बल, आयु एवं तेज की वृद्धि होती है। 

   1. आध्यात्मिक शुद्धि : शिशु के मुंडन संस्कार में सिर के मुंडन से अभिप्राय यह माना जाता है कि यदि कोई पूर्व जन्म की अशुद्धि या नकारात्मकता होगी तो उसकी शुद्धि हो जाएगी। 

   2. भौतिक वृद्धि : शारीरिक तेज, ऐश्वर्य, और यश की वृद्धि होती है।  

   3. शुद्धता प्राप्ति : शिशु में जो भी शारीरिक या मानसिक जो भी अशुद्धता है उसकी शुद्धता होती है। 

   4. आशीर्वाद प्राप्ति : मुंडन संस्कार की पूजा के समय घर परिवार वाले भगवान से शिशु के उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। 

मुंडन संस्कार कब करें:-  

महाराज मनु के कथनानुसार जन्म से प्रथम और तृतीय वर्ष में यह संस्कार करना चाहिए। 

चूड़ाकर्म द्विजातीनां सर्वेषामेव धर्मतः। 

प्रथमेSव्दे तृतीये वा कर्तव्यं श्रुति चोद्नात।। (मनुस्मृति 2.35)   

इस पर महर्षि पारस्कर जी कहते हैं कि बालक के जन्म होने के बाद प्रथम अथवा तृतीय वर्ष में चूड़ाकर्म संस्कार करें ।(पा.गृ.सू) ।  

महर्षि आश्वलायन, बृहस्पति एवं नारद आदि का मत है कि यह संस्कार तीसरे, पांचवें, सातवें, दसवें और ग्यारहवें वर्ष में भी किया जा सकता है। इस पर महर्षि याज्ञवलक्य जी का कथन है कि जिसके यहाँ जो भी कुल की परम्परा हो, उसी के अनुसार चूड़ाकर्म संस्कार करें। 

विशेष:-  जन्म या गर्भाधान से 3,5,7, आदि विषम वर्षों में मुंडन संस्कार किया जाता है।

कन्या का मुंडन संस्कार (चौल संस्कार) सम वर्षों में करना चाहिए। 

ज्येष्ठा नक्षत्र में बड़े लड़के का मुंडन न करें। 

मुंडन संस्कार के लिए शुभ लग्न एवं नक्षत्र:- 

पुनर्वसु, पुष्य, ज्येष्ठ, मृगशिरा,श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, हस्त, चित्रा, स्वाति, अश्वनी और रेवती। इन नक्षत्रों में, शुक्लपक्ष और उत्तरायण (मकर, कुम्भ, मीन, मेष, वृष और मिथुन) के सूर्य में, वृष, कन्या, धनु, कुम्भ, मकर और मिथुन लग्न में, सौम्य अर्थात सोम, बुध, गुरू और शुक्र इन वारों में एवं शुभ योग में आचार्यों ने मुंडन (चूडाकरण संस्कार) की विधि कही है।   

मुंडन संस्कार सामग्री:- 

रोली, कलावा     

सिन्दूर, लवङ्ग  

इलाइची, सुपारी  

हल्दी, अबीर  

गुलाल, अभ्रक  

गङ्गाजल, गुलाबजल  

इत्र, शहद  

धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई  

यज्ञोपवीत, पीला सरसों  

देशी घी, कपूर  

माचिस, जौ  

दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा  

सफेद चन्दन, लाल चन्दन  

अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला  

चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का  

पानी वाला नारियल, सप्तमृत्तिका  

सप्तधान्य, सर्वोषधि  

पञ्चरत्न, मिश्री  

पीला कपड़ा सूती, तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित   

पंचगव्य गोघृत, गोमूत्र ,काला तिल  

जौ,चावल  

कमलगट्टा, पंचमेवा  

हवन सामग्री, घी,गुग्गुल 

गुड़ (बूरा या शक्कर) ,गड़ी गोला  

पान पत्ता, बलिदान हेतु पापड़ 

काला उडद  

पूर्णपात्र -कटोरी या भगोनी 

प्रोक्षणी, प्रणीता, स्रुवा, शुचि, स्फय - एक सेट 

हवन कुण्ड ताम्र का 10/10  इंच या 12/12 इंच  

कलश रखने के लिए मिट्टी का पात्र 

पिसा हुआ चन्दन  

नवग्रह समिधा 

हवन समिधा  

घृत पात्र 

कुशा 

पंचामृत  

वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का - 1 

गाय का दूध - 100ML 

दही - 50ML 

मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार  

फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार ) 

दूर्वादल (घास ) - 1मुठ  

पान का पत्ता - 11 

पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg 

पुष्पमाला - 7 ( विभिन्न प्रकार का) 

आम का पल्लव - 2 

विल्वपत्र - 21 

तुलसी पत्र -7 

शमी पत्र एवं पुष्प  

थाली - 2 , कटोरी - 5 ,लोटा - 2 , चम्मच - 2 आदि  

अखण्ड दीपक -1 

देवताओं के लिए वस्त्र - गमछा , धोती  आदि  

बैठने हेतु दरी,चादर,आसन  

मुंडन संस्कार की आवश्यकता क्या है? 

  • गर्भ के समय आए हुए अशुद्ध केशों की निवृत्ति हेतु। 
  • मानसिक रूप से आई हुईं किसी भी प्रकार की नकारात्मकता के शमन हेतु। 
  • स्वस्थ्य मस्तिष्क और घने बालों की वृद्धि हेतु। 
  • दीर्घायु की प्राप्ति हेतु। 
  • त्वचा सम्बन्धी विकारों से मुक्ति हेतु। 

संस्कार का महत्व\उपयोगिता:- 

  • यह संस्कार पूर्व जन्मकृत पापों का शमन करता है।  
  • इस संस्कार से मानसिक पुष्टि होती है। 
  • शरीर में सकारात्मकता का संचार होता है। 
  • शिशु की मेधा में वृद्धि होती है।  
  • दीर्घायु की प्राप्ति होती है। 

मुंडन के बाद क्या करें? 

मुंडन के अनंतर मलाई आदि की मालिश का विधान है। मलाई आदि की मालिश से मस्तिष्क के मज्जातंतुओं को स्निग्धता, कोमलता और शीतलता तथा शक्ति की प्राप्ति होती है। जो आगे चलकर बुद्धि के विकास में सहायक होती है।   

मुंडन संस्कार के बाद की सावधानियां:- 

  • जब शिशु का मुंडन हो जाये तो शिशु के सर को एक टोपी या रुमाल से 1 सप्ताह या 1 मास तक ढककर रखें। 
  • शिशु के सिर पर सीधे वायु या सूर्य का प्रकाश न आने दें। 
  • मुंडन के अनंतर शिशु के सिर में सूखापन न आए इसके लिए सिर पर नारियल के तेल से मालिश करें। 
  • सिर को ढकने हेतु केवल सूती वस्त्र का ही उपयोग करें। 
  • सिर से समन्धित समस्याओं का ध्यान रखें। 

जनवरी 2024 से मुंडन संस्कार के मुहूर्त:- 

25 जनवरी 2024, गुरुवार, दिन 10:38 के बाद  

26 जनवरी 2024, शुक्रवार, दिन 10:28 तक 

31 जनवरी 2024, बुधवार, (1.) दिन 7:55 से 9:23 तक  

                  (2.) दिन 10:47 से 12:23 तक  

1 फरवरी ,गुरुवार 2024, (1.) दिन 7:51 से 9:19 तक  

                     (2.) दिन 10:43 से 12:19 तक  

5 फरबरी, 2024 सोमवार, दिन 7:54 से 10:52 तक  

14 फरबरी 2024 बुधवार, दिन 9:43 से दोपहर 1:22 तक  

15 फरवरी 2024 गुरुवार, दिन 9:26 तक  

19 फरवरी 2024 सोमवार, दिन 10:33 तक  

21 फरवरी 2024 बुधवार, दिन 9:24 से दोपहर 2:18 तक  

22 फरवरी 2024 गुरुवार, दिन 9:20 से 12:51 तक  

4 मार्च 2024 सोमवार, प्रातः 8:50 तक  

12 मार्च 2024 मंगलवार, दिन 8:09 से 9:45 तक  

15 अप्रैल 2024, सोमवार, प्रातः 7:31 से दोपहर 12:47 तक (अभिजित मुहूर्त ) 

16 अप्रैल 2024, मंगलवार, प्रातः 7:27 से 12:47 तक  

3 अक्टूबर 2024, गुरुवार, दोपहर 3:32 के बाद 

8 अक्टूबर 2024, मंगलवार, प्रातः 11:40 से 12:45 सांय तक 

12 अक्टूबर 2024, शनिवार, प्रातः 10:59 से 12:43 सांय तक  

वैदिक विधि के द्वारा अपनी संतान के मुंडन संस्कार के लिए आप वैकुण्ठ को चुन सकते हैं। वैकुण्ठ एक ऑनलाइन पंडित बुकिंग वेबसाइट हैं, जिसके माध्यम से आप ऑनलाइन वैदिक पंडित की बुकिंग कर सकते हैं।

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