समस्त लौकिक एवं पारलौकिक कामनाओं की सिद्धि हेतु कामिका एकादशी

समस्त लौकिक एवं पारलौकिक कामनाओं की सिद्धि हेतु कामिका एकादशी

।। कामिका एकादशी ।।

जैसा की हम सभी यह जानते हैं प्रत्येक माह में दो एकादशी होती हैं इस प्रकार सम्पूर्ण वर्ष में चौबीस(24) और अधिकमास को मिलाकर छब्बीस (26) एकादशी हो जाती हैं । एकादशी का यह व्रत भगवान् विष्णु को समर्पित होता है तथा यह व्रत साधकों को मनोवांछित फल प्रदान करने वाला है ।  

सम्पूर्ण वर्ष में आने वाली समस्त एकादशी का अपना एक विशेष माहात्म्य है । प्रत्येक एकादशी की अपनी अलग महत्ता है । एकादशी के इस क्रम में आज हम श्रावण मास में आने वाली “कामिका एकादशी” के विषय में जानेंगे ।  

हिंदू पंचांग के अनुसार, कामिका एकादशी का व्रत चातुर्मास में श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को किया जाता है । इस बार कामिका एकादशी का व्रत 31 जुलाई 2024 बुधवार को किया जाएगा ।

कामिका एकादशी का महात्म्य :

ब्रह्म- हत्यापहरणी भ्रूणहत्याविनाशिनी ।  
त्रिदिवस्थानदात्री च महापुण्यफलप्रदा ।। 
श्रुत्वा माहात्म्यमेतस्या नरः श्रद्धासमन्वितः । 
विष्णुलोकमवाप्नोति सर्वपापैः प्रमुच्यते ।।   

यह एकादशी ब्रह्महत्या हरने वाली, भ्रूण हत्या का नाश करने वाली, स्वर्ग में स्थान प्राप्त कराने वाली, तथा महापुण्यों का फल देने वाली है । श्रद्धासहित मनुष्य इसके माहात्म्य को सुनकर विष्णुलोक को प्राप्त करता है एवं समस्त पापों से छुट जाता है ।  

कामिका एकादशी (2024) व्रत और पारण का शुभ मुहूर्त :

हृषीकेश पञ्चांग के अनुसार- 

  • 31 जुलाई 2024 को सभी का व्रत (गृहस्थ,साधु, वैष्णव आदि) । 
  • 01 अगस्त 2024 को व्रत का पारण द्वादशी तिथि में पूर्वाह्ण वेला में करें । 

व्रत के दिन क्या करें :

  • प्रातःकाल शीघ्र जागकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं । घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें । 
  • भगवान् विष्णु का गंगाजल से अभिषेक करें । 
  • भगवान् विष्णु को पुष्प तथा तुलसीदल अर्पित करें। 
  • यदि संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें । 
  • भगवान् की आरती करें । 
  • भगवान् को भोग लगाएं । सात्विक वस्तुओं का भोग अर्पित करें । 
  • भगवान् विष्णु के भोग में तुलसीदल अवश्य सम्मिलित करें । 
  • बिना तुलसीदल के भगवान् विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते हैं । 
  • इसी दिन भगवान् विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की भी पूजा करें । 
  • सम्पूर्ण दिन में भगवन् नाम का अधिक से अधिक गुणगान करें । 
  • “ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ”  इस मंत्र का जप करें । 

श्री ब्रह्मवैवर्त पुराण में वर्णित कामिका एकादशी व्रत की कथा :

कुन्ती पुत्र धर्मराज युधिष्ठिर बोले कि हे भगवन् ! अब आप मुझे श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी की सविस्तार कथा सुनाइये । उस एकादशी का नाम तथा विधि क्या है । तथा उसमें किस देवता की पूजा होती है ? 

भगवान् श्रीकृष्ण बोले - हे राजन् ! मैं उस एकादशी व्रत की कथा कहता हूँ, उसे आप ध्यान पूर्वक सुनिए – 

एक समय इस एकादशी की पावन कथा को भीष्मपितामाह ने लोकहित के लिये नारदजी से कहा था । नारद जी ने पूछा - हे पितामह ! आज मेरी श्रावण माह के कृष्णपक्ष की एकादशी की कथा सुनने की इच्छा है । अतः अब आप एकादशी की व्रतकथा विधि सहित मुझे सुनाइये । भीष्मपितामह नारदजी के वचनों को सुनकर बोले- हे नारद जी ! आपने मुझसे यह अत्यन्त सुन्दर प्रश्न किया है । मैं आपको यह कथा सुनाता हूँ अब आप ध्यान लगाकर इस कथा का श्रवण कीजिये । 

श्रावण माह के कृष्णपक्ष की एकादशी का नाम “कामिका एकादशी” है । इस कामिका  एकादशी की कथा सुनने मात्र से ही “वाजपेय यज्ञ” का फल प्राप्त हो जाता है । कामिका  एकादशी के व्रत में शंख, चक्र, गदाधारी भगवान् विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है । जो मनुष्य इस एकादशी को धूप, दीप, नैवेद्य आदि से भगवान् विष्णु की पूजा करते हैं उन्हें गंगास्नान के फल से भी ज्यादा पुण्य प्राप्त होता है । यही फल सूर्य ग्रहण, चन्द्र ग्रहण, केदार और कुरुक्षेत्र में स्नान करने से भी प्राप्त होता है । भगवान् विष्णु के पूजन का फल समुद्र और वन सहित पृथ्वी दान करने और सिंह राशि वालों को गोदावरी नदी में स्नान करने के फल से भी अधिक होता है । 

व्यतीपात में गण्डक नदी में स्नान करने से जो फल प्राप्त होता है, वह फल भगवान् विष्णु की पूजा करने से मिल जाता है । भगवान् विष्णु की पूजा का फल श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी के फल के समतुल्य है । अतः भक्तिपूर्वक भगवान् की पूजा न हो सके तो श्रावण माह के कृष्ण पक्ष की कामिका  एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिये । आभूषण से युक्त बछड़ा सहित गौ दान करने का जो फल है, वही फल कामिका एकादशी के व्रत से मिल जाता है । 

जो साधक श्रावण माह के कृष्णपक्ष की एकादशी का व्रत करते हैं तथा भगवान् विष्णु की पूजा करते हैं उससे समस्त वेद, नाग, किन्नर, पितृ आदि की पूजा हो जाती है । 

हे नारद ! स्वयं भगवान् ने अपने मुख से कहा है कि मनुष्यों को अध्यात्मविद्या से जो फल प्राप्त होता है उससे अधिक फल “कामिका एकादशी” का व्रत करने से प्राप्त हो जाता है । इस व्रत के करने से मनुष्य अन्त समय में अनेक दुःखों से युक्त यमराज तथा नर्क के दर्शन नहीं करता । कामिका  एकादशी के व्रत तथा रात्रि के जागरण से मनुष्य को कुयोनि नहीं मिलती है और अन्त में वह स्वर्गलोक को जाता है । 

जो साधक श्रावण माह के कृष्णपक्ष की “कामिका एकादशी” को तुलसीदल से भक्ति पूर्वक भगवान् विष्णु की पूजा करते हैं वे इस संसार सागर में निवास करते हुए भगवान् विष्णु की कृपा शीघ्र प्राप्त करते हैं । भगवान् विष्णु की तुलसीदल से पूजा करने का फल एक भार स्वर्ण और चार भार चाँदी के दान के तुल्य है । भगवान् विष्णु रत्न, मोती, मणि, आभूषण आदि की अपेक्षा तुलसीदल से अधिक प्रसन्न होते हैं । जो मनुष्य भगवान् की तुलसीदल से पूजा करते हैं उनके समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं । 

हे नारद ! मैं स्वयं भगवान् की अत्यन्त प्रिय श्रीतुलसी जी को नमस्कार करता हूँ । तुलसीजी के दर्शन मात्र से मनुष्य के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और शरीर के स्पर्श मात्र से मनुष्य पवित्र हो जाता है । तुलसी जी को जल से स्नान कराने से मनुष्य की समस्त यम यातनायें नष्ट हो जाती हैं । जो मनुष्य तुलसीजी को भक्तिपूर्वक भगवान् के चरण कमलों में अर्पित करता है उसे मुक्ति मिलती है । जो मनुष्य एकादशी के दिन भगवान् के समक्ष (सामने) दीप जलाते हैं उनके पितृ- स्वर्गलोक में सुधा (अमृत) का पान करते हैं । जो मनुष्य भगवान् के सामने घी या तिल के तेल का दीपक जलाते हैं उनको सूर्यलोक में भी सहस्त्रों दीपकों का प्रकाश मिलता है । इस व्रत के करने से ब्रह्म हत्या, ब्राह्मण-हत्या आदि सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और जो मनुष्य इस व्रत को करते हैं वे इस लोक में सुख भोगकर अन्त में विष्णुलोक को जाते हैं । इस कामदा एकादशी के महात्म्य के श्रवण व पठन से मनुष्य स्वर्गलोक को जाते हैं ।  

कथासार 

भगवान् विष्णु सर्वोपरि हैं, वे अपने भक्तों की निश्छल भक्ति से सहज ही प्रसन्न हो जाते हैं । तुलसीजी भगवान् विष्णु की प्रिया हैं अतः श्री हरि साधक का सर्वविध कल्याण करने वाले हैं ।   

श्री ब्रह्मवैवर्तपुराण में वर्णित कामिका एकादशी व्रत का माहात्म्य :

  • समस्त‌ पापों और कुयोनियों से मुक्ति । 
  • गंगा आदि तीर्थों में स्नान का फल । 
  • सांसारिक बन्धनों से मुक्ति और सद्गति की प्राप्ति । 
  • महापातकों का नाश । 
  • वाजपेय यज्ञ के करने के समतुल्य फल प्राप्ति ।  

इस प्रकार यह “कामिका एकादशी” का महत्त्व प्रतिपादित हुआ । इस एकादशी का भी अन्य एकादशीयों की भांति फल है ।   

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