ganpati

गणपति पूजा

स्मार्त यज्ञ | Duration : 3 Hrs 30 min
Price : 11000

About Puja

भगवान्, गणपति समस्त विघ्नों के नाशक हैं। ये समस्त देवों में अग्रगण्य अर्थात् प्रथम पूज्य हैं,और रिद्धि तथा सिद्धि को प्रदान करने वाले माता गौरी तथा देवाधिदेव महादेव भगवान्, शिव के पुत्र हैं। ये बुद्धि तथा ज्ञान के स्वामी हैं। इनका स्तवन् करने से यजमान, प्रखर मेधावान् हो जाता है। हिन्दू सनातन संस्कृति तथा धर्म परंपरा में प्रत्येक मांगलिक कार्य एवं धार्मिक उत्सवों में प्रथम भगवान्, गणपति की पूजा की जाती है। समस्त देवताओं की पूजा के पूर्व भगवान्, गणपति का पूजन अनिवार्य है। इनके अनेकों नाम हैं, उनमें से एक नाम इनका सिद्धिविनायक है। अर्थात् इनकी उपासना करने से समस्त साधनाएं एवं समस्त कार्यों की सिद्धि शीघ्र ही हो जाती है।

भगवान्, गणपति की उपासना करने से उपासक के समस्त विघ्न दूर करके प्रभु कृपा करते हैं। शिव-पार्वती के पुत्र होने कारण इनकी उपासना करने से माता पार्वती सहित भगवान्, शिवजी भी शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं। भगवान्, गणपति को दूर्वा तथा मोदकअतिप्रिय है। इनके द्वारा भगवान्, गणपति का स्तवन् करने से गणपति देव शीघ्र ही प्रसन्न हो जाते हैं।

Benefits

गणपति पूजन के लाभ:-

  • इस पूजा से व्यापार, परिवार तथा व्यवहार समुन्नत होता है, तथा समस्त विघ्नों का समूल विनाश होता है।
  • घर में सुख, शान्ति, धन, ऐश्वर्य आदि का आगमन होता है। 
  • गणपति की स्तुति करने से यजनकर्ता की मेधा प्रखर हो जाती है, तथा कठिन कार्य भी सहज हो जाता है।
  • गणपति प्रसाद से रोगों की निवृत्ति होती है।
  • शिक्षा क्षेत्र मे आ रही बाधाएं दूर होती है।
  • दूर्वा द्वारा यजन करने से यजनकर्ता को सम्मान, कीर्ति, पद, प्रतिष्ठा आदि में वृद्धि होती है।
Process

गणपति पूजन में होने वाले प्रयोग या विधि:-

  1. स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
  2. प्रतिज्ञा-सङ्कल्प
  3. गणपति गौरी पूजन
  4. कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
  5. पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
  6. षोडशमातृका पूजन
  7. सप्तघृतमातृका पूजन
  8. आयुष्यमन्त्रपाठ
  9. नवग्रह मण्डल पूजन
  10. अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
  11. पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं पूजन 
  12. रक्षाविधान, 
  13. प्रधान देवता पूजन
  14. पाठ विधान
  15. विनियोग,करन्यास, हृदयादिन्यास
  16. ध्यानम्, स्तोत्र पाठ
  17. पंचभूसंस्कार, अग्नि स्थापन, ब्रह्मा वरण, कुशकण्डिका
  18. आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन
  19. घृताहुति, मूलमन्त्र आहुति, चरुहोम
  20. भूरादि नौ आहुति स्विष्टकृत आहुति, पवित्रप्रतिपत्ति
  21. संस्रवप्राश , मार्जन, पूर्णपात्र दान
  22. प्रणीता विमोक, मार्जन, बर्हिहोम 
  23. पूर्णाहुति, आरती, विसर्जन
Puja Samagri

वैकुण्ठ के द्वारा दी जाने वाली पूजन सामग्री:-

  • रोली, कलावा    
  • सिन्दूर, लवङ्ग 
  • इलाइची, सुपारी 
  • हल्दी, अबीर 
  • गुलाल, अभ्रक 
  • गङ्गाजल, गुलाबजल 
  • इत्र, शहद 
  • धूपबत्ती, रुईबत्ती, रुई 
  • यज्ञोपवीत, पीला सरसों 
  • देशी घी, कपूर 
  • माचिस, जौ 
  • दोना बड़ा साइज, पञ्चमेवा 
  • सफेद चन्दन, लाल चन्दन 
  • अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला 
  • चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का 
  • सप्तमृत्तिका 
  • सप्तधान्य, सर्वोषधि 
  • पञ्चरत्न, मिश्री 
  • पीला कपड़ा सूती

हवन सामग्री एवं यज्ञपात्र :-

  • काला तिल 
  • चावल 
  • कमलगट्टा
  • हवन सामग्री, घी,गुग्गुल
  • गुड़ (बूरा या शक्कर) 
  • बलिदान हेतु पापड़
  • काला उडद 
  • पूर्णपात्र -कटोरी या भगोनी
  • प्रोक्षणी, प्रणीता, स्रुवा, शुचि, स्फय - एक सेट
  • हवन कुण्ड ताम्र का 10/10  इंच या 12/12 इंच 
  • पिसा हुआ चन्दन 
  • नवग्रह समिधा
  • हवन समिधा 
  • घृत पात्र
  • कुशा
  • पंच पात्र

यजमान के द्वारा की जाने वाली व्यवस्था:-

  • वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का - 1
  • गाय का दूध - 100ML
  • दही - 50ML
  • मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार 
  • फल विभिन्न प्रकार (आवश्यकतानुसार)
  • दूर्वादल (घास) - 1मुठ 
  • पान का पत्ता - 07
  • पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg
  • पुष्पमाला - 7 ( विभिन्न प्रकार का)
  • आम का पल्लव - 2
  • विल्वपत्र - 21
  • तुलसी पत्र -7
  • शमी पत्र एवं पुष्प 
  • थाली - 2, कटोरी - 5, लोटा - 2, चम्मच - 2 आदि 
  • अखण्ड दीपक -1
  • देवताओं के लिए वस्त्र -  गमछा, धोती आदि 
  • बैठने हेतु दरी,चादर,आसन 
  • पानी वाला नारियल,
  • तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित  
  • गोदुग्ध,गोदधि

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