काल भैरव

काल भैरव पूजा विधान

स्मार्त यज्ञ | Duration : 3 Hrs 30 min
Price Range: 5100 to 9100

About Puja

हिंदू सनातन धर्म में  भगवान काल भैरव की पूजा का उल्लेख प्राप्त होता है। शिवपुराण एवं लिंग पुराण के अनुसार काल भैरव भगवान शिव के अवतार  हैं। इनकी पूजा-अर्चना से भक्त के समस्त भयों की निवृत्ति होती है। विशेषतः शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने हेतु इनकी आराधना विधिवत् शास्त्रीय पद्धति से की जाती है। भगवान काल-भैरव को ब्रह्मा जी के पञ्चम सिर के साथ उनको उग्र रूप में दर्शाया गया है। काल भैरव की पूजा विधिवत्   श्रद्धा पूर्वक करने से भक्तों की समस्त मनोकामनाएं परिपूर्ण हो जाती हैं। यद्यपि भगवान काल भैरव की पूजा प्रत्येक अष्टमी को विधिवत् सम्पन्न कराया जा सकता है, तथापि भैरव अष्टमी का विशेष महत्व है। काल-भैरव के विशेष आठ स्वरुप हैं- असिताङ्ग, रुरु, चण्ड, क्रोध, उन्मत्त, कपाली, भीषण एवं संहार - इन आठ भैरवों के नामस्मरण पूर्वक पूजन करने का अमोघ फल है। इनकी आराधना से साधक के जीवन में सफलता की प्राप्ति होती है, तथा घर परिवार में सुख समृद्धि का आगमन और शान्ति की स्थापना होती है।

काल भैरव अष्टमी का महत्व=
काल भैरव अष्टमी पर ही भगवान काल भैरव पृथ्वी पर अवतरित हुए थे इनको संहार का देवता मानते हैं। काल-भैरव देवों तथा भक्तों की रक्षा में सदैव तत्पर रहते हैं। भगवान काल भैरव की उपासना करने वाले भक्तों के सन्निकट कभी भय नहीं आता।अर्थात् भगवान भैरव भय का सर्वथा नाश करते हैं। तान्त्रिक  उपासक इनकी उपासना बटुक भैरव के रूप में करते हैं।

Benefits

कालभैरव पूजा से लाभ :-

  • इनकी उपासना करने से शत्रु-भय से निवृत्ति तथा शत्रुओं की पराजय होती है।
  • घर परिवार में सुख,समृद्धि की वृद्धि ,तथा शान्ति की स्थापना होती है।
  • भैरव पूजा के द्वारा प्रतिकूल परिस्थितियां अनुकूल हो जाती हैं।
  • व्यवसाय में निरन्तर वृद्धि तथा लाभ की प्राप्ति होती है।
  • काला जादू, टोटके, बुरी नजर आदि समस्त बाधाओं का शमन होता है।
  • स्वास्थ्य अनुकूल रहता है और साधक को दीर्घायु की प्राप्ति होती है।
  • भगवान कालभैरव का स्तवन् करने से राहुग्रह और केतुग्रह  मजबूत होते हैं तथा इनसे व्यापार में लाभ मिलता है।
Process

 कालभैरव पूजा में होने वाले प्रयोग या विधि :-

  1. स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
  2. प्रतिज्ञा-सङ्कल्प
  3. गणपति गौरी पूजन
  4. कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
  5. पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
  6. षोडशमातृका पूजन
  7. सप्तघृतमातृका पूजन
  8. आयुष्यमन्त्रपाठ
  9. सांकल्पिक नान्दीमुखश्राद्ध (आभ्युदयिकश्राद्ध)
  10. नवग्रह मण्डल पूजन
  11. अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
  12. पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं पूजन 
  13. रक्षाविधान, 
  14. प्रधान देवता पूजन
  15. पाठ विधान
  16. विनियोग,करन्यास, हृदयादिन्यास
  17. ध्यानम्, स्तोत्र पाठ
  18. पंचभूसंस्कार, अग्नि स्थापन, ब्रह्मा वरण, कुशकण्डिका
  19. आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन
  20. घृताहुति, मूलमन्त्र आहुति, चरुहोम
  21. भूरादि नौ आहुति स्विष्टकृत आहुति, पवित्रप्रतिपत्ति
  22. संस्रवप्राश , मार्जन, पूर्णपात्र दान
  23. प्रणीता विमोक, मार्जन, बर्हिहोम 
  24. पूर्णाहुति, आरती, विसर्जन
Puja Samagri

वैकुण्ठ के द्वारा दी जाने वाली पूजन सामग्री:-

  • रोली, कलावा    
  • सिन्दूर, लवङ्ग 
  • इलाइची, सुपारी 
  • हल्दी, अबीर 
  • गुलाल, अभ्रक 
  • गङ्गाजल, गुलाबजल 
  • इत्र, शहद 
  • धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई 
  • यज्ञोपवीत, पीला सरसों 
  • देशी घी, कपूर 
  • माचिस, जौ 
  • दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा 
  • सफेद चन्दन, लाल चन्दन 
  • अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला 
  • चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का 
  • सप्तमृत्तिका 
  • सप्तधान्य, सर्वोषधि 
  • पञ्चरत्न, मिश्री 
  • पीला कपड़ा सूती

हवन सामग्री एवं यज्ञपात्र :-

  • काला तिल 
  • चावल 
  • कमलगट्टा
  • हवन सामग्री, घी,गुग्गुल
  • गुड़ (बूरा या शक्कर)
  • बलिदान हेतु पापड़
  • काला उडद 
  • पूर्णपात्र -कटोरी या भगोनी
  • प्रोक्षणी, प्रणीता, स्रुवा, शुचि, स्फय - एक सेट
  • हवन कुण्ड ताम्र का 10/10  इंच या 12/12 इंच 
  • पिसा हुआ चन्दन 
  • नवग्रह समिधा
  • हवन समिधा 
  • घृत पात्र
  • कुशा
  • पंच पात्र

यजमान के द्वारा की जाने वाली व्यवस्था:-

  • वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का - 1
  • गाय का दूध - 100ML
  • दही - 50ML
  • मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार 
  • फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार )
  • दूर्वादल (घास ) - 1मुठ 
  • पान का पत्ता - 07
  • पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg
  • पुष्पमाला - 7 ( विभिन्न प्रकार का)
  • आम का पल्लव - 2
  • विल्वपत्र - 21
  • तुलसी पत्र -7
  • शमी पत्र एवं पुष्प 
  • थाली - 2, कटोरी - 5, लोटा - 2, चम्मच - 2 आदि 
  • अखण्ड दीपक -1
  • पानी वाला नारियल
  • देवताओं के लिए वस्त्र -  गमछा, धोती  आदि 
  • तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित  
  • बैठने हेतु दरी,चादर,आसन 
  • गोदुग्ध,गोदधि

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