कुम्भ विवाह

कुम्भ विवाह

दोष एवं निवारण | Duration : 4 Hours
Price Range: 11000 to 18000

About Puja

विवाह गृहस्थाश्रम की आधारशिला है और उसी के माध्यम से व्यक्ति देव,ऋषि, पितृ इन तीनों ऋण से उऋण होकर परम कल्याण की प्राप्ति करता है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार वर तथा कन्या के दाम्पत्य जीवन को  सुखी एवं मंगलमय बनाने के लिए उनके जन्म नक्षत्रों एवं जन्म कुण्डली के अनुसार मिलान करने पर यदि जातक की कुण्डली मंगलदोष से युक्त है, तब ऐसी स्थिति में पति-पत्नी के वैवाहिक जीवन में विचारों की वैमनस्यता,परस्पर क्लेश, सन्तान प्राप्ति में बाधा, माता-पिता को कष्ट, वैधव्य योग (पति हन्ता), विष कन्या योग आदि का भय उत्पन्न होता है। जातक की कुण्डली में उत्पन्न मांगलिक दोष के परिहार के लिए शास्त्रों में कुम्भ विवाह का वर्णन किया गया है। इस विवाह में कन्या कुम्भ (घट) में भगवान नारायण, वरुण- देव, शालिग्राम भगवान का आवाहन प्रतिष्ठा आदि करते हुए, कन्या का विवाह भगवान विष्णु को वर स्वरूप मानकर उनके साथ शास्त्रोक्त विधि से सम्पन्न कराया जाता है तथा कन्या स्वंय को नारायण‌ के लिए समर्पित कर देती है। यह विवाह पति की सुरक्षा एवं दीर्घायु हेतु किया जाता है। कुम्भ विवाह करने से (वैधव्य) पतिहन्ता,विषकन्यायोग आदि‌ शान्त हो जाता है। जातक का सम्पूर्ण विधि-विधान से कुम्भ विवाह सम्पादित होने से उस जातक की कुण्डली में स्थित सभी प्रकार के दोषों का परिशमन हो जाता है। कन्या के सौभाग्य (जीवन साथी) के ऊपर  किसी प्रकार का भी नकारात्मक प्रभाव न पड़े अत एव हमारे धर्मशास्त्रों में कुम्भ विवाह का उल्लेख प्राप्त होता है।
कुम्भ विवाह का प्रयोजन  कुम्भ विवाह सम्पन्न होने के पश्चात् कन्या स्वयं को भगवान नारायण को समर्पित कर देती है तथा उनसे प्रार्थना करती है कि हे प्रभो! अब आप ही उन सभी दोषों की परिसमाप्ति करें, तथा हमारे दाम्पत्य जीवन को सुखमय बनाये रखें।

Benefits

कुम्भ विवाह करने से लाभ :-

  • कन्या की कुण्डली में व्याप्त मंगल, वैधव्य योग, विषकन्या योग आदि विभिन्न अशुभ योगों और दोषों की समाप्ति होती है।
  • कुम्भ विवाह करने के उपरान्त वैवाहिक जीवन सुखपूर्वक व्यतीत होता है तथा परस्पर पति-पत्नी में सौहार्द और सामञ्जस्य स्थापित होता है।
  • इस विवाह के उपरान्त भविष्य में आने वाले विनाशकारी प्रभावों का शमन होता है, तथा सकारात्मक प्रभावों में वृद्धि होती है।
  • इस विवाह के प्रभाव से दाम्पत्य जीवन में सुख समृद्धि तथा शान्ति की स्थापना होती है।
  • मङ्गल जनित समस्त दोषों की निवृत्ति होती है,अर्थात् भविष्य में होने वाले अनिष्टकारी प्रभावों से दम्पति की रक्षा और दीर्घायु की प्राप्ति होती है।
Process

कुम्भ विवाह में होने वाले प्रयोग या विधि-

  1. स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
  2. प्रतिज्ञा-सङ्कल्प
  3. गणपति गौरी पूजन
  4. कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
  5. पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
  6. षोडशमातृका पूजन
  7. सप्तघृतमातृका पूजन
  8. आयुष्यमन्त्रपाठ
  9. सांकल्पिक नान्दीमुखश्राद्ध (आभ्युदयिकश्राद्ध)
  10. नवग्रह मण्डल पूजन
  11. अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
  12. पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं पूजन 
  13. रक्षाविधान, 
  14. प्रधान देवता पूजन
  15. पाठ विधान
  16. आरती
Puja Samagri

वैकुण्ठ के द्वारा दी जाने वाली पूजन सामग्री:-

  1. रोली, कलावा    
  2. सिन्दूर, लवङ्ग 
  3. इलाइची, सुपारी 
  4. हल्दी, अबीर 
  5. गुलाल, अभ्रक 
  6. गङ्गाजल, गुलाबजल 
  7. इत्र, शहद 
  8. धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई 
  9. यज्ञोपवीत
  10. देशी घी, कपूर 
  11. माचिस, जौ 
  12. दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा 
  13. सफेद चन्दन, लाल चन्दन 
  14. अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला 
  15. चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का 
  16. सप्तमृत्तिका 
  17. पीला कपड़ा सूती
  18. सप्तधान्य, सर्वोषधि 
  19. पञ्चरत्न, मिश्री 

यजमान के द्वारा की जाने वाली व्यवस्था:-

  1. वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का - 1
  2. गाय का दूध - 100ML
  3. दही - 50ML
  4. मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार 
  5. फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार )
  6. दूर्वादल (घास ) - 1मुठ 
  7. पान का पत्ता - 07
  8. पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg
  9. पुष्पमाला - 7 ( विभिन्न प्रकार का)
  10. आम का पल्लव - 2
  11. विल्वपत्र - 21
  12. तुलसी पत्र -7
  13. शमी पत्र एवं पुष्प 
  14. थाली - 2, कटोरी - 5, लोटा - 2, चम्मच - 2 आदि 
  15. अखण्ड दीपक -1
  16. देवताओं के लिए वस्त्र -  गमछा, धोती  आदि 
  17. पीला कपड़ा सूती
  18. बैठने हेतु दरी,चादर,आसन 
  19. तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित  
  20. पानी वाला नारियल
  21. गोदुग्ध,गोदधि

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