उदक शान्ति

उदक शान्ति पूजा विधान

दोष एवं निवारण | Duration : 4 Hours
Price Range: 5100 to 11000

About Puja

कोई भी धार्मिक अनुष्ठान, देवपूजा, स्तोत्र पाठ, जप, ध्यान आदि सदैव जीवन में, घर परिवार की शान्ति, समृद्धि और सौभाग्य प्राप्त करने के लिए की जाती है, परन्तु यह उदक शान्ति पूजा किसी व्यक्ति की मृत्यु के उपरान्त पूर्वजों की दिवंगत आत्मा की सर्वविध रक्षा और अभ्युदय हेतु की जाती है। वेदों में "आपोवैदेवानां प्रियं धाम" (जल देवताओं का सर्वाधिक प्रिय स्थान है) "आप:सर्वस्य भेषजी:" (जल सभी रोगों की औषधि है) - इस प्रकार की उक्ति मिलती हैं। जल - पूर्णब्रह्म के समान है- हालांकि मूल रूप से निराकार है, फिर भी वह अपने आश्रय का आकार ले लेता है। इसी आधार पर जल और ब्रह्म को एक माना गया है। इसलिए,कलश को जल से भर दिया जाता है। इस जल में मन्त्रों के द्वारा परब्रह्म की पूजा की जाती है। उदक पूजा - उदक अर्थात् जल। जल को मन्त्रों के द्वारा अभिमन्त्रित करने के उपरान्त उस जल के द्वारा सर्वविध शान्ति और रक्षा प्रदान करना ही इस उदक शान्ति पूजा का परम उद्देश्य है। 

गरुड़ पुराण में वर्णित है कि किसी भी व्यक्ति के निधन के उपरान्त यदि उनका  पिण्डदान, तर्पण अथवा श्राद्ध किसी कारणवश विधिवत् सम्पन्न ना हो सका हो, तो उस व्यक्ति की आत्मा को मुक्ति नहीं मिलती। ऐसे सज्जनों की आत्मा की मुक्ति के लिए उदक शान्ति पूजा का वर्णन प्राप्त होता है। इस पूजा को सम्पन्न करने के उपरान्त व्यक्ति अपने कुत्सित (पाप) कर्मों और पूर्वजों की अकाल मृत्यु से रक्षण भी करता है। यह पूजा वर्ष में कभी भी सम्पादित की जा सकती है। मृत्यु के उपरान्त उदक-शान्ति पूजा सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठानों में से एक है। जो कि शारीरिक और मानसिक शान्ति, नकारात्मक भावनाओं की परिसमाप्ति,किसी संकट को दूर करने और पूर्वजों को सान्त्वना देने के लिये प्रत्येक हिंदू व्यक्ति के द्वारा सम्पन्न कराई जाती है। उदक  शान्ति पूजा के अन्तर्गत जल को विभिन्न वैदिक सूक्तियों के द्वारा शुद्ध किया जाता है और भगवान वरुण को मन्त्रों के माध्यम से कलश में स्थापित कर अभिमन्त्रित किया जाता है, फिर गंगा आदि नदियों का उसमें आवाहन किया जाता है। इस पूजा का मूल उद्देश्य पितरों का उद्धार तथा घर परिवार में किसी भी नकारात्मक ऊर्जा तथा कुदृष्टि अथवा अन्य बुरी बाधाओं की परिसमाप्ति हेतु किया जाता है। सभी बुरी आत्माओं को दूर रखने के लिए अभिमन्त्रित जल को अपने शयन कक्ष के साथ सम्पूर्ण घर में छिड़कते  हैं ।

Benefits

उदक शान्ति पूजा का माहात्म्य

  • पितृश्वरों को मोक्ष की प्राप्ति, पितृदोष तथा:- पितृऋण से मुक्ति मिलती है।
  • व्यापारिक, व्यावहारिक तथा जीवन में आने वाली समस्त बाधाएं शान्त होती हैं।
  • माता के गर्भस्थ शिशु की सर्वप्रकार से रक्षा होती है।
  • घर में शान्ति, बेहतर करियर की संभावनाएं बढ़ती हैं।
  • परिवारिक बधाएं शान्त होती हैं तथा परस्पर सद्भाव, सत्प्रेम, सत्प्रवृत्तियां, सत्प्रेरणा जागृत होती हैं।
  • इस पूजा को किसी व्यापारिक संस्था आदि में कराने से व्यापार की उन्नति, अभ्युदय तथा शान्ति की स्थापना होती है।
  • जिसके निमित्त यह पूजा होती है, उस व्यक्ति तथा स्थान पर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है तथा नकारात्मकता दूर होती है।
  • किसी भी कार्य की  सकारात्मक परिणाम के लिए यह पूजा कभी भी अपने घर आदि में करायी जा सकती है।
Process

 उदक शान्ति पूजा में होने वाले प्रयोग या विधि :-

  1. स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
  2. प्रतिज्ञा-सङ्कल्प
  3. गणपति गौरी पूजन
  4. कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
  5. पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
  6. षोडशमातृका पूजन
  7. सप्तघृतमातृका पूजन
  8. आयुष्यमन्त्रपाठ
  9. सांकल्पिक नान्दीमुखश्राद्ध (आभ्युदयिकश्राद्ध)
  10. नवग्रह मण्डल पूजन
  11. अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
  12. पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं पूजन 
  13. रक्षाविधान, प्रधान देवता पूजन
  14. पाठ विधान
  15. आरती
Puja Samagri

 वैकुण्ठ के द्वारा दी जाने वाली पूजन सामग्री:-

  1. रोली, कलावा    
  2. सिन्दूर, लवङ्ग 
  3. इलाइची, सुपारी 
  4. हल्दी, अबीर 
  5. गुलाल, अभ्रक 
  6. गङ्गाजल, गुलाबजल 
  7. इत्र, शहद 
  8. धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई 
  9. यज्ञोपवीत, पीला सरसों 
  10. देशी घी, कपूर 
  11. माचिस, जौ 
  12. दोना बड़ा साइज, पञ्चमेवा,जौ 
  13. सफेद चन्दन, लाल चन्दन 
  14. अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला 
  15. चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का 
  16. सप्तमृत्तिका 
  17. सप्तधान्य, सर्वोषधि 
  18. पञ्चरत्न, मिश्री 
  19. पीला कपड़ा सूती

हवन सामग्री एवं यज्ञपात्र :-

  1. काला तिल 
  2. चावल 
  3. कमलगट्टा, 
  4. हवन सामग्री, घी,गुग्गुल
  5. गुड़ (बूरा या शक्कर) 
  6. बलिदान हेतु पापड़
  7. काला उडद 
  8. पूर्णपात्र -कटोरी या भगोनी
  9. प्रोक्षणी, प्रणीता, स्रुवा, शुचि, स्फय - एक सेट
  10. हवन कुण्ड ताम्र का 10/10  इंच या 12/12 इंच 
  11. पिसा हुआ चन्दन 
  12. नवग्रह समिधा
  13. हवन समिधा 
  14. घृत पात्र
  15. कुशा
  16. पंच पात्र

यजमान के द्वारा की जाने वाली व्यवस्था:-

  1. वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का - 1
  2. गाय का दूध - 100ML
  3. दही - 50ML
  4. मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार 
  5. फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार )
  6. दूर्वादल (घास ) - 1मुठ 
  7. पान का पत्ता - 07
  8. पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg
  9. पुष्पमाला - 7 ( विभिन्न प्रकार का)
  10. आम का पल्लव - 2
  11. विल्वपत्र - 21
  12. तुलसी पत्र -7
  13. शमी पत्र एवं पुष्प 
  14. थाली - 2, कटोरी - 5, लोटा - 2, चम्मच - 2 आदि 
  15. अखण्ड दीपक -1
  16. पानी वाला नारियल
  17. देवताओं के लिए वस्त्र - गमछा, धोती आदि 
  18. तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित 
  19. बैठने हेतु दरी, चादर, आसन 
  20. गोदुग्ध, गोदधि

No FAQs Available

 +91 |

By clicking on Login, I accept the Terms & Conditions and Privacy Policy

Recovery Account