कालसर्प दोष क्या है? जानें इसके लक्षण एवं निवारण

कालसर्प दोष क्या है? जानें इसके लक्षण एवं निवारण

प्राचीन धर्मग्रन्थों के अनुसार कालसर्प दोष दृष्टिगोचर होता है। कालसर्प दोष के कारण व्यक्ति के जीवन में बहुत सी कठिनाइयां उत्पन्न होने लगती हैं, जैसे कड़ी मेहनत के बाद भी सफलता प्राप्त ना होना, स्वप्न में बार बार सर्प का दिखाई देना, परिवार में कलह आदि। कालसर्प दोष व्यक्ति के कुंडली में ग्रहों की स्थिति पर निर्भर करता है। जो कि मुख्यत: राहु से केतु एवं केतु से राहु की ओर बढ़ने की दिशा से प्रभाव में आता है। यद्यपि कुछ लोगों की कुंडली में कालसर्प दोष उसके पूर्वजन्म एवं पितृदोष के कारण होता है। सभी परिस्थितियों में कालसर्प दोष सदैव कष्टकारी सिद्ध नहीं होता है। कुछ परिस्थियों में कालसर्प जीवन में लाभ के अवसर खोलता है। लेकिन जिन व्यक्तियों की कुंडली में काल सर्प दोष है उन्हें समय रहते निवारण कर लेना चाहिए अन्यथा यह गंभीर परिस्थितियां पैदा कर सकता है।  

कालसर्प दोष के कारण 

कालसर्प दोष के कई कारण हो सकते हैं, जिसमें पहला मुख्य कारण है व्यक्ति के कुंडली में राहु एवं केतु की दिशा आमने सामने होना। हमारी राशि में कुल नौ ग्रहों की उपस्थिति देखी जाती है, जिसमें राहु एवं केतु दोनों छायाग्रह हैं अर्थात् राहु का स्वभाव शनि ग्रह की भांति एवं केतु का मंगल ग्रह की भांति होता है। यद्यपि राहु-केतु एक ही शरीर के दो अभिन्न भाग है, जिसमें राहु सिर एवं केतु धड़ है। राहु में विचार की शक्ति होती है इसलिए वह कुंडली के जिस भी भाव में अपनी दृष्टि डालता है उस भाव के ग्रह को अपने अधीन कर अपने विचारों से प्रभावित करता है एवं क्रिया के लिए प्रेरित करता है। केतु, मंगल की भांति विध्वंसकारी होता है और वह अपनी महादशा के अनुरूप कर व्यक्ति की बुद्धि को भ्रमित करता है, जिससे जीवन में सुख-समृद्धि का नाश होता है और इनकी यही दिशाएं कालसर्प दोष का कारण बनती हैं।  

काल सर्प दोष के लक्षण 

व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प दोष की उपस्थिति उसके जीवन में हो रहे विपरीत परिवर्तनों से देखने को मिलता है,  

  • जैसे कि सामान्यत: स्वप्न में नाग देवता या सांप दिखाई देना।  
  • कठिन परिश्रम के बाद भी समय पर फल की प्राप्ति नहीं होना।  
  • मानसिक रूप से परेशानियों का सामना करना। 
  • व्यापार में आर्थिक संकटों का सामना करना।  
  • किसी भी कार्य के प्रति उचित निर्णय नहीं ले पाना।  
  • व्यर्थ में लोगों से शत्रुता मोल लेना।  
  • प्रगति के कार्य में अड़चनें एवं अवरोध उत्पन्न होना। 
  • परिवार में क्लेश एवं कलह की स्थिति उत्पन्न होना।  
  • विवाह में देरी एव वैवाहिक जीवन में तनाव की स्थिति उत्पन्न होना।  
  • शारीरिक, मानसिक, राजनैतिक आध्यात्मिक, आर्थिक तथा सामाजिक क्षेत्रों में क्षति होना। 

कालसर्प योग के प्रकार-   

कालसर्प दोष विभिन्न प्रकार के होते हैं जिसमें  12 प्रमुख हैं- 

1. अनन्त काल सर्पयोग: इस योग का प्रभाव लग्न से सप्तम भाव तक होता है। इससे जातक को अस्थिरता, अशांति, सम्मान की कमी, वैवाहिक जीवन में अस्थिरता, और मानसिक क्लेश होता है। इसकी शांति के लिए अनन्त नाग की पूजा की जाती है। 

2. कुलिक कालसर्प योग: कुलिक कालसर्प योग का प्रभाव द्वितीय से अष्टम भाव तक होता है। इसके कारण जातक के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है, धन के लिए संघर्ष, वाणी में मधुरता की कमी, परिवार से विरोध, कार्यों में यश की कमी, विवाह में बाधा उत्पन्न होती है।  

3. वासुकि कालसर्पयोग: वासुकि कालसर्पयोग तृतीया से नवम भाव तक बनता है। इससे पारिवारिक विरोध, सामाजिक समस्याएं, आर्थिक समस्या, व्यापार में परेशानियां, धर्म में नास्तिकता की भावना और प्रत्येक कार्य के प्रति संघर्ष करना पड़ता है।  

4. शंखपाल कालसर्प योग: यह चतुर्थ से दशम भाव में उत्पन्न होता है। इससे व्यवसाय, नौकरी, शिक्षा में व्यवधान, व्यापार में हानि, धन की हानि तथा विभिन्न बाधाएं उत्पन्न होती हैं। साथ ही परिस्थियां आपको विपरीत होती हैं।  

5. पद्म कालसर्प दोष: यह पंचम से एकादश भाव में राहु और केतु की उपस्थिति के साथ उत्पन्न होता है। इसके प्रभाव से संतान से दुःख, पुत्र का दूर रहना, असाध्य रोग, दुर्घटना की सम्भावना, विश्वासघात, और संघर्षपूर्ण जीवन होता है। 

6. महापद्म कालसर्प योग: यह छठे से बारहवें भाव में उत्पन्न होता है। इससे चरित्र हीनता, पत्नी से विछोड़, शत्रुओं से पराभव, और आत्मबल की कमी होती है। इसके प्रभाव से शत्रु आपके लिए निरंतर षडयंत्र रचते हैं।  

7. तक्षक कालसर्प योग: यह सप्तम से लग्न तक का प्रभाव होता है और इससे वैवाहिक जीवन में बाधाएं, पदोन्नति में अवरोध, और विभिन्न समस्याएं उत्पन्न होती हैं। 

8. कर्कोटक कालसर्प योग: अष्टम से द्वितीय भाव तक का यह योग विभिन्न प्रकार के रोग, धन की हानि, नौकरी में बाधा, मित्रों से हानि, और अकाल मृत्यु जैसी समस्याओं को उत्पन्न करता है। 

9. शखनाद या शंखचूड कालसर्प योग: यह योग नवम से तृतीय भाव तक दिखाई देता है। इससे भाग्यहीनता, व्यापार में हानि, परिवार में कलह, कार्यों में बाधा और अन्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। 

10. पातक कालसर्प योग: यह योग दशम से चतुर्थ भाव तक असर दिखाता है। इससे दशम और चतुर्थ भाव से माता-पिता के संबंधों में कठिनाइयां और वियोग की संभावना होती है। 

11. विषधर कालसर्पयोग: यह योग राहु और केतु के एकादश या पंचम भाव में उत्पन्न होता है। इससे हृदय रोग, अनिद्रा, प्रिय से विछोड़ और अन्य संकट उत्पन्न हो सकते हैं, जो असाध्य रोग को आमंत्रित करते हैं।  

12. शेषनाग कालसर्पयोग: यह द्वादश से षष्ठ भाव तक हो सकता है। इससे शत्रुओं की अधिकता, मानसिक सम्मान, प्रतिष्ठा, और धन की हानि हो सकती है और आंखों की समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं। 

कालसर्प दोष निवारण 

कालसर्प दोष के निवारण के लिए व्यक्ति को विधिवत पूजा अनुष्ठान करवाना चाहिए- 

  • रुद्राभिषेक पूजा भी कालसर्प दोष के लिए एक सर्वश्रेष्ठ विकल्प है, भगवान शिव की कृपा से काल सर्प दोष का प्रभाव कम होता है, यद्यपि उनकी कृपा पाने के लिए आपको रूद्राभिषेक पूजा करवानी चाहिए।  
  • कालसर्प दोष की शांति के लिए सर्वोत्तम स्थान- पवित्र जलाशय, संगम, नदी किनारे, शिव मंदिर या नाग देवता के मंदिर में ही इस कार्य को करना चाहिए। यद्यपि घर पर इसे नहीं करना चाहिए। निम्न तीर्थों पर आप कालसर्प दोष की शांति के लिए पूजा कर सकते हैं-  
  • त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग नासिक 
  • महाकाल मन्दिर उज्जैन 
  • नाग मन्दिर ग्वारीघाट, जबलपुर 
  • सिद्धशक्तिपीठ कालीपीठ कलकत्ता 
  • प्रयागराज संगम अथवा वासुकिनाग मन्दिर 
  • त्रियुगी  नारायण मन्दिर केदारनाथ 
  • गरुण गोविन्द छटीकरा वृन्दावन 

कालसर्प दोष शान्ति के सामान्य उपाय 

  • प्रति माह मासशिवरात्रि के दिन व्रत धारण करें। 
  • चांदी के निर्मित नाग नागिन की विधिवत पूजा करके उसे जल में प्रवाहित करें। 
  • कालसर्प दोष की शांति के लिए सर्प मन्त्र से हवन कराएं। 
  • सोमवार अथवा मासिक शिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर मिश्री एवं दूध से अभिषेक करें। 
  • प्रवाहित जल में कोयला अर्पण करें तथा पंचाक्षर मंत्र का जप अवश्य करें। 
  • शिव पंचाक्षर स्तोत्र का नियमित पाठ करें एवं नवनाग स्तोत्र का पाठ करें। 
  • तुलसीदास कृत रुद्राष्टकम पाठ तथा श्रवण करें। 

इस प्रकार से उपाय अपनाकर काल कुंडली में उपस्थित शुभ  ग्रह पूर्ण रूप से उन्नति की ओर लेकर जाता है। साथ ही भविष्य में किसी भी प्रकार की बाधा उत्पन्न नहीं होती है। कालसर्प दोष निवारण के पश्चात् पारिवारिक जीवन में सुख समृद्धि, आरोग्यता, धन-धान्य एवं यश की प्राप्ति होती है। 

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