नाग पंचमी के दिन ही क्यों की जाती है कालसर्प दोष की पूजा ?

नाग पंचमी के दिन ही क्यों की जाती है कालसर्प दोष की पूजा ?

हिन्दू धर्म में नागपंचमी का पर्व नागदेवता की पूजा और उनकी आराधना के रूप में मनाया जाता है। ये पर्व श्रावण मास के शुक्लपक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है । नागदेवता की कृपा प्राप्ति हेतु नागपंचमी का दिन विशेष माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार जब भगवान् शिव समुद्र मंथन से निकले अमृत का पान कर रहे थे उस समय भगवान् शिव के आशीर्वाद से नागों को अमृतपान का अधिकार प्राप्त हुआ । अमृतपान के पश्चात् उन्होंने नागराज का रूप धारण किया । यही कारण है कि समाज में नागपंचमी का पर्व मनाया जाता है । 
इस दिन नागदेवता की पूजा करने से सर्पों के काटने का भय नहीं रहता है और मनुष्य के जीवन में सुख-सम्पत्ति व्याप्त रहती है । नागपंचमी की तिथि पर नागदेवता को दूध पिलाना अत्यन्त कल्याणप्रद माना जाता है । 

वर्ष 2024 में नागपंचमी का पर्व 9 अगस्त 2024 को मनाया जाएगा । नाग पंचमी के दिन पूजा करने के लिए शुभ मुहूर्त प्रातः 6 बजकर 01 मिनट से प्रातः 8 बजकर 37 मिनट तक रहेगा ।  

कालसर्पदोष क्या है ?  :- 

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार यदि जातक कालसर्पदोष से पीड़ित है तो उसे विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है । यदि जातक कालसर्पदोष से होने वाली समस्याओं से निजात पाना चाहता है तो नागपंचमी के दिन विधि-विधान से पूजा-अर्चना करना अत्यन्त लाभप्रद है इसलिए कालसर्पदोष के निवारण हेतु कई उपाय किए जाते हैं, जैसे पूजा, जप, दान, इत्यादि ।

जन्मकुंडली में कैसे बनता है कालसर्पदोष योग :- 

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार राहुग्रह के अधिदेव काल हैं और केतु के सर्प । ऐसे में जब जातक की कुंडली में सभी ग्रह राहु और केतु के मध्य में आ जाते हैं तब कालसर्पदोष का योग बनता है । कालसर्पदोष 12  प्रकार का होता है और प्रत्येक का अलग-अलग प्रभाव होता है, जिसके निवारण हेतु विशेष पूजा और उपाय की आवश्यकता होती है । 

12 प्रकार के कालसर्प दोष

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, कालसर्प दोष 12 प्रकार के बताए गए हैं।
ये दोष हैं-

•    वासुकि कालसर्प दोष, 
•    अनंत कालसर्प दोष, 
•    कुलिक कालसर्प दोष,
•    तक्षक कालसर्प दोष,
•    कर्कोटक कालसर्प दोष,
•    शंखपाल कालसर्प दोष,
•    शेषनाग कालसर्प दोष, 
•    पद्म कालसर्प दोष,
•    महापद्म कालसर्प दोष,  
•    शंखनाद कालसर्प दोष,
•    घातक कालसर्प दोष 
•    विषाक्त कालसर्प दोष ।

इन दोषों का निवारण जन्म कुंडली देखकर ही किया जा सकता है । यदि आपकी कुंडली में भी यदि इनमें से कोई भी दोष है तो आप नागपंचमी के पावन पर्व पर  कालसर्पदोष की पूजा अवश्य करें । 

नागपंचमी तिथि पर ही क्यों की जाती है कालसर्पदोष की पूजा?

  • नागपंचमी के दिन कालसर्प दोष की पूजा करने के पीछे कई कारण हैं । प्रथम- नाग देवता की कृपा प्राप्ति हेतु नागपंचमी का दिन ही सबसे सर्वश्रेष्ठ माना जाता है और इन्हीं नागदेवताओं की शक्ति के प्रभाव से कालसर्पदोष का निवारण हो सकता है।  
  • द्वितीय - पंचमी के दिन नागदेवता की विधिपूर्वक पूजा करने से और सर्पों को दूध पिलाने से जातक के जीवन से विभिन्न प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं, जो कालसर्प दोष के कारण आते हैं। 

कालसर्पदोष से शान्ति हेतु उपाय :- 

  • कालसर्पदोष निवारण हेतु पंचमी तिथि के दिन विधि-विधान से पूजा करें । 
  • नागपंचमी तिथि पर नागदेवता को दूध अवश्य पिलाएं ।  
  • पंचमी तिथि पर शिव मंदिर जाकर चांदी से निर्मित नाग-नागिन का जोड़ा अवश्य अर्पित करें या फिर इस जोड़े को नदी के बहते हुए जल में प्रवाहित करें।  
  • इस दिन कुमकुम, हल्दी, चंदन और रोली से नागदेवता की पूजा-अर्चना करके  आरती करें । 
  • पंचमी के दिन सर्पसूक्त का पाठ अवश्य करें, इस पाठ को करने से कालसर्पदोष का प्रभाव न्यून हो जाता है ।  
  • इस दिन चांदी से निर्मित नाग-नागिन की आकृति वाली अंगूठी हाथ में अवश्य धारण करें ।  
  • रत्नशास्त्र में, कालसर्पदोष के प्रभाव की निवृत्ति हेतु गोमेद रत्न को पहनना अत्यन्त लाभकारी है।   
  • इस दिन शिवलिंग पर पंचधातु के नागदेवता अर्पित कर उनका अभिषेक अवश्य करें ।  
  • कालसर्प दोष से निवृत्ति हेतु नागपंचमी की तिथि पर इन मंत्रों का उच्चारण अवश्य करें -

राहु मंत्र- ।। ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम: ।।
केतु मंत्र – ।। ॐ स्त्रां स्त्रीं स्त्रौं स: केतवे नम:।।

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