नवग्रह होम

नवग्रह होम

वैदिक यज्ञ एवं होम | Duration : 3 Hrs 30 min
Price Range: 5100 to 7100

About Puja

नवग्रह होम, वेदों में वर्णित ग्रह जनित समस्त समस्याओं के उपचार हेतु सर्वोत्कृष्ट होम है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रहों की स्थिति व्यक्ति के मन, मस्तिष्क, जीवन, तथा करियर आदि पर प्रभाव डालती है, साथ ही भविष्य में किस प्रकार की स्थिति उत्पन्न होगी ये सब ग्रहों की चाल पर निर्भर करता है। जिस जातक की जन्म कुण्डली में ग्रहों की चाल से उत्पन्न समस्याएं गम्भीर रूप ले लेती हैं। ऐसी स्थिति में हमारे शास्त्रों ने नवग्रह शान्ति के उपरान्त होम का विधान  किया है। जन्म कुण्डली में ग्रहों की स्थिति के कारण होने वाले अनिष्टकारी प्रभावों को शान्त करने के लिए नवग्रह होम  सर्वोत्तम उपाय है। जब जातक की कुण्डली में गुरु बलवान हो, उस ‌समय किये गये नवग्रह होम से जाता को शुभ परिणाम प्राप्त होता है।

  • ग्रहों का स्वभाव तथा गुण :-
  1. सूर्य ग्रह- अच्छा स्वास्थ्य, शौर्य की प्राप्ति, तेज तथा शक्ति हेतु ।
  2. चन्द्र ग्रह- सफलता प्राप्त करने तथा मानसिक शान्ति हेतु ।
  3. मङ्गल ग्रह- शारीरिक और मानसिक ऊर्जा प्राप्त करने हेतु।
  4. बुध ग्रह- मेधा वृद्धि, और उच्च शिक्षा हेतु।
  5. बृहस्पति ग्रह- सुख-समृद्धि, सन्तान की मेधा वृद्धि, विवाह हेतु  ।
  6. शुक्र ग्रह- विवाह सम्बन्धी समस्याओं के शमन हेतु। तथा भौतिक सुख-सुविधाओं की प्राप्ति के लिए।
  7. शनि ग्रह- धन सम्बन्धित समस्याओं के शमन तथा सुख की प्राप्ति हेतु ।
  8. राहुग्रह- विकट परिस्थितियों से बाहर निकलने हेतु।
  9. केतुग्रह- जीवन में उत्पन्न बाधाओं से बचने के लिए। 
Benefits

नवग्रह होम के लाभ:-

  • जन्म कुण्डली में व्याप्त ग्रहजनित दोषों के प्रभाव को कम करता है।
  • ग्रहों की‌ अनिष्ट चाल के कारण होने वाले अनिष्टकारी परिणामों को शान्त करता है।
  • नवग्रह होम के प्रभाव से जीवन में ग्रहों की कृपा की प्राप्ति होती है तथा कार्यक्षेत्र में वृद्धि होती है।
  • भविष्य में ग्रहजनित समस्याओं‌ का शमन होता है तथा व्यापार क्षेत्र, घर- परिवार में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
Process

नवग्रह होम में होने वाले प्रयोग या विधि:-

  1. स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
  2. प्रतिज्ञा-सङ्कल्प
  3. गणपति गौरी पूजन
  4. कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
  5. पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
  6. षोडशमातृका पूजन
  7. सप्तघृतमातृका पूजन
  8. आयुष्यमन्त्रपाठ
  9. सांकल्पिक नान्दीमुखश्राद्ध (आभ्युदयिकश्राद्ध)
  10. नवग्रह मण्डल पूजन
  11. अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
  12. पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं पूजन 
  13. रक्षाविधान, 
  14. प्रधान देवता पूजन
  15. पाठ विधान
  16. विनियोग,करन्यास, हृदयादिन्यास
  17. ध्यानम्, स्तोत्र पाठ
  18. पंचभूसंस्कार, अग्नि स्थापन, ब्रह्मा वरण, कुशकण्डिका
  19. आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन
  20. घृताहुति, मूलमन्त्र आहुति, चरुहोम
  21. भूरादि नौ आहुति स्विष्टकृत आहुति, पवित्रप्रतिपत्ति
  22. संस्रवप्राश , मार्जन, पूर्णपात्र दान
  23. प्रणीता विमोक, मार्जन, बर्हिहोम 
  24. पूर्णाहुति, आरती, विसर्जन
Puja Samagri

वैकुण्ठ के द्वारा दी जाने वाली पूजन सामग्री:-

  • रोली, कलावा    
  • सिन्दूर, लवङ्ग 
  • इलाइची, सुपारी 
  • हल्दी, अबीर 
  • गुलाल, अभ्रक 
  • गङ्गाजल, गुलाबजल 
  • इत्र, शहद 
  • धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई 
  • यज्ञोपवीत, पीला सरसों 
  • देशी घी, कपूर 
  • माचिस, जौ 
  • दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा 
  • सफेद चन्दन, लाल चन्दन 
  • अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला 
  • चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का 
  • सप्तमृत्तिका 
  • सप्तधान्य, सर्वोषधि 
  • पञ्चरत्न, मिश्री 
  • पीला कपड़ा सूती

हवन सामग्री एवं यज्ञपात्र :-

  • काला तिल 
  • चावल 
  • कमलगट्टा
  • हवन सामग्री, घी,गुग्गुल
  • गुड़ (बूरा या शक्कर)
  • बलिदान हेतु पापड़
  • काला उडद 
  • पूर्णपात्र -कटोरी या भगोनी
  • प्रोक्षणी, प्रणीता, स्रुवा, शुचि, स्फय - एक सेट
  • हवन कुण्ड ताम्र का 10/10  इंच या 12/12 इंच 
  • पिसा हुआ चन्दन 
  • नवग्रह समिधा
  • हवन समिधा 
  • घृत पात्र
  • कुशा
  • पंच पात्र

यजमान के द्वारा की जाने वाली व्यवस्था:-

  • वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का - 1
  • गाय का दूध - 100ML
  • दही - 50ML
  • मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार 
  • फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार )
  • दूर्वादल (घास ) - 1मुठ 
  • पान का पत्ता - 07
  • पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg
  • पुष्पमाला - 7 ( विभिन्न प्रकार का)
  • आम का पल्लव - 2
  • विल्वपत्र - 21
  • तुलसी पत्र -7
  • शमी पत्र एवं पुष्प 
  • थाली - 2, कटोरी - 5, लोटा - 2, चम्मच - 2 आदि 
  • अखण्ड दीपक -1
  • पानी वाला नारियल
  • तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित  
  • देवताओं के लिए वस्त्र -  गमछा, धोती  आदि 
  • बैठने हेतु दरी,चादर,आसन 
  • गोदुग्ध,गोदधि

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