सर्वमनोरथप्रद र

सर्वमनोरथप्रद रुद्रहोम

वैदिक यज्ञ एवं होम | Duration : 4 Hrs 45 min
Price : 5100

About Puja

   पुराणों में भगवान् शिव को ही रुद्र नाम से व्याख्यायित किया गया है। भगवान् रुद्र विशिष्ट शक्ति सम्पन्न हैं। भगवान् रुद्र अग्नि, जल, वनस्पति तथा ओषधियों में प्रविष्ट होकर समस्त जीव समुदाय की रक्षा करते हैं। भगवान् रुद्र शत्रुओं को रुलाने वाले है, तथा रोगों को दूर करते हैं। स्वामी दयानन्द सरस्वती के मत में- दुखों का निवारण, दुष्टों को दण्ड, रोगों के नाशक, महावीर तथा परात्पर परमेश्वर रुद्र ही हैं। रुद्र को ही शिव कहा जाता है। शिव महापुराण में कहा गया है-   "सेव्यः सेव्यः सदा सेव्यः शङ्करः सर्वदुःखहा"
                                                                                                                             
   भगवान् शिव की सदा सेवा करनी चाहिए वे समस्त दुःखों के हर्ता हैं। भगवान् शिव अष्टमूर्तियों में व्याप्त होकर समस्त जगत् में स्थित हैं- शर्व, भव, रुद्र उग्र, भीम, पशुपति, ईशान और महादेव। भगवान् रुद्र की सर्व आदि आठ मूर्तियों द्वारा पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश, क्षेत्रज्ञ, सूर्य और चन्द्रमा अधिष्ठित हैं। शास्त्र का ऐसा निर्णय निश्चित है, कि कल्याणकर्ता महेश्वर का विश्वम्भरात्मक स्वरूप ही चराचर विश्व को धारण किये हुए हैं। "जैसे इस लोक में पुत्र पौत्रादि को प्रसन्न देखकर पिता हर्षित होता है, उसी प्रकार विश्व को भलीभांति हर्षित देखकर भगवान् शङ्कर को आनन्द मिलता है। इसलिए यदि कोई किसी प्राणी को कष्ट देता है, तो निःसन्देह मानो उसने अष्टमूर्ति भगवान् शिव का अनिष्ट किया। सर्व मनोरथ सिद्धि के लिए शिव आराधना युक्त रुद्र होम श्रेयस्कर है।

Benefits

सर्वमनोरथप्रद रुद्र होम का माहात्म्य:-

  • विष्णु धर्मोत्तर पुराण में लिखा है- बकरी, भेड, हाथी, मनुष्य राजा, बालक, स्त्री, ग्राम, नगर तथा देश के उपद्रव से आक्रान्त होने पर, मानसिक क्लेश उपस्थित होने पर, मृत्यु के मुख में पड़ने पर और शत्रुभय उपस्थित होने पर खीर अथवा घी से रुद्र होम करना, शान्ति का सर्वश्रेष्ठ उपाय होता है।
  • रुद्रमन्त्र जप, सकल पापों का निवारक तथा रुद्रहोम समस्त मनोरथों को पूर्ण करने वाला होता है।
  • भोक्ता च सर्वयज्ञानां शङ्करः परमार्थतः ' भगवान् शिव समस्त यज्ञों के भोक्ता हैं।
  • मत्स्यपुराण में भगवान् शिव कहते हैं-  यज्ञ (होम) तथा वेदमन्त्रों से जो मेरा यजन करता है, वे सर्व- प्रकार के भय से मुक्त हो जाता हैं।
  • भगवान् शङ्कर का जप तथा यज्ञ द्वारा यजन करने वालों को किसी भी प्रकार का दुःख नहीं होता है।
  • ब्रह्माजी ने शिव को प्रसन्न करने का उपाय यज्ञ (होम) ही बताया और कहा- हे ऋषिगणों  तुम लोग पृथ्वी पर जाकर एक हजार वर्ष पर्यन्त दीर्घकालीन विशाल यज्ञ करो। 
  • अतः सर्वविध से रुद्र होम का शास्त्रों में विशेष महत्व प्रतिपादित है।

Process

सर्वमनोरथप्रद रुद्रहोम में  होने वाले प्रयोग या विधि:-

  1. स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
  2. प्रतिज्ञा-सङ्कल्प
  3. गणपति गौरी पूजन
  4. कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
  5. पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
  6. षोडशमातृका पूजन
  7. सप्तघृतमातृका पूजन
  8. आयुष्यमन्त्रपाठ
  9. सांकल्पिक नान्दीमुखश्राद्ध (आभ्युदयिकश्राद्ध)
  10. नवग्रह मण्डल पूजन
  11. अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
  12. पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं पूजन 
  13. रक्षाविधान, प्रधान देवता पूजन
  14.  पाठ विधान
  15. विनियोग,करन्यास, हृदयादिन्यास
  16. ध्यानम्, स्तोत्र पाठ
  17. पंचभूसंस्कार, अग्नि स्थापन, ब्रह्मा वरण, कुशकण्डिका
  18. आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन
  19. घृताहुति, मूलमन्त्र आहुति, चरुहोम
  20. भूरादि नौ आहुति स्विष्टकृत आहुति, पवित्रप्रतिपत्ति
  21. संस्रवप्राश , मार्जन, पूर्णपात्र दान
  22. प्रणीता विमोक, मार्जन, बर्हिहोम 
  23. पूर्णाहुति, आरती, विसर्जन
Puja Samagri

वैकुण्ठ के द्वारा दी जाने वाली पूजन  सामग्री

  • रोली, कलावा    
  • सिन्दूर, लवङ्ग 
  • इलाइची, सुपारी 
  • हल्दी, अबीर 
  • गुलाल, अभ्रक 
  • गङ्गाजल, गुलाबजल 
  • इत्र, शहद 
  • धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई 
  • यज्ञोपवीत, पीला सरसों 
  • देशी घी, कपूर 
  • माचिस, जौ 
  • दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा 
  • सफेद चन्दन, लाल चन्दन 
  • अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला 
  • चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का 
  • सप्तमृत्तिका 
  • सप्तधान्य, सर्वोषधि 
  • पञ्चरत्न, मिश्री 
  • पीला कपड़ा सूती

हवन सामग्री एवं यज्ञपात्र :-

  • काला तिल 
  • चावल 
  • कमलगट्टा,
  • हवन सामग्री, घी,गुग्गुल
  • गुड़ (बूरा या शक्कर)
  • बलिदान हेतु पापड़
  • काला उडद 
  • पूर्णपात्र -कटोरी या भगोनी
  • प्रोक्षणी, प्रणीता, स्रुवा, शुचि, स्फय - एक सेट
  • हवन कुण्ड ताम्र का 10/10  इंच या 12/12 इंच 
  • पिसा हुआ चन्दन 
  • नवग्रह समिधा
  • हवन समिधा 
  • घृत पात्र
  • कुशा
  • पंच पात्र

यजमान के द्वारा की जाने वाली व्यवस्था:-

  • वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का - 1
  • गाय का दूध - 100ML
  • दही - 50ML
  • मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार 
  • फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार )
  • दूर्वादल (घास ) - 1मुठ 
  • पान का पत्ता - 07
  • पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg
  • पुष्पमाला - 7 ( विभिन्न प्रकार का)
  • आम का पल्लव - 2
  • विल्वपत्र - 21
  • तुलसी पत्र -7
  • शमी पत्र एवं पुष्प 
  • पानी वाला नारियल
  • थाली - 2, कटोरी - 5, लोटा - 2, चम्मच - 2 आदि 
  • अखण्ड दीपक -1
  • देवताओं के लिए वस्त्र -  गमछा, धोती  आदि 
  • बैठने हेतु दरी,चादर,आसन 
  • तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित  
  • गोदुग्ध,गोदधि

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