About Puja
श्री विष्णु सहस्रनाम होम को 'परमात्म होम' अथवा 'परब्रह्म' होम भी कहा जाता है, क्योंकि भगवान् श्री विष्णु का अपर नाम परमात्मा अथवा परब्रह्म है। परब्रह्म पद से वेदान्त प्रतिपाद्य निर्गुण, निराकार, स्वयंप्रकाश, अद्वितीय, सर्वव्यापक तत्व का बोध होता है, जो समस्त जगत् का निमित्त कारण तथा सर्वान्तरात्मा होने के कारण परब्रह्म है। इसलिए प्रत्येक कर्म के अन्त में 'ॐ तत्सत् ब्रह्मार्पणमस्तु' कहकर परमेश्वर को प्रत्येक कर्म अर्पण किया जाता है। इसकी पुष्टी 'ॐ तत्सदिति निर्देश:' आदि वचनों में की गयी है। वेदों का उद्घोष है कि यज्ञ ही विष्णु हैं और भगवान् विष्णु ही यज्ञ है- 'यज्ञो वै विष्णुः' यह वैदिक वाक्य तैत्तिरीय ब्राह्मण,शतपथ ब्राह्मण, शाङ्खायन ब्राह्मण, तैत्तिरीय संहिता, ऐतरेय ब्राह्मण आदि ग्रन्थों में अभीक्ष्णशः परिलक्षित होता है।
श्रीमद्भागवत् आदि पुराणों में सभी यज्ञों को विष्णुपरक ही स्वीकार किया गया है यथा- 'वासुदेव परा मखा:' ''नारायण परा मखा:" आदि । विष्णु सिद्धान्त नामक ग्रन्थ में लिखा है, कि विष्णुयाग के समान श्रेष्ठयाग तीनों लोकों में और कोई नहीं है।
Benefits
श्री विष्णु सहस्रनाम होम के माहात्म्य:-
- श्री विष्णु होम के द्वारा भगवान् विष्णु की उपासना या आराधना की जाए तो भगवान् श्री विष्णु अवश्य ही प्रसन्न होते है और सर्वतोभावेन आराधक की रक्षा करते हैं।
- श्री विष्णु होम समस्त कामनाओं तथा पुरुषार्थों की सिद्धि करता है, तथा सकल मनोवाञ्छित फलों का विस्तार करने वाला है। इसके साथ ही सच्चिदानन्द भगवान् श्री विष्णु सदा प्रसन्न रहते हैं।
- करने योग्य यज्ञों में विष्णुयाग सदृश समस्त अमङ्गलों का निवारण करने वाला कोई दूसरा याग नहीं है।
- भगवान् विष्णु के यज्ञ अनुष्ठान से ब्रह्महत्या के समान महान् पाप कट जाते हैं। इस प्रकार प्राणियों को पवित्र करने वाला यह यज्ञ है।
- विष्णु होम करने वाला यजमान् सदा भगवान् विष्णु की तुष्टि करने वाला कहा जाता है, अर्थात् विष्णुयाग कर्ता सन्तोषकारी के रूप में सभी प्रशंसा करते हैं।
- विष्णुयाग में ब्रह्मादि देवगण और महायशस्वी ऋषिगण यज्ञ की रक्षा में होते हैं। अतएव इस यज्ञ में विघ्न बाधा उत्पन्न नहीं होता और नही किसी जीव की हिंसा ही होती है।
- अपने कल्याण के इच्छुक जनों को; सकल उपद्रवों की निवृत्ति के लिए विष्णु होम का अनुष्ठान करना चाहिए। इससे भूमि तथा गृहशुद्धि होती है।
- अपने घर या मण्डप में विष्णु होम अनुष्ठान प्रशंसनीय है। यह भगवान् विष्णु को अत्यन्त रुचिकर है तथा साधक को सायुज्य मुक्ति की प्राप्ति कराता है।
- केवल भूलोक ही नहीं समस्त ब्रह्माण्ड में विष्णु होम के सदृश दूसरा कल्याण का साधन (उपाय) अन्य नही है।
- द्विजातियों के लिए विष्णुयाग को विशिष्ट कहा है, अतः विद्वान् ब्राह्मण को प्रयत्नपूर्वक विष्णुयाग (होम) का यजमान बनाना चाहिए।
Process
श्री विष्णु सहस्रनाम होम में होने वाले प्रयोग या विधि :-
- स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
- प्रतिज्ञा-सङ्कल्प
- गणपति गौरी पूजन
- कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
- पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
- षोडशमातृका पूजन
- सप्तघृतमातृका पूजन
- आयुष्यमन्त्रपाठ
- सांकल्पिक नान्दीमुखश्राद्ध (आभ्युदयिकश्राद्ध)
- नवग्रह मण्डल पूजन
- अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
- पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं पूजन
- रक्षाविधान, प्रधान देवता पूजन
- पाठ विधान
- विनियोग,करन्यास, हृदयादिन्यास
- ध्यानम्, स्तोत्र पाठ
- पंचभूसंस्कार, अग्नि स्थापन, ब्रह्मा वरण, कुशकण्डिका
- आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन
- घृताहुति, मूलमन्त्र आहुति, चरुहोम
- भूरादि नौ आहुति स्विष्टकृत आहुति, पवित्रप्रतिपत्ति
- संस्रवप्राश , मार्जन, पूर्णपात्र दान
- प्रणीता विमोक, मार्जन, बर्हिहोम
- पूर्णाहुति, आरती, विसर्जन
Puja Samagri
वैकुण्ठ के द्वारा दी जाने वाली पूजन सामग्री:-
- रोली, कलावा
- सिन्दूर, लवङ्ग
- इलाइची, सुपारी
- हल्दी, अबीर
- गुलाल, अभ्रक
- गङ्गाजल, गुलाबजल
- इत्र, शहद
- धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई
- यज्ञोपवीत, पीला सरसों
- देशी घी, कपूर
- माचिस, जौ
- दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा
- सफेद चन्दन, लाल चन्दन
- अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला
- चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का
- सप्तमृत्तिका
- सप्तधान्य, सर्वोषधि
- पञ्चरत्न, मिश्री
- पीला कपड़ा सूती, तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित
हवन सामग्री एवं यज्ञपात्र :-
- काला तिल
- चावल
- कमलगट्टा
- हवन सामग्री, घी,गुग्गुल
- गुड़ (बूरा या शक्कर)
- बलिदान हेतु पापड़
- काला उडद
- पूर्णपात्र -कटोरी या भगोनी
- प्रोक्षणी, प्रणीता, स्रुवा, शुचि, स्फय - एक सेट
- हवन कुण्ड ताम्र का 10/10 इंच या 12/12 इंच
- पिसा हुआ चन्दन
- नवग्रह समिधा
- हवन समिधा
- घृत पात्र
- कुशा
- पंच पात्र
यजमान के द्वारा की जाने वाली व्यवस्था:-
- वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का - 1
- गाय का दूध - 100ML
- दही - 50ML
- मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार
- फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार )
- दूर्वादल (घास ) - 1मुठ
- पान का पत्ता - 07
- पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg
- पुष्पमाला - 7 ( विभिन्न प्रकार का)
- आम का पल्लव - 2
- विल्वपत्र - 21
- तुलसी पत्र -7
- शमी पत्र एवं पुष्प
- पानी वाला नारियल
- थाली - 2 , कटोरी - 5 ,लोटा - 2 , चम्मच - 2 आदि
- अखण्ड दीपक -1
- देवताओं के लिए वस्त्र - गमछा , धोती आदि
- बैठने हेतु दरी,चादर,आसन
- गोदुग्ध,गोदधि