बगलामुखी पूजा : जानें इस महाविद्या का महत्व, लाभ और प्रयोग

बगलामुखी पूजा : जानें इस महाविद्या का महत्व, लाभ और प्रयोग

हिन्दू पंचांग के अनुसार वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को बगलामुखी जयंती मनाई जाती है । इस दिन माँ बगलामुखी की पूजा करने का विशेष महत्व है । माता बगलामुखी को मां दुर्गा का आठवाँ अवतार माना जाता है, जो पीतांबरा महाविद्या के नाम से भी विख्यात हैं । माँ- बगलामुखी की पूजा से साधक को शक्ति तथा सर्वत्र विजय प्राप्त होती है । मां बगलामुखी की साधना में पीतवर्ण (पीले रंग) का प्रयोग अधिक किया जाता है क्योंकि माता बगलामुखी को यह वर्ण अत्यन्त प्रिय है । इसलिए भगवती स्वयं भी पीत वर्णीय वस्त्र धारण करती हैं । इनकी साधना विशेष रूप से रात्रिकाल में ही की जाती है । 

बगलामुखी पूजा के लिए ब्राह्मण :- 

माता बगलामुखी की उपासना करते समय अधिक सावधानी की आवश्यकता होती है इसलिए इनकी उपासना के निमित्त विद्वान् और कुशल ब्राह्मणों की सहायता से इनका यह अनुष्ठान सम्पादित करना चाहिए । अगर किसी कारणवश माता बगलामुखी की उपासना में कोई अपराध हो जाता है तो उसका साधक पर  विपरीत प्रभाव पड़ता है ।

बगलामुखी पूजा का महत्व :-

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार माता बगलामुखी की पूजा करने से, शत्रुओं पर विजय, धन लाभ, राजनीतिज्ञ मामले व कोर्ट-कचहरी में चल रहे मुकदमों में विजय इत्यादि मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं । बगलामुखी माता के यंत्र की आराधना करने से भी शत्रुओं पर विजय प्राप्ति होती है और जातक के समस्त संकट समाप्त होते हैं । पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माँ बगलामुखी की उपासना से व्यापार में वृद्धि, कोर्ट-कचहरी का विवाद, राजनीति इत्यादि में सफलता अवश्य प्राप्त होती है।

बगलामुखी महाविद्या की कथा :- 

देवीभागवतपुराण के अनुसार देवी सती से ही दसमहाविद्याओं की उत्पप्ति हुई थी । देवी सती के पिता प्रजापति दक्ष ने एक यज्ञ का आयोजन किया था जिसमें उन्होंने सभी देवताओं को आमंत्रित किया परन्तु यज्ञ में भगवान् शिव और देवी सती (पार्वती) को नहीं बुलाया । अपने पिता के यहाँ यज्ञ का आयोजन है ऐसा समाचार सुनकर माता सती बिना निमंत्रण ही वहाँ जाने की हठ भगवान् शिव से करने लगीं परन्तु भगवान् शिव उन्हें पुनः पुनः मना करते रहे । इससे देवी सती अत्यंत क्रोधित हो गई । जिसके पश्चात् उनके क्रोध से दसों दिशाओं से उनके दस स्वरूप प्रकट हुए, इन स्वरूपों को ही देवी सती की दस महाविद्या कहा जाता है । ये दस महाविद्याएं हैं :- 
•    काली,                  
•    त्रिपुर भैरवी, 
•    धूमावती, 
•    बगलामुखी, 
•    तारा, 
•    छिन्नमस्ता, 
•    मातंगी, 
•    षोडशी, 
•    कमला  
•    भुवनेश्वरी । 

इस प्रकार देवी सती के क्रोध से इन्हीं दस महाविद्यायों की उत्पत्ति हुई । माता सती के इन्हीं दस स्वरूपों को दस महाविद्याओं के नाम से जाना जाता है ।    

बगलामुखी महाविद्या के लाभ :-

शत्रुओं की निवृत्ति हेतु  :-

  • माँ बगलामुखी के अनुष्ठान से समस्त शत्रुओं से मुक्ति प्राप्त होती है ।
  • शत्रुओं द्वारा किये गए किसी भी क्षति का प्रभाव साधक पर नहीं पड़ता है । 
  • यह अनुष्ठान शत्रुओं से रक्षा प्राप्त कराने में विशेष शक्ति प्रदान करता है ।

बाधाओं से निवारण :-

  • बगलामुखी महाविद्या का अनुष्ठान करने से विभिन्न प्रकार के संकट तथा किसी भी क्षेत्र विशेष में आ रही समस्याएँ दूर होती हैं ।
  • यह अनुष्ठान जातक के सभी कष्टों को दूर करके उनके जीवन में स्थिरता लाता है ।

धन संबंधी समस्याओं के समाधान हेतु  :-

  • माता बगलामुखी की कृपा से धन से संबंधित समस्याओं का भी शमन (निराकरण) होता है जिससे साधक की आर्थिक स्थिति में सुधार होता है तथा धन-यश-समृद्धि में वृद्धि होती है । 

राजनीतिक क्षेत्र में करियर बनाने के लिए  :-

  • बगलामुखी महाविद्या का अनुष्ठान राजनीतिक क्षेत्र से संबधित मुद्दों के लिए विशेष रूप से सहायक होती है । 
  • माता की उपासना करने से उपासकों को विजयी होने का आशीर्वाद प्राप्त होता है तथा  वे सफलता को भी प्राप्त करते हैं ।  

कोर्ट-कचहरी संबंधी समस्याओं का हल : 

  • देवी बगलामुखी की उपासना वर्षों से लंबित कोर्ट-कचहरी के विवादों पर विजय प्राप्त करवाती है । 
  • इसके साथ ही देवी बगलामुखी अनुष्ठान के प्रभाव से शीघ्र ही केस का फैसला साधक के पक्ष में आता है और विजयी होने की संभवना अधिक हो जाती है ।

कैसे करें माता बगलामुखी महाविद्या का प्रयोग ?

  • प्रातःकाल स्नान करने के पश्चात् स्वच्छ व पीतवर्ण (पीले रंग)  के वस्त्र धारण करें ।  
  • स्नान के पश्चात् एक चौकी पर पीले रंग का वस्त्र बिछाएं एवं अत्यन्त शुद्धभाव मन-मस्तिष्क में रखते हुए श्रद्धापूर्वक माता की प्रतिमा को विराजित करें।  
  • इसके पश्चात् माता को पीले रंगे के वस्त्र धारण करायें ।
  • अब दीप-धूप प्रज्वलित कर पूजा प्रारंभ करें परन्तु इस बात का विशेष ध्यान रखें कि पूजा के दौरान साधक का मुख पूर्व दिशा में हो ।    
  • इसके पश्चात् देवी को पीत (पीले) पुष्प अर्पित करें। 
  • मां बगलामुखी की पूजा में माता को पीले पुष्प तथा हल्दी की गांठ विशेष रूप से अर्पित की जाती है। 
  • माता को पीले रंग की मिठाई का ही भोग लगाएं ।    
  • पूजा के बाद माता की आरती उतारें और आरती के पश्चात् चालीसा का पाठ करें । 
  • सांयकाल के समय देवी बगलामुखी की कथा का पाठ करें या श्रवण करें।   
  • व्रत करने वाले जातक रात्रि में फलाहार ग्रहण करें और व्रत के अगले दिन स्नान कर पूजा के पश्चात् ही भोजन ग्रहण करें ।

मां बगलामुखी के शक्तिशाली मंत्र :-

  • “ॐ ह्रीं बगलामुखी देव्यै ह्रीं ऊँ नमः” । 
  • “ॐ ह्रीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिह्वाम कीलय बुद्धिं विनाशय ह्रीं  ॐ स्वाहा” ।

माता बगलामुखी की साधना से साधक को उन कार्यों में भी शीघ्र ही सफलता प्राप्त हो जाती है जिन कार्यों में साधक को बहुत लम्बे समय से कोई प्रतिक्रिया प्राप्त नहीं हुई । अतः हम यह कह सकते हैं की माता बगलामुखी की यह पूजा सर्वविध विजय प्रदान करने वाली है ।

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