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अग्निसूक्त  पाठ एवं हवन

अग्निसूक्त पाठ एवं हवन

12000

ऋग्वेद में लगभग 200 सूक्तों के द्वारा अग्निदेव का स्तवन  किया गया है।

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सूर्यसूक्त  पाठ एवं हवन

सूर्यसूक्त पाठ एवं हवन

11000

 यह सूक्त ऋग्वेद में उपलब्ध है। सूर्यसूक्त के ऋषि कुत्स -आङ्गिरस ,देवता सूर्य तथा त्रिष्टुप् छन्द है।

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निष्क्रमण संस्कार एवं सूर्यावलोकन

निष्क्रमण संस्कार एवं सूर्यावलोकन

12000

निष्क्रमण का अर्थ है शिशु को प्रथम बार घर से बाहर निकालना। आचार्य पारस्कर का कथन है

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विष्णुसूक्त  पाठ एवं हवन

विष्णुसूक्त पाठ एवं हवन

11000

सर्वव्यापक होने के कारण परमेश्वर का एक नाम विष्णु भी है।

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नारायणसूक्त पाठ एवं हवन

नारायणसूक्त पाठ एवं हवन

11000

 समस्त जीव समूह को नार संज्ञा दी गयी है और उन समस्त जीवों का जो अयन (आश्रय) है,

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पुरुषसूक्त  पाठ एवं हवन

पुरुषसूक्त पाठ एवं हवन

11000

 वैदिक सूक्तों में पुरुषसूक्त का स्थान अत्यन्त महनीय है।

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नामकरण संस्कार

नामकरण संस्कार

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  इस जगत् में समस्त व्यक्ति, वस्तु एवं स्थान की कुछ ना कुछ संज्ञा होती है ।

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सरस्वतीसूक्त  पाठ एवं हवन

सरस्वतीसूक्त पाठ एवं हवन

11000

सरस्वती ज्ञान की अधिष्ठातृ देवी हैं।

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मेधासूक्त  पाठ एवं हवन

मेधासूक्त पाठ एवं हवन

11000

 मेधाशब्द का शाब्दिक अर्थ होता है - धारणाशक्ति, प्रज्ञा, बुद्धि आदि। मेधाशक्ति से सम्पन्न मनुष्य को ही मेधावी कहते है।

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देवीसूक्त (वाक् सूक्त)  पाठ एवं हवन

देवीसूक्त (वाक् सूक्त) पाठ एवं हवन

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 देवी सूक्त को वैदिकवाङ्मय में वाक् सूक्त भी कहा गया है तथा इसी सूक्त को आत्मसूक्त भी कहते हैं।

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श्री सूक्त (लक्ष्मी सूक्त)  पाठ एवं हवन

श्री सूक्त (लक्ष्मी सूक्त) पाठ एवं हवन

12000

सनातन मतावलम्बियों में ऐसा कौन होगा, जो जगत् की उत्पत्ति, स्थिति और प्रलय के मूल कारण भगवान् नारायण की शक्ति,

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जातकर्म संस्कार

जातकर्म संस्कार

12000

जन्म के बाद जो प्रथम संस्कार होता है ,उसे जातकर्म संस्कार कहते हैं।

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